क्या वोटबैंक की राजनीतिक हिंसा के आग में सुलग रहा बंगाल

क्या वोटबैंक की राजनीतिक हिंसा के आग में सुलग रहा बंगाल
– बदलती जनसांख्यिकी, बढ़ती चिंता का विषय, क्यों जरूरी है टीएमसी के लिए मुस्लिम वोट
– सीमा पार से अवैध घुसपैठ,धार्मिक ध्रुवीकरण और वोट बैंक की राजनीति में जल रहे प्रदेश के लोग
अशोक झा, सिलीगुड़ी: एक समय पश्चिम बंगाल सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता के लिए प्रसिद्ध था। स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने यहीं से पूरी दुनिया को भारत की दिव्यता से परिचित करवाया। लेकिन, यही बंगाल आज देश के सामाजिक विमर्श में एक नई बहस का केंद्र बना हुआ है। खासकर मुर्शिदाबाद जिले को लेकर जो घटनाएं सामने आ रही हैं, वे राज्य में बदलते जनसांख्यिकी पर गहरी चिंता पैदा करते हैं। भाजपा ममता सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए आरपार की तैयारी में है। 30 अप्रैल को यहां का दौरा करने के लिए शुभेंदु अधिकारी ने कोर्ट से इजाजत मांगी थी। न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने स्थानीय भाजपा विधायक को क्षेत्राधिकार वाले पुलिस अधीक्षक (एसपी) को सूचित करने के बाद प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने की अनुमति भी दी। हालांकि, न्यायालय ने उन्हें चेतावनी दी कि वे कोई जुलूस, रैली या भाषण न दें जिससे क्षेत्र में शांति भंग हो सकती है। न्यायालय ने आदेश दिया, “यह अपेक्षा की जाती है कि क्षेत्राधिकार वाले एसपी यह सुनिश्चित करेंगे कि इस तरह की यात्रा के दौरान शांति भंग न हो और यदि आवश्यक हो तो किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया जा सकता है। याचिकाकर्ता संख्या 1, 2 और सुब्रत (कंचन) मोइत्रा उपरोक्त तीन स्थानों पर पीड़ितों से बातचीत कर सकते हैं, हालांकि, वे पीड़ितों के साथ बातचीत के दौरान कोई जुलूस नहीं निकालेंगे या कोई रैली नहीं करेंगे या कोई सार्वजनिक भाषण नहीं देंगे जिससे शांति भंग होने की संभावना हो। शांति और सौहार्द बनाए रखने के उद्देश्य से यह आवश्यक है।वही मुर्शिदाबाद हिंसा के खिलाफ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने गिरफ्तार किया। सरकार के रिपोर्ट में यह प्रमाणित हो गया है कि हिंसा में 109 हिंदुओं के घरों को तोड़ दिया गया। रिपोर्ट के बाद ममता के त्यागपत्र की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को पुलिस ने गिरफ्तार किया और बाद में निजी मुचलके पर छोड़ा। कहते है कि बंगाल में इस तरह की घटनाएं केवल एक बार की समस्या नहीं हैं, बल्कि ये एक लंबे समय में तैयार हुए माहौल का नतीजा है। सवाल भी उठता है कि क्या यह केवल एक जनसंख्या वृद्धि का मामला है या इसके पीछे कोई और कारक भी हो सकते हैं? जनसंख्या में बदलाव प्रजनन दर के अलावा सामाजिक और राजनीतिक कारकों से भी प्रभावित होते हैं। जैसे,सीमा पार से अवैध घुसपैठ,धार्मिक ध्रुवीकरण और वोट बैंक की राजनीति। पश्चिम बंगाल में हिंदू आबादी में गिरावट का रुझान जारी है। जबकि मुसलमानों की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस रिपोर्ट के अनुसार इन वर्षों में हिंदुओं की जनसंख्या जहां 2% अंक कम हुए हैं, वहीं मुस्लिम आबादी 2% अंक बढ़ गए हैं। अगर 2001 से 2011 के बीच पश्चिम बंगाल में धार्मिक आधार पर आबादी में हुई बढ़ोतरी के आंकड़े देखें तो वे प्यू रिसर्च सेंटर के ट्रेंड से पूरी तरह से मेल खाते नजर आते हैं। धार्मिक समुदायों पर 2011 की जनगणना के अगस्त 2015 में जारी आंकड़ों के अनुसार तब बंगाल की कुल आबादी 9.12 करोड़ थी। इनमें से 6.4 करोड़ (70.53%) हिंदू और 2.4 करोड़ (27.01%) मुसलमान थे। राज्य में 2001 में हिंदुओं की जनसंख्या 5.8 करोड़ थी और मुसलमानों की 2 करोड़।पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के विरोध में हुई हिंसा के बाद से मुर्शिदाबाद और आसपास के इलाके दुनिया भर में कुख्यात हो चुके हैं। कुछ ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं, जिससे पता चलता है कि वहां से हजारों हिंदुओं को अपना घर और कारोबार छोड़कर पलायन करने को मजबूर होना पड़ा है। कुछ ऐसी रिपोर्ट भी हैं कि हिंदुओं को इसलिए यह फैसला लेना पड़ा, क्योंकि उपद्रवियों ने पानी के टंकी में जहर मिला दिया। कई पीड़ितों का आरोप है कि वह अपनी जान पर आई आफत की सूचना पुलिस को देते रहे, लेकिन दंगाइयों को समय पर रोक पाने में वे पूरी तरह से नाकाम साबित हुए। मुर्शिदाबाद में हिंदू-मुस्लिम आबादी का सच:
अगर हम बीते छह दशकों में विशेष रूप से मुर्शिदाबाद जिले में हिंदू और मुस्लिम आबादी में आ रहे अंतर को देखें तो यह बात साफ हो जाती है कि इस जिले में कैसे देखते ही देखते आज यह हालात हो चुके हैं कि सरकारी रिकॉर्ड में अल्पसंख्यक कहलाने वालों के डर से हिंदुओं को अपना सबकुछ छोड़कर दूसरों का मोहताज होना पड़ रहा है। यह बदलाव कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी से लग सकता है कि 1961 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार हिंदू-मुस्लिम आबादी में जहां मात्र 11.8% का अंतर था, वहीं 2011 तक आते-आते 33.1% का गैप हो गया।पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में भड़की हिंसा के बीच ममता बनर्जी की सरकार सवालों के घेरे में है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पश्चिम बंगाल यूनिट ने 16 अप्रैल को हिंदू शहीद दिवस के रूप में मनाया। वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इमाम सम्मेलन कर मुर्शिदाबाद हिंसा को सुनियोजित बताया, बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया।उन्होंने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का नाम लेकर कहा कि आप सभी उन्हें वोट देते हैं लेकिन वो बीजेपी को पूरा समर्थन देते हैं। वे (नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू) सत्ता के लिए आपकी बलि भी चढ़ा सकते हैं। ममता बनर्जी ने हिंसा में टीएमसी के भी शामिल होने के आरोप का खंडन किया और कहा कि हमारे नेताओं के घर पर भी हमले हुए हैं। जहां ऐसी घटनाएं हुई हैं, वह सीट कांग्रेस के पास है।बीजेपी और टीएमसी के बीच मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर छिड़ी जुबानी जंग में आरोप यह भी लग रहे हैं कि पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी एकतरफा पॉलिटिक्स कर रही है. बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तो ममता बनर्जी पर यह आरोप लगा दिया कि प्रदेश को अलकायदा की जमीन बना दिया है. बंगाल बीजेपी के सह प्रभारी और आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने मुर्शिदाबाद हिंसा से जुडी एक मीडिया रिपोर्ट का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए ममता बनर्जी पर हमला बोला था।बीजेपी और टीएमसी के बीच मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर छिड़ी जुबानी जंग में आरोप यह भी लग रहे हैं कि पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी एकतरफा पॉलिटिक्स कर रही है. बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तो ममता बनर्जी पर यह आरोप लगा दिया कि प्रदेश को अलकायदा की जमीन बना दिया है. बंगाल बीजेपी के सह प्रभारी और आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने मुर्शिदाबाद हिंसा से जुडी एक मीडिया रिपोर्ट का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए ममता बनर्जी पर हमला बोला था।बदला नहीं, बदलाव चाहिए’ के नारे के साथ सत्ता में आईं ममता बनर्जी आज शायद राज्य के हिंदुओं से बदला ले रही हैं. उन्होंने आगे लिखा कि आखिर तुष्टिकरण की राजनीति के कारण कब तक जलेगा पश्चिम बंगाल? ममता की पार्टी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप बीजेपी लगाती रही है. ऐसे में सवाल है कि टीएमसी मुस्लिम वोटों पर कितना निर्भर है?पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में मुस्लिम समुदाय की अनुमानित भागीदारी 30 फीसदी है. ममता बनर्जी ने विधानसभा में कहा था कि सूबे में 33 फीसदी मुस्लिम हैं. मुस्लिमों का वोटिंग पैटर्न देखें तो इस वर्ग के बीच टीएमसी की पकड़ चुनाव दर चुनाव मजबूत हुई है. सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ सोशल डेवलपमेंट (सीएसडीएस) के मुताबिक 2006 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 22 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे। 2011 के चुनाव में 35 और 2014 के आम चुनाव में 40 फीसदी मुस्लिमों ने टीएमसी को वोट किया. 2016 के विधानसभा चुनाव में 55, आम चुनाव 2019 में 70 और 2021 के विधानसभा चुनाव में 75 फीसदी मुस्लिमों का समर्थन ममता बनर्जी की पार्टी को मिला था. पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में टीएमसी की मुस्लिम वोटबैंक पर पकड़ थोड़ी कमजोर हुई और पार्टी को इस समाज के 73 फीसदी लोगों का समर्थन मिला।2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मजबूत उभार का असर पश्चिम बंगाल की सियासत पर भी पड़ा है. आंकड़ों पर गौर करें तो टीएमसी की पैठ मुस्लिम समुदाय के बीच मजबूत हुई है तो वहीं इसके उलट पार्टी को मिलने वाले हिंदू वोट में गिरावट आई है। बीजेपी हिंदू वोटबैंक में बड़ी सेंध लगाने में सफल रही है।
सूबे के दो विधानसभा चुनावों के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 43 फीसदी हिंदू वोट मिले थे और बीजेपी को 12. पिछले विधानसभा चुनाव में तस्वीर उलट गई. 2021 के चुनाव में बीजेपी को हिंदू मतदाताओं में से 50 फीसदी का समर्थन मिला तो वहीं टीएमसी का समर्थन 43 फीसदी से घटकर 39 फीसदी पर आ गया।
2021 में मुस्लिम बाहुल्य जिलों में कैसे रहे थे नतीजे
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, बीरभूम, दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना और नादिया जिले में मुस्लिम आबादी प्रभावी भूमिका में है. 2011 की जनगणना के मुताबिक मुर्शिदाबाद में 66.3, मालदा में 51.3, उत्तर दिनाजपुर में 49.9, बीरभूम में 37, दक्षिण 24 परगना में 35.6, उत्तर 24 परगना में 25.8 और नादिया में 26.8 फीसदी आबादी मुस्लिम समाज की है.2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को मुर्शिदाबाद की 22 में से 20, मालदा की 12 में से आठ, उत्तर दिनाजपुर की नौ में से सात सीटें जीती थीं. बाकी जिलों के नतीजों की बात करें तो दक्षिण 24 परगना जिले की भांगर सीट छोड़कर टीएमसी ने सभी विधानसभा सीटें जीत ली थीं. फुरफुराशरीफ के धर्मगुरु पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की इंडियन सेक्यूलर फ्रंट (आईएसएफ) के नौशाद सिद्दीकी जीते थे। ममता बनर्जी पिछले ही महीने (मार्च में) फुरफुरा शरीफ गई थीं. नौ साल बाद फुरफुरा शरीफ पहुंचीं ममता बनर्जी ने मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ मीटिंग की थी और इफ्तार में भी भाग लिया था. पीरजादा अब्बास सिद्दीकी और उनकी पार्टी के विधायक नौशाद सिद्दीकी ने सीएम के इस कार्यक्रम से दूरी बना ली थी लेकिन उनके इस दौरे को मुस्लिम वोट गोलबंद करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।0