राजस्थान की रेत में हौसले के हुनर से खिला एक फूल नाम है रूमा देवी,दुनिया में फैल रही इसकी महक

दिल्ली फेयर 2020 में राजस्थान की आठवीं पास रूमा देवी हैं छाई

 

नईदिल्ली। पाकिस्तान से सटे राजस्थान के बाड़मेर जिले की आठवीं पास रूमा देवी किसी परिचय की मोहताज नहीं है। अपनी काबिलियत और जुनून से उन्होंने दुनिया को बताया कि कोई भी बाधा किसी कामयाबी के आड़े नहीं आती। ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपोर्ट में शुक्रवार से शुरू हुए देश के सबसे बड़े हस्तशिल्प मेले में रूमा देवी छाई हैं। मेले का शुभारंभ करने आए केंद्रीय वस्त्र सचिव यूपी सिंह उनकी सफलता की कहानी मंच से बताने के बाद जब मेले का भ्रमण करने निकले तो उनसे भी मुलाकात हो गयी। रूमा को महिला सशक्तिकरण की जीती जागती मिसाल बताते हुए कहा कि इनके हुनर का डंका हावर्ड यूनिवर्सिटी तक बज चुका है। 8वीं पास रूमा देवी ने करीब 22 हजार महिलाओं को रोजगार मुहैया करवाया है।

रूमा ने बताया कि बचपन से ही उन्हें कशीदाकारी का काम आता था। इस हुनर को ही उन्होंने अपना हथियार बनाया और वो दीप-देवल नाम के एक एनजीओ से जुड़ गईं। कशीदाकारी के काम करने वाली रूमा देखते-देखते सबकी चहेती बन गई। साल 2010 में उन्हें एनजीओ का अध्यक्ष बना दिया गया। आज रूमा के समूह से जुड़ी महिलाओं के कशीदाकारी कपड़ों की विदेशों तक में मांग है। मेले में आए विदेशी कारोबारी उनके संग सेल्फी करने को उत्सुक दिखे। रूमा ने बताया कि अपने पैरों पर खड़ी होने के बाद दूसरी महिलाओं को भी सशक्त करने के लिए एनजीओ से जोड़ना शुरू किया। आज इस एनजीओ से 75 गांवों की 22 हजार महिलाएं जुड़ चुकी हैं। ये महिलाएं हस्तशिल्प के उत्पाद बनाकर अपना घर चलाती हैं। एनजीओ का हस्तशिल्प से बना उत्पाद विदेशों में जाता है। रूमा के बनाए कपड़ों को लंदन, जर्मनी, सिंगापुर और कोलंबो के फैशन शो में भी दिखाया जा चुका है। एक्सपो में आयोजित फैशन शो में भी रूमा के कपड़ों संग मॉडल कैटवाक करती दिखेगी।

चार साल की उम्र में मां छोड़ गई

रूमा ने बताया कि1989 में बाड़मेर के रावतसर में जन्म हुआ। जब वह चार साल की थीं तो मां का निधन हो गया। उसके बाद जीवन मानो रूठ गया। जैसे-तैसे 8वीं तक पढ़ाई की। फिर घरवालों ने पढ़ाई बंद करवाकर शादी कर दी। गृहस्थी जीवन संभला भी नहीं था कि बच्चा बीमार पड़ गया। ससुराल में पैसों की कमी के कारण उसका इलाज नहीं हो सका और उसकी मौत हो गई। यहीं से हमने ठाना कि वो अब नियति के भरोसे नहीं बैठ सकती हैं। गरीबी ने उनसे पढ़ाई, बच्चा और खुशी सबकुछ छीन लिया था। उन्होंने निश्चिय कर लिया था कि अब वो अपने पैरों पर खड़ी होंगी। आज आपके सामने इस एक्सपो में हूं।

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