बंगाल के राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद हिंसा के लिए जांच आयोग बनाने की सिफारिश
सीएम ने कहा उन्हें रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं

अशोक झा, कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने एक रिपोर्ट जारी की है। जब से ये रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है। बंगाल में बवाल मचा हुआ है। रिपोर्ट में राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए गए है, जिसे लेकर विपक्ष हमलावर है तो वहीं सीएम ममता बनर्जी ने भी पलटवार किया है। मुर्शिदाबाद दौरे पर ममता बनर्जी ने कहा, ”मुझे बोस की गृह मंत्रालय को दी गई रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं है। राज्यपाल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। हम ईश्वर से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं।” इस बीच, सीएम बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर केंद्र सरकार के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा, ”हमारी पार्टी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सरकार के साथ है।
‘मुर्शिदाबाद में स्थिरता बहुत पहले ही लौट आयी- ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री ने कहा, ”मैं मुर्शिदाबाद पहले भी जा सकती थी लेकिन अगर वहां शांति और स्थिरता नहीं है तो हमें वहां जाकर व्यवधान नहीं डालना चाहिए। मुर्शिदाबाद में स्थिरता बहुत पहले ही लौट आयी है। चलिए जानते हैं कि आखिर क्या लिखा है इस रिपोर्ट में। पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद वक्फ कानून के विरोध में भड़की हिंसा के करीब महीने भर बाद फिर सुर्खियों में है। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने हिंसा को लेकर केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपी है। जिसमें TMC सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस रिपोर्ट का ही असर है कि सीएम ममता बनर्जी को सोमवार को मुर्शिदाबाद का दौरा करने पर मजबूर होना पड़ा। गवर्नर सीवी आनंद बोस की केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौपी रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल को कट्टरपंथ और उग्रवाद से सबसे ज्यादा खतरा है। जो खासतौर पर बांग्लादेश से सटे मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में ज्यादा है, क्योंकि इन जिलों में हिंदू आबादी अल्पसंख्यक हैं। गवर्नर के मुताबिक मुर्शिदाबाद हिंसा प्री-प्लांड थी। राज्य सरकार को पहले से खतरे का अंदेशा था। राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में कोऑर्डिनेशन की कमी थी। गवर्नर की रिपोर्ट में मुर्शिदाबाद हिंसा के सिर्फ कारणों का जिक्र नहीं है बल्कि केंद्र सरकार को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ सुझाव भी दिए गए हैं, जिनके मुताबिक बांग्लादेश से सटे सीमावर्ती जिलों में सेंट्रल फोर्सेस की चौकियां बनाई जाएं। मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच के लिए एक आयोग गठित हो। केंद्र सरकार ‘संवैधानिक विकल्पों’ पर विचार करे, ताकि राज्य में कानून व्यवस्था बनी रहे। हालात बिगड़ने पर आर्टिकल 356 के जरिए राष्ट्रपति शासन पर विचार किया जाए।हालांकि राज्यपाल ने ये साफ किया कि अभी इसकी जरूरत नहीं है। बता दें कि मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में 11 और 12 अप्रैल को हिंसा हुई थी। प्रदर्शनकारियों ने बसें जलाईं थी और पथराव हुआ था, जिसमें 3 लोग मारे गए थे और कई हिंदू परिवारों को इलाके से पलायन करना पड़ा था। जाहिर है राज्यपाल आनंद बोस 19 अप्रैल को हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद पहुंचे थे और हिंसा पीड़ित परिवारों से मिलकर ये रिपोर्ट तैयार की, जिसका असर है कि सीएम ममता बनर्जी को सोमवार को मुर्शिदाबाद का दौरा करना पड़ा। ममता ने लोगों से साम्प्रदायिक हिंसा से बचने की अपील की। मुर्शिदाबाद हिंसा पर गवर्नर की रिपोर्ट और ममता बनर्जी के दौरे पर सियासत भी गरमाई। बीजेपी नेताओं ने निशाना साधा। पश्चिम बंगाल में करीब 30% आबादी मुस्लिम है। इनकी सबसे ज्यादा तादाद मुर्शिदाबाद, मालदा और नॉर्थ दिनाजपुर जिलो में है। इसे TMC का कोर वोटर माना जाता है। मुर्शिदाबाद में साम्प्रदायिक हिंसा और प्रदर्शनों का पुरानी इतिहास रहा है। चाहे 2019 का नागरिकता संशोधन कानून हो या 2024 में रामनवमी का जुलूस, तब हिंसा में ना केवल सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहंचा था बल्कि आम लोग और पुलिस जवान घायल हुए थे। इसके बाद भी सरकार और प्रशासन ने सबक नहीं लिया जिसके चलते हिंसा भड़की अब इस पर सियासत जोरों पर है।