पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ देशभर में आक्रोश

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ देशभर में आक्रोश

– पाकिस्तान पर कर दो चढ़ाई! पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय मुसलमानों ने कर दी पीएम मोदी से मांग

– कई ओर हमले की रची जा रही है साजिश, सुरक्षा एजेंसी अलर्ट

बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा: पहलगाम की घटना के बाद पाकिस्तान के खिलाफ देशभर में लोगों में आक्रोश है। देश के मुसलमानों ने जुम्मे के नमाज के बाद पीएम मोदी से पाकिस्तान पर चढ़ाई करने की मांग की है। शनिवार तड़के भी पाकिस्तानी सेना ने एलओसी पर फॉरवर्ड भारतीय चौकी पर गोलीबारी की। इसका भारतीय सेना ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। इस गोलीबारी में किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है। वहीं पुलिस गुजरात के सूरत और अहमदाबाद में घुसपैठियों पर कार्रवाई कर रही है। दोनों जगहों से 500 बांग्लादेशी घुसपैठियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। गृह मंत्री अमित शाह के अपील के बाद सभी राज्यों के सीएम घुसपैठियों की पहचान करके उन्हें वापस भेज रहे हैं।वहीं सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं। अधिकारियों के मुताबिक पहलगाम अटैक के बाद इस तरह की सूचनाएं मिली थीं। इन चीजों पर पाबंदी: अधिकारियों ने कहा कि खुफिया सूचनाओं से पता चला है कि आतंकवादी आने वाले दिनों में गैर-स्थानीय लोगों, कश्मीरी पंडितों और सुरक्षा कर्मियों पर हमले की सक्रिय रूप से योजना बना रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि रेलवे का बुनियादी ढांचा एक संवेदनशील लक्ष्य बना हुआ है, क्योंकि घाटी में कई रेलवे कर्मचारी गैर-स्थानीय हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे सुरक्षा कर्मी अक्सर अपने बैरक से बाहर निकल आते हैं और स्थानीय बाजारों में घूमते हैं। उन्हें ऐसा करने से परहेज करने को कहा गया है।स्थानीय लोगों को किया सतर्क:अधिकारियों ने कहा कि इन कर्मियों को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रभाव से ऐसी गतिविधियों को रोकने की चेतावनी दी गई है। स्थानीय लोगों को यह भी चेतावनी दी गई है कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई श्रीनगर और गंदेरबल जिलों में कश्मीरी पंडितों और पुलिसकर्मियों पर लक्षित हमले की योजना बना रही है। इस हमले में आशंका जताई जा रही है कि पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा और उसके आतंकी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने तो ली है, लेकिन साजिश में हमास भी शामिल है।क्योंकि पहलगाम में जिस तरह से एक-एक को नाम पूछकर एक-एक को गोली मारी गई, वह तरीका हमास का है। इसलिए कहा जा रहा है कि पहलगाम आतंकी हमले का कनेक्शन हमास से हो सकता है। भारत की सुरक्षा एजेंसियां इस इनपुट के पुख्ता सबूत जुटाने का प्रयास कर रही हैं। अगर इनपुट सच निकला तो भारत भी हमास को आतंकी संगठन घोषित कर देगा, जबकि भारत ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। बता दें कि 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने दक्षिण कश्मीर के एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल पहलगाम के पास बैसरन घाटी में पर्यटकों पर हमला किया था। हमले में 26 लोग मारे गए थे। पाकिस्तान में रची गई थी “ना पाक” साजिश: जिसके नाम हैं PoK में तैनात लश्कर के टॉप कमांडर अबू मूसा, हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी का कमांडर इदरीस शाहीन, लश्कर के लिए पीओके में भर्ती करने वाले कमांडर मोहम्मद नवाज़, हिजबुल का ऑपरेशनल कमांडर और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के नेता अब्दुल रफ़ा रसूल और लश्कर के फील्ड कमांडर अब्दुल्ला खालिद।फरवरी में ही हो गई थी प्लानिंग: सूत्रों के मुताबिक, साजिश का खाका फरवरी में ही तैयार हो गया था, जिसका एक सबूत सैफुल्लाह कसूरी के 2 फ़रवरी के बयान में छुपा हुआ है, जिसमें उनसे बयान दिया था कि फरवरी 2026 तक कश्मीर इस्लामिक राष्ट्र बन जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, इस भाषण के बाद फरवरी के आख़िरी हफ़्ते में पंजाब के कसूर जिले में सैफुल्लाह कसूरी ने अबू मूसा, इदरीस शाहीन, मोहम्मद नवाज़,अब्दुल रफ़ा रसूल और अब्दुल्ला खालिद के साथ बैठक की थी। खुफिया सूत्रों की मानें तो उन्हें शक है कि हो सकता है इसी बैठक में इन पांचों आतंकियों को सैफुल्लाह कसूरी ने कश्मीर पर बड़ा हमला करने का आदेश दिया हो क्यूंकि कसूरी से मिलने के ठीक के हफ़्ते के भीतर मार्च के पहले हफ़्ते में इन 5 कमांडरों ने पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर के मीरपुर शहर के खम्बल इलाके में एक बैठक की थी, जिसमें सूत्रों को शक है कि इन आतंकियों ने कश्मीर में हमले की योजना और रूपरेखा तय की थी जिसकी विधिवत जांच खुफिया एजेंसी कर रही है।

11 मार्च को कश्मीर आया था सैफुल्लाह कसूरी: यह तथ्य इसलिए भी साफ साबित होता है क्योंकि 11 मार्च को ख़ुद सैफुल्लाह कसूरी पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर के मीरपुर शहर में गया था। यहां कसूरी ने एक जलसे को संबोधित किया और संबोधित करने से पहले ही मंच पर मौजूद लश्कर के कमांडर अबू मूसा से सैफ़ुल्लाह कसूरी गले मिल रहा है पीठ थपथपा रहा था और इदरीस शाहीन भी इस जलसे में शामिल था। सूत्रों के मुताबिक जलसे के बाद सैफ़ुल्लाह कसूरी मेंर्फ़ इन पांचों आतंक के कमांडर के साथ बैठक भी की थी। ऐसे में सूत्रों की मानें इस बात की पूरी आशंका है कि इस बैठक में कश्मीर में बड़े अटैक की रूपरेखा पर चर्चा की गई और आदेश दिया कि हमला बड़ा होना चाहिए और दूसरे राज्य के लोगों पर होना चाहिए।इस बैठक के बाद मार्च महीने के आख़िरी हफ़्ते में मीरपुर में फिर से इन पांचों आतंकियों ने बैठक की और सूत्रों के मुताबिक इसके बाद मार्च महीने के आख़िरी हफ़्ते में मीरपुर के खम्बल में बैठक करके हमले की जगह पहलगाम को चुना गया और 22 अप्रैल का दिन तय किया गया।18 अप्रैल को रावलकोट में इकट्टा हुए 5 आतंकी कमांड: इसके बाद 18 अप्रैल को पहलगाम में हमले से ठीक 4 दिन पहले ये सभी 5 आतंकी कमांडर जिन पर जांच एजेंसियों को शक है वो 18 अप्रैल को पाकिस्तान के कब्जे वाले रावलकोट में इकट्टा हुए और सूत्रों की मानें तो पूरी दुनिया को दिखाने के लिए तो यह मजमा भारतीय सेना द्वारा 17 मार्च को मारे गए आतंकी अब्दुल हलीम की मौत पर शोक सभा का था, लेकिन मज़मे का असल मकसद पहलगाम हमले के प्लान को अंतिम रूप रेखा देना था और उस दिन दी गई तक़रीरों में भी इन आतंकियों के अपने मंसूबे साफ़ कर दिए थे कि ये कश्मीर में आतंकी हमला करने जा रहे हैं। आतंकी संगठन लश्कर का कमांडर अब्दुल्ला खालिद अपने भाषण में धमकी दे रहा था कि जिस तरह से भारतीय सेना ने 17 मार्च को आतंकियों को ढेर किया और पाकिस्तान की फौज पर फायरिंग की थी। ऐसे में वादा कर रहा हूं कि बॉर्डर के उस पार मुजाहिद्दीन की ऐसी लाइन लगायी जाएगी जैसी 1995 से 2001 तक थी। इतना ही नहीं अपने मंसूबे बयान करते हुए इस आतंकी ने कहा था कि हज़ारों मुजाहिद्दीन भारत में भेजेंगे और भारत की नसल ख़त्म करेंगे
आतंकियों के इस मजमे में हरकत उल जिहाद अल इस्लामी का कमांडर इदरीस शाहीन भी मौजूद था और अपनी तकरीर में ना सिर्फ जिहाद ए इस्लामी के कमांडर इदरीस शाहीन ने न सिर्फ भारत को धमकी दी। कहा कि जब आतंकी कश्मीर में हमला करते हैं तब भारत चिल्लाता है लेकिन ये याद रखना कि मुसलमानों के दो ही दुश्मन हैं- एक यहूदी और एक हिंदू। बताते चलें कि हरकत उल जिहाद अल इस्लाम के आतंकियों ने 2003 में गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री हीरेन पांड्या की हत्या की थी। ऐसे में अपनी तकरीर में 2002 के अक्षरधाम मंदिर पर आतंकी हमले का जिक्र करते हुए आतंकी इदरीस शाहीन ने कहा कि साल 2002 में अहमदाबाद में हमला करके मुजाहिद्दीनों ने मोदी को सबक सिखाया था और एक जर्नल को मारा था। ऐसे में और सबक सिखाया जाएगा और कश्मीर में भी जिहाद को बरकरार रखा जाए। कैसे पहलगाम हमले की प्लानिंग को दिया गया अंतिम रूप: पहलगाम हमले की प्लानिंग को अंतिम रूप रेखा देने के लिए आयोजित मजमे में यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का नेता और हिजबुल मुजाहिद्दीन का कमांडर अब्दुल रफा रसूल भी मौजूद था। इस यूनाइटेड जिहाद काउंसिल को पाकिस्तान की सेना ने 90 के दशक में कश्मीर में दहशत फैलाने के लिए बनाया था, जिसमें जैश ए मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन, हरकत उल अंसार के आतंकी शामिल थे और इसके मुखिया सैयद सलाउद्दीन है। अपनी तकरीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर अब्दुल रफा रसूल ने ना सिर्फ कश्मीर में हिंदुओं के खिलाफ जिहाद फैलाने का आव्हान किया बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों से बंदूक उठा कर भारत में जाने की अपील की। इतना ही नहीं हिजबुल के इस कमांडर ने अपनी तकरीर में दावा किया था कि कश्मीर में आने वाले और रहने वाले हिंदू दिल्ली तक कश्मीरियों की मुखबिरी करते हैं। इसी तरह लश्कर के कमांडर मुहम्मद नवाज जिसका बेटा और भाई दोनों भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे उनसे अपनी तकरीर में धमकी देते हुए कहा कि मेरा बेटा और भाई दोनों भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे लेकिन अब वक्त है कश्मीर के जो दहशतगर्दी हमने पेश की थी उसके पीछे जाया जाए (फिर से दोहराया जाए ) आज मैं भी तैयार हूं और मेरे साथ आप लोग भी तैयार हैं। इसी मजमे में सबसे आखिर में तकरीर लश्कर के कमांडर अबू मूसा ने दी थी जिसमें अबू मूसा ने भारत के खिलाफ जिहादी तकरीर देते हुए कहा था कि भारत ने 370 और 35A demographic चेंज के लिए हटाया था, मुसलमानों को अल्पसंख्यक बनने के लिए हटाया लेकिन मुजाहिद्दीनों की बंदूकों ने ना कभी हिंदुओं को बसने दिया और ना ही कभी बसने देंगे। साथ ही अबू मूसा ने धमकी दी कि मुजाहिद्दीन पहले ही भारत को धमकी दे चुके है कि अगर कश्मीर में हिंदू बसेंगे तो उन पर गोलियों की बौछार होगी और सर काटे जाएंगे। सात ही इसी मजमे में भारत में आतंकी संगठन घोषित जमात ए इस्लामी का डिप्टी चीफ जाहिद रफीक भी मौजूद था। आशंका है कि 18 अप्रैल को पहलगाम हमले से सिर्फ 4 दिन पहले पहलगाम से 250 किलोमीटर दूर रावलकोट में मजमा लगा कर ये आतंकी ना सिर्फ भारत के खिलाफ जिहाद का ऐलान कर रहे थे बल्कि अभी तक की पड़ताल में सामने आया है कि हो सकता है कि 18 अप्रैल के मजमे के बाद इन कमांडरों ने पहलगाम में हमला करने वाले आतंकियों को भारत में घुसाया हो क्योंकि रावलकोट हमेशा से भारत में घुसपैठ करने वाले आतंकियों का लॉंच पैड रहा है और खुफिया सूत्रों के मुताबिक रावलकोट में हिजबुल मुजाहिदीन और जैश के 50 से ज़्यादा ट्रेनिंग कैम्प भी है। इतना ही नहीं एजेंसियों को ये भी शक है कि सैफुल्लाह कसूरी और कसूरी के द्वारा 5 टॉप आतंकी कमांडरों से हमला का प्लान और आतंकी हमला करवाने की ये पूरी पटकथा पाकिस्तानी सेना और ISI ने लिखी हो क्योंकि सैफुल्लाह कसूरी के पाकिस्तान की सेना के साथ ना सिर्फ अच्छे संबंध हैं बल्कि कसूरी की एक तस्वीर भी है, जिसमें कसूरी पाकिस्तानी रेंजर्स के अधिकारी ज़ाहिद ज़रीन के साथ एक कार्यक्रम में मौजूद है। गुलदस्ता लेकर फोटो खिंचवा रहा है और घूम रहा है। ऐसे में एक बात तो साफ़ है कि सैफुल्लाह, अबू मूसा, इदरीस शाहीन, मोहम्मद नवाज़,अब्दुल रफ़ा रसूल और अब्दुल्ला खालिद सिर्फ़ वो चेहरे है जो दिखाई दे रहे हैं और सारे डॉट्स हमले के तार सीधा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और पाकिस्तानी सेना से जोड़ रहे है जिनका पुराना ट्रैक रिकॉर्ड भारत में आतंकी हमले करवाने का है। फ़िलहाल खुफिया एजेंसियां प्रारंभिक स्टेज में पहलगाम हमले में इस थ्योरी पर पहुंची है और जांच अभी भी जारी है. ऐसे में देखना होगा कि आने वाले दिनों में और कौन से सबूत ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ लगते हैं और कौन से किरदार सामने आते हैं।

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