आज मनाया जा रहा है कवि गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर की जयंती
अपने अपने तरीके से उन्हें लोग कर रहे याद, युद्ध के बीच सीमांत क्षेत्रों में बज रहे रविन्द्र संगीत

अशोक झा, सिलीगुड़ी: कवि गुरु रविन्द नाथ टैगोर की 164वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है। भारत के पश्चिम बंगाल के एक महान बंगाली कवि, लेखक, चित्रकार, समाज सुधारक और दार्शनिक थे; वे विश्व के एकमात्र कवि थे जिनके गीत दो स्वतंत्र राष्ट्रों – भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान हैं।’गुरुदेव’, ‘कविगुरु’ और ‘विश्वकवि’ जैसी उपाधियों से सम्मानित टैगोर ने साहित्य, संगीत और कला में उल्लेखनीय योगदान दिया तथा भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास को आकार दिया।
रवींद्रनाथ टैगोर एशिया के प्रथम व्यक्ति थे, जिन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।रवींद्रनाथ टैगोर दुनिया के संभवत: एकमात्र ऐसे कवि हैं, जिनकी रचनाओं को दो देशों ने अपना राष्ट्रगान बनाया. टैगोर को प्रकृति का सानिध्य काफी पसंद था. उनका मानना था कि छात्रों को प्रकृति के सानिध्य में शिक्षा हासिल करनी चाहिए. अपने इसी सोच को ध्यान में रख कर उन्होंने शांति निकेतन की स्थापना की थी।भारत के सबसे प्रसिद्ध कवियों, लेखकों और सांस्कृतिक प्रतीकों में से एक थे। यह दिन विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारतीय साहित्य, संगीत और संस्कृति के प्रति उनके योगदान का सम्मान करता है। टैगोर का काम पीढ़ियों को प्रेरित करता रहता है और उन्हें बहुत सम्मान के साथ याद किया जाता है। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म तो 7 मई यानी बुधवार को पड़ रही है। लेकिन तिथि के अनुसार आज यानि 9 मई को उनका जन्मतिथि है। इस वर्ष, रवींद्र जयंती रवींद्रनाथ टैगोर की 164 वीं जयंती मनाती है और यह उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत को याद करने का दिन है। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में देवेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के घर हुआ था। रवींद्र जयंती आमतौर पर बंगाली कैलेंडर के अनुसार, बोइशाख महीने के 25 वें दिन मनाई जाती है और इस प्रकार, इस दिन को पोचिशे बोइशाख भी कहा जाता है। रवींद्र जयंती 2025 पश्चिम बंगाल में 9 मई को पड़ती है। हालाँकि, भारत के अन्य हिस्सों में, लोग 7 मई को रवींद्रनाथ टैगोर जयंती मनाएँगे। बांग्लादेश में, रवींद्र जयंती 2025 8 मई को पड़ती है। रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2025 इतिहास – रवींद्रनाथ टैगोर शारदा देवी और देबेंद्रनाथ टैगोर के पुत्र थे और कोलकाता के प्रतिष्ठित जोरासांको ठाकुरबाड़ी में पले-बढ़े थे। उन्होंने अपनी शिक्षा घर पर ही प्राप्त की और कम उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया और जल्द ही अपने कई समकालीनों से आगे निकल गए। टैगोर ने साहित्य और राजनीति के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता दिखाई। उनकी कविताएँ, गीत, लघु कथाएँ, नाटक और उपन्यास आज भी कई लोगों द्वारा सराहे जाते हैं। टैगोर ने जन गण मन भी लिखा, जो भारत का राष्ट्रगान बन गया। उन्होंने बांग्लादेश और श्रीलंका के लिए भी राष्ट्रगान की रचना की। 1913 में टैगोर ने ‘गीतांजलि’ के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति के रूप में इतिहास रचा, जो संवेदनशील बंगाली कविताओं का एक संग्रह है। उन्होंने 1929 में और फिर 1937 में विश्व धर्म संसद में भाषण दिए। रवींद्रनाथ टैगोर को अक्सर बंगाल के कवि के रूप में सम्मानित किया जाता है और उन्हें गुरुदेव, कविगुरु और विश्व कवि जैसे लोकप्रिय नामों से जाना जाता है। रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2025 महत्व और उत्सव – रवींद्र जयंती या पोचिशे बोइशाख रवींद्रनाथ टैगोर का जन्मदिन मनाने से कहीं ज़्यादा है, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन है। पश्चिम बंगाल और दुनिया भर के अन्य बंगाली समुदायों में, इस दिन को टैगोर की रचनाओं पर आधारित साहित्यिक पाठ, संगीत, नृत्य प्रदर्शन और प्रदर्शनियों के साथ मनाया जाता है। शैक्षणिक संस्थान, सांस्कृतिक संगठन और टैगोर के प्रशंसक रवींद्र संगीत (टैगोर के गीत), नाटक, कविता पाठ और व्याख्यानों के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। टैगोर ने लगभग 2,230 गीत लिखे और लगभग 3,000 पेंटिंग बनाईं। उन्होंने पश्चिम बंगाल के बोलपुर में स्थित शांतिनिकेतन में ईश्वर भारती विश्वविद्यालय की भी स्थापना की। उनकी रचनाएँ सद्भाव, सहानुभूति और विविधता के उत्सव की वकालत करती हैं। रवींद्र जयंती समारोह युवा पीढ़ी को उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में जानने के लिए प्रेरित करने में मदद करते हैं।रवींद्रनाथ टैगोर के पिता का नाम देवेंद्रनाथ टैगोर था। उनकी माता शारदा देवी थीं। रवींद्रनाथ 14 भाई बहनों में सबसे छोटे थे। वह बचपन से पढ़ाई में होनहार थे। टैगोर ने प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की। उनका सपना बैरिस्टर बनने का था, जिसे पूरा करने के लिए टैगोर ने 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजस्टोन पब्लिक स्कूल में दाखिला दिया। लंदन कॉलेज विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की लेकिन 1880 में बिना डिग्री लिए ही भारत वापस आ गए।टैगोर का लेखन और करियर: रवींद्रनाथ टैगोर को बचपन से ही कविताएं और कहानियां लिखने का शैक था। जब वह महज आठ साल के थे, तब उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी। वहीं 16 साल की उम्र में टैगोर की पहली लघुकथा प्रकाशित हो गई थी। जब वह पढ़ाई करके वापस भारत आए तो उन्होंने फिर से लिखना शुरू किया। टैगोर ने 1901 में पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में शांतिनिकेतन स्थित एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की थी। इस विद्यालय में पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा का समन्वय किया गया। 1921 में यह विद्यालय विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया।