आज का दिन राम भक्तों के साथ भाजपाइयों के लिए अति महत्वपूर्ण
शून्य से शिखर तक पहुंचने का सीखेंगे गुरुमंत्र

अशोक झा, सिलीगुड़ी: राजनीति में 6 अप्रैल 1980 का दिन बेहद अहम जगह रखता है. इसी दिन भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी गई थी। आज यह दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है। भाजपा पार्टी अब अपने स्थापना दिवस की तैयारियों में लग गई है। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब भाजपा ने केंद्र संभाली, तब पार्टी के कुल सदस्यों की संख्या 5 से 6 करोड़ के बीच थी। तो यह सवाल आता है कि आखिर क्या खास किया बीजेपी ने, जो वह आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। बीजेपी ने राममंदिर, आर्टिकल 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों पर अपनी राजनीति का व्यापक परिचय भी दिया है. केंद्र में बीजेपी की सरकार का तीसरा कार्यकाल जारी है और पार्टी 10 करोड़ सदस्यों की पार्टी बन चुकी है, इसके पीछे बीजेपी की रणनीति क्या रही? चलिए इस पर एक नजर डालते हैं। भारतीय जनता पार्टी यानी BJP का जन्म 6 अप्रैल 1980 को हुआ, लेकिन इसकी जड़ें उससे भी गहरी हैं। दरअसल, इसकी कहानी शुरू होती है 1951 में जब डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस सरकार की नीतियों से असहमति जताते हुए नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और भारतीय जनसंघ की स्थापना की। वे कश्मीर को विशेषाधिकार देने के खिलाफ थे और इसी मुद्दे पर उन्हें जेल जाना पड़ा था। जब पहली बार कांग्रेस का एकाधिकार टूटा: जनसंघ का प्रभाव 1967 में दिखाई देने लगा जब दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में कांग्रेस का राज्यों में एकाधिकार टूटने लगा। 1977 में इमरजेंसी के बाद जब इंदिरा गांधी ने चुनाव की घोषणा की तो जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में तमाम विपक्षी दलों ने मिलकर जनता पार्टी बनाई। जनसंघ भी उसमें शामिल हुआ।
जनता पार्टी का विघटन और BJP की स्थापना: लेकिन यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चल पाया। जब RSS के साथ संबंधों को लेकर मतभेद उभरे, तब जनसंघ के नेताओं ने अलग होकर 1980 में BJP की स्थापना की और अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने। शुरुआती संघर्ष और पहली हार: शुरुआत आसान नहीं रही। 1984 के लोकसभा चुनाव में BJP महज 2 सीटें ही जीत पाई। लेकिन 1989 में बेफोर्स घोटाले के मुद्दे और राम मंदिर आंदोलन ने पार्टी को एक नई पहचान दी। लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा ने जन-जन तक पार्टी की बात पहुचाने की कोशिश की । एनडीए का गठन और केंद्र की सत्ता में वापसी: 1998 में BJP ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर NDA सरकार बनाई और केंद्र में सत्ता हासिल की। 1999 में फिर से NDA को बहुमत मिला और वाजपेयी एक बार फिर प्रधानमंत्री बने।2004 की हार और विपक्ष में वापसी: हालांकि, 2004 में ‘इंडिया शाइनिंग’ कैंपेन के बावजूद कांग्रेस ने वापसी की और BJP को विपक्ष में बैठना पड़ा। 2009 में पार्टी की हालत और कमजोर हो गयी। 2014 से BJP का स्वर्णिम दौर का आगाज़ : लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में BJP ने इतिहास रच दिया। पार्टी ने अकेले 282 सीटें जीतीं और NDA को 336 सीटें मिलीं। यह 1984 के बाद पहली बार था जब किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला।सदस्यता अभियान से आधार बढ़ाया: भाजपा की सफलता में सबसे बड़ा योगदान इसके विशाल कार्यकर्ताओं के आधार का है। जब अमित शाह ने पार्टी अध्यक्ष का कार्यभार संभाला, तब उन्होंने देशव्यापी सदस्यता अभियान की शुरुआत की थी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की लहर में लाखों-करोड़ों लोग पार्टी से जुड़ते चले गए। 2015 तक भाजपा के सदस्य 10 करोड़ से अधिक हो गए। 2019 लोकसभा चूनाव तक बीजेपी की सदस्यता का अकड़ा बढ़कर करीब 18 करोड़ हो गया। तकनीक डिजिटल मीडिया का स्मार्ट इस्तेमाल: भाजपा ने डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हुए राजनीति में नई ऊंचाइयों को छुआ। सदस्यता अभियान को ऑनलाइन किया गया ताकि लोग मोबाइल से ही जुड़ सकें। आंतरिक बैठकों को वर्चुअल माध्यम से संचालित किया गया, और सोशल मीडिया व व्हाट्सएप के जरिए जनसंपर्क मजबूत किया गया।राज्यवार रणनीति और सामाजिक समीकरण: हर राज्य की अलग राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने क्षेत्रीय रणनीतियाँ तैयार कीं। अमित शाह के नेतृत्व में राज्यवार सोशल इंजीनियरिंग पर विशेष ध्यान दिया। राम मंदिर जैसे मुद्दों पर वर्षों पुराने विवादों को सुलझाकर आम जनता का विश्वास जीतने में पार्टी सफल रही।मजबूत संगठन और संकल्पित स्वयसेवक बनी भाजपा की रीढ़: भाजपा ने अपने संगठन को जमीनी स्तर से मजबूत किया। बूथ लेवल से लेकर जिला, मंडल और पन्ना प्रमुख जैसे ढांचागत तरीके से कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया गया, लिहाजा हर मतदाता से सीधा संपर्क करने में दुसरे राजनितिक पार्टियों के मुकाबले सफल रही |