उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सम्पन्न हुआ चैती छठ, कार्तिक छठ 25 अक्टूबर से

अशोक झा, सिलीगुड़ी: लोक आस्था का महापर्व चैती छठ संपन्न हो गया। चार दिवसीय छठ के मौके पर शुक्रवार को व्रतियों ने चौथे दिन उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ दिया। तीसरे दिन गुरुवार की शाम छठ व्रतियों ने अस्तालगामी भगवान भास्कर(डूबते सूर्य) को पहला अर्घ अर्पित किया था। बंगाल में छठ व्रतियों ने हजारों की संख्या में महानंदा, चेंगा, तिस्ता,कार्ला घाट पर भगवान भास्कर की पूजा की। अब फिर कार्तिक का छठ अक्तूबर माह में होगा। पहला दिन: नहाय-खाय (25 अक्टूबर 2025) – इस दिन माताएँ नदी या तालाब के किनारे जाकर स्नान करती हैं और छठ पूजा के लिए एक वेदी तैयार करती हैं.
दूसरा दिन: खरना (26 अक्टूबर 2025) – दूसरे दिन, शाम को खीर और पूरी का भोग लगाकर 36 घंटे के कठिन व्रत की शुरुआत होती है.
तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर 2025) – इस दिन, उपवास करने वाली माताएँ किसी पवित्र जल स्रोत, जैसे नदी या तालाब के पास जाकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करती हैं.
चौथा दिन: सुबह अर्घ्य (28 अक्टूबर 2025) – चौथे दिन, महिलाएं सुबह भी जल सरोवर के किनारे जाकर सूर्य देवता को अर्घ्य देती हैं और पूजा का समापन करती हैं. इस पूजा के बाद व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर और प्रसाद ग्रहण करके अपना व्रत खोलती हैं, जिसे पारण या परना कहा जाता है.
छठ पूजा- 27 अक्टूबर 2025:छठ पूजा के दिन सूर्योदय का समय- प्रात: 6 बजकर 29 मिनटछठ पूजा के दिन सूर्यास्त का समय- शाम 5 बजकर 52 मिनट ।
छठ पूजा का महत्व: छठ पूजा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो सूर्य देवता को समर्पित है. यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, एक बार ग्रीष्म ऋतु में और दूसरी बार शरद ऋतु में. यह विशेष रूप से बिहार के लोगों द्वारा मनाया जाता है. यह उत्सव दिवाली के बाद आता है और अब एक महापर्व का स्वरूप धारण कर चुका है. छठ पूजा की बढ़ती लोकप्रियता के कारण, यह अब उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल, झारखंड और नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों में भी मनाई जाने लगी है. इसके परिणामस्वरूप, छठ पूजा की भव्यता अब बिहार-झारखंड के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी देखने को मिलती है.