महानंदा अभ्यारण्य के ईएसजेड से संबंधित जटिलताओं के समाधान हेतु केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र

 

अशोक झा, सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल के विधायकों की टीम इन दिनों दिल्ली में विभिन्न मंत्रालयों के मंत्री से मिलकर समस्या का समाधान करने की मांग की है। विधायक शंकर घोष, आनंदमय बर्मन, दुर्गा मुर्मू आदि ने भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने महानंदा अभयारण्य के इको सेंसिटिव ज़ोन (ईएसजेड) के संबंध में 22 सितंबर 2020 को एक राजपत्र अधिसूचना जारी की। इसमें कहा गया है कि बफर जोन के 5 किमी तक ईएसजेड है। इसके बाद इसके क्षेत्र को और विस्तारित करने के लिए 6 सितंबर, 2024 को एक पुनःप्रारूप राजपत्र अधिसूचना जारी की गई। महानंदा अभयारण्य का ईएसजेड 18.16 किमी बताया गया है। अतः, यद्यपि पिछली अधिसूचना तो है, लेकिन उसमें कमी नहीं हो रही है, बल्कि ईएसजेड का क्षेत्र बढ़ा दिया गया है या बढ़ाया जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय का आदेश आई. ए. एनओएस. 2023 के नियम 5764, 6804 और 10911 के अनुसार किसी भी राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य का बफर जोन कम से कम 1 किमी होना चाहिए। ईएसजेड (पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र) अनिवार्य है। यह भी कहा गया है कि किसी भी राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभयारण्य के ईएसजेड क्षेत्र को उन राष्ट्रीय उद्यानों या अभयारण्य के भौगोलिक वातावरण और स्थान के आधार पर बढ़ाया जा सकता है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है। परिणामस्वरूप, वनों से सटे गांवों और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपने विकास के लिए विभिन्न परियोजनाओं के क्रियान्वयन में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए केंद्रीय वन मंत्री माननीय श्री भूपेंद्र यादव को पत्र भेजकर अनुरोध किया गया है कि वे एक ओर जहां वनों एवं वन्य जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए इस क्षेत्र के विकास के लिए विशेष न्यायसंगत कदम उठाएं। उन्होंने इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया और यह भी कहा कि वे अगले साल मई में व्यक्तिगत रूप से मामले की जांच करने सिलीगुड़ी आएंगे।

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