आतंकी हमला के बाद देशभर में हाई अलर्ट, गृहमंत्री श्रीनगर में पहुंच कर रहे बैठक

हमले के पीछे बड़ी साजिश, याद आ रहा 90 का दशक

 

नई दिल्ली से अशोक झा: पहलगाम में हुए आज बड़े आतंकी हमले का जायजा लेने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर पहुंच गए हैं। बताया जा रहा है कि अमित शाह अभी थोड़ी देर पहले ही श्रीनगर पहुंचे हैं, जहां पर उन्होंने सुरक्षा बलों के आला अधिकारियों व सीएम. उमर अब्दुल्ला के साथ हाई लेबल मीटिंग बुलाई ली है। बताया जा रहा है कि इसके बाद अमित शाह अस्पतालों में घायल लोगों से मुलाकात भी करेंगे। इस दौरान उनके साथ आई.बी. चीफ व गृह सचिव भी मौजूद रहे। उधर खबर आई है कि पहलगाम के टूरिस्ट स्पाट पर हुए आतंकवादी हमले की जांच केंद्रीय जांच एजैंसी एन.आई.ए. द्वारा की जाएगी। सूत्रों के अनुसार हमले में 26 लोगों के मौत होने की सूचना है, लेकिन अभी तक इस बारे पुष्टि नहीं हुई है। इसमें 2 विदेशी नागरिक भी बताए जा रहे हैं। बता दें कि आज पहलगाम में आतंकियों ने बड़ा हमला किया, जिसमें एक एक पर्यटक का नाम व धर्म पूछ कर गोलियां बरसाई। इस हमले में कईयों के मारे जाने की आशंका है तथा कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। बताया जा रहा है कि 5 से 6 दहशतगर्दों ने इस दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम दिया है। जानकारी मिली है कि इन आतंकियों ने 6-7 अप्रैल को पहले इस जगह की रेकी की थी, जिसके बाद आज उक्त बड़े हमले को अंजाम दिया गया है। कर्नाटक से आए पर्यटक मंजूनाथ जम्मू-कश्मीर के पहल्गाम आतंकी हमले में शहीद हो गए। उनकी पत्नी पल्लवी ने हमले के बाद बताया कि जब उन्होंने आतंकियों से कहा कि उन्हें भी मार दिया जाए, तो जवाब मिला – “जा मोदी को बता देना।” यह सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि भारत को खुली चुनौती थी। इस घटना का एक आखिरी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसने पूरे देश को भावुक कर दिया है। मंजूनाथ की कुर्बानी हर भारतीय के दिल में हमेशा जिंदा रहेगी।
फिर याद आ रहा 90का दशक: नब्बे के दशक का आतंकवाद हो या आज पहलगाम में हुआ हमला, देश ने एक बार फिर वही बर्बरता देखी है। तब आतंकियों के निशाने पर कश्मीरी पंडित थे और आज नाम और धर्म पूछकर मारे गए लोग। पहलगाम हमले के बाद कई वीडियो सामने आए हैं।इन्हीं वीडियो में से एक में महिला ने अपनी दर्द भरी दास्तां बताई है. उसने कहा कि आतंकियों ने पूछा, क्या वो मुस्लिम है? इसके बाद पति को गोली मार दी।।महिला ने कहा, मेरे पति गोली लगने के बाद काफी देर तक जमीन पर पड़े रहे। हमले के बाद स्थानीय लोग मदद के लिए आए। फिर उन्हें अस्पताल ले गए। आतंकी नाम और धर्म पूछकर निशाना बना रहे थे। इस हमले में 30 लोगों के मारे जाने की आशंका है। कई अन्य घायल भी हुए हैं। सऊदी अरब के दौरे पहुंचे पीएम मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह से बात की है। शाह श्रीनगर के लिए रवाना हो चुके हैं।
23 मार्च 2003 नादिमर्ग नरसंहार: सुरक्षाबल आतंकियों की तलाश में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। इन सब बातों के बीच आज हुए हमले ने नादिमर्ग नरसंहार की वो काली यादें ताजा कर दी हैं। तारीख थी 23 मार्च और साल 2003। रात का समय… हथियारों से लैस आतंकी गांव में घुसे थे. फिर कश्मीरी पंडितों को लाइन में खड़ा किया। इसमें महिलाएं, पुरुष और बच्चे भी थे. देखते ही देखते लोगों को गोलियों से भून दिया गया और गांव श्मशान बन गया था।बिखरी कुर्सियां, खून से लथपथ जमीन पर पड़े लोग: आज पहलगाम में हुए हमले के जो वीडियो आए हैं, वो भी कुछ ऐसी ही बर्बरता को बयां कर रहे हैं. पहलगाम के जिस मैदान में ये हमला हुआ है, वहां बिखरी हुई कुर्सियां, खून से लथपथ और जमीन पर बेसुध पड़े लोग दिखाई दिए. पीड़ितों का एक ही सवाल है आखिर हमारा कसूर क्या? हमें आखिर किस अपराध की सजा मिली?।पुराने घावों को कुरेदा: पहलगाम के पीड़ितों का दर्द दिल को झकझोर देने वाला है. इस हमले ने एक बार फिरपुराने घावों को कुरेद दिया है. हमले पर मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा, मैं स्तब्ध हूं। इस हमले को अंजाम देने वाले जानवर और घृणा के लायक हैं। हमले की निंदा के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. मैं मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। आतंकी हमलों में कब-कब मारे गए पर्यटक-तीर्थयात्री, पहलगाम अटैक की टाइमिंग के पीछे क्या ये साजिश? हमले पर गृह मंत्री अमित शाह ने दो टूक कहा है कि इसे अंजाम देने वाले आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि हमलावरों को सजा मिलेगी. उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश करने वाले सफल नहीं होंगे।

कौन है आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट, जिसने ली हमले की जिम्मेदारी : किसने ली हमले की जिम्मेदारी?
आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। टीआरएफ, आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी संगठन है। पाकिस्तान में बैठा शेख सज्जाद गुल टीआरएफ का प्रमुख है। टीआरएफ की कहानी 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के साथ ही शुरू होती है। कहा जाता है कि इस हमले से पहले ही इस आतंकी संगठन ने घाटी के अंदर अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। जम्मू कश्मीर में हाल ही में 85 हजार से अधिक डोमिसाइल जारी किए गए हैं। टीआरएफ यह कहकर लोगों को भड़का रहा है कि ये डोमिसाइल स्थानीय लोगों को नहीं, बल्कि बाहरी लोगों को प्रदान किए गए हैं।द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) क्या है? द रेजिस्टेंस फ्रंट एक अपेक्षाकृत नया लेकिन घातक आतंकवादी संगठन है जो अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद उभरा। माना जाता है कि यह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक छद्म संगठन है, जिसे कश्मीर में उग्रवाद को “स्थानीय चेहरा” देने के लिए बनाया गया था। अपने गठन के छह महीने के भीतर, समूह ने अपने बैनर तले विभिन्न संगठनों के विभिन्न आतंकवादियों को एकजुट किया।
कई आतंकी हमलों में शामिल: इस फ्रंट में आतंकवादी साजिद जट्ट, सज्जाद गुल और सलीम रहमानी प्रमुख हैं, ये सभी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं। अपनी स्थापना के बाद से ही लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का संगठन माना जाने वाला टीआरएफ घाटी में पर्यटकों, अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों और खासकर प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाकर किए गए कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है। सेना के अधिकारियों ने बताया कि नियंत्रण कक्ष के नंबर 0194-2457543, 0194-2483651 हैं। एडीसी श्रीनगर आदिल फरीद – 7006058623 इस नंबर पर सहायता के लिए उपलब्ध रहेंगे।
सेना के उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सुचिन्द्र कुमार इस आतंकवादी हमले के बाद दिल्ली से जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के लिए रवाना हो चुके हैं। वह जम्मू-कश्मीर में सेना द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई की जानकारी लेंगे। जम्मू-कश्मीर में जब यह हमला हुआ तब लेफ्टिनेंट जनरल एम.वी. सुचिन्द्र कुमार दिल्ली में थे। वह एक कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे। आतंकवादी हमले के संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी से भी बात की है। उन्होंने पहलगाम की स्थिति उसके बाद के हालातों की जानकारी ली। सेना सुरक्षाबलों ने पहलगाम में संदिग्ध स्थानों की घेराबंदी शुरू कर दी है। सेना अन्य सुरक्षा बल हेलिकॉप्टर से भी संदिग्ध इलाके की निगरानी कर रहे हैं। आतंकवादी हमले के तुरंत बाद इलाके में सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। इसमें सेना के साथ-साथ सीआरपीएफ, स्थानीय पुलिस क्विक रिएक्शन टीम भी घटनास्थल पर पहुंच चुकी है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में कई सैलानियों पर मंगलवार को आतंकवादियों ने गोलियां बरसाई। इस हमले के बाद गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर पहुंच चुके हैं। उन्होंने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, सीआरपीएफ, खुफिया एजेंसी जम्मू-कश्मीर पुलिस अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की।यह हमला कब, कहां, कैसे हुआ। कहां हुआ हमला?: श्रीनगर से 90 किलोमीटर की दूरी पर है पहलगाम। यहां से छह किलोमीटर दूर है बायसरन घाटी, जहां पहुंचने में 30 मिनट का वक्त लगता है। इस जगह को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ भी कहा जाता है। यहां घास के मैदान हैं। एक तरफ देवदार के घने जंगल हैं। यहां पर्यटक तुलियन झील तक ट्रैकिंग करने के लिए भी आते हैं। यहां पैदल रास्ते या खच्चरों पर बैठकर ही आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहीं पर हमला हुआ।
हमले के वक्त क्या कर रहे थे पर्यटक?: यहां अलग-अलग राज्यों के पर्यटक और विदेशी सैलानी मौजूद थे। घटनास्थल पर खानपान के कुछ ठिकाने बने हुए हैं। कुछ पर्यटक वहां भेलपुरी खा रहे थे। कुछ पर्यटक खच्चरों के जरिए आवाजाही कर रहे थे। कुछ मैदान में बैठकर पिकनिक कर रहे थे। कैसे हुआ हमला?:शुरुआती जानकारी के मुताबिक, मंगलवार दोपहर तीन बजे जंगल के रास्ते सेना की वर्दी में आतंकी आए और उन्होंने पर्यटकों से परिचय-पत्र मांगना शुरू कर दिया। परिचय-पत्र से उन्होंने पर्यटकों का मजहब जाना। बताया जा रहा है कि जो पर्यटक हिंदू थे, आतंकियों ने उन्हें गोलियां मारनी शुरू कर दीं। हालांकि, मरने वालों में कुछ विदेशी भी हैं। स्थानीय दुकानदारों और पर्यटकों ने पेड़ों के पीछे जाकर अपनी जान बचाई।
कहां से आए थे आतंकी?: घटनास्थल पर आतंकी देवदार के घने जंगलों के रास्ते आए थे। जानकारी के मुताबिक, यह माना जा रहा है कि आतंकी किश्तवाड़ के रास्ते आए और फिर कोकरनाग के जरिए दक्षिण कश्मीर के बायसरन पहुंचे। कुछ लोगों ने आतंकियों की संख्या पांच बताई है। हमले के बाद कहां गए आतंकी? जहां हमला हुआ, वहां पैदल रास्ते या खच्चरों के जरिए ही पहुंचा जा सकता है। जब तक सुरक्षा बल मौके पर पहुंचते, आतंकी कई पर्यटकों की हत्या कर पहाड़ियों की तरफ भाग निकले। उनके मारे जाने या पकड़े जाने की फिलहाल कोई सूचना नहीं है। बचाव अभियान कैसे चला?
घटना की जानकारी मिलते ही सुरक्षा बल मौके के लिए रवाना हुए। वहीं, घायलों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टर भेजे गए। इस बीच, स्थानीय लोगों ने खच्चरों के जरिए घायलों को निकालना शुरू किया। स्थानीय टूरिस्ट गाइड और खच्चर चलाने वालों ने स्थानीय लोगों की मदद से कुछ घायलों को कंधों पर उठाकर मुख्य मार्ग तक लेकर आए। हमले कितना बड़ा और यह समय महत्वपूर्ण क्यों? – 14 फरवरी 2019 को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन आतंकी हमला हुआ था। इसमें 40 जवान बलिदान हुए थे। वहीं, वर्ष 2000 में पहलगाम में अमरनाथ यात्रा के बेस कैंपर पर हमले में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। आतंकियों ने यह हमला ऐसे समय किया है, जब उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर हैं। मार्च 2000 में जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत यात्रा पर आए थे, तब दक्षिण कश्मीर के छत्तीसिंहपुरा में 35 सिखों की हत्या कर दी थी। इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर हैं। वहीं, सवा दो महीने बाद यानी 3 जुलाई से शुरू होने वाली है। जहां पर हमला हुआ, वह इलाका अमरनाथ यात्रा के नूनवान स्थित बेस कैंप से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर है।

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