काशी में आदि से अनंत की यात्रा का महापर्व, चिता भस्म की देखिए अनूठी होली
*काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर जलते चिताओं के बीच अनंत में आनंद विभोर होकर भक्तों ने खेली भस्म होली*
*रगंभरी एकादशी के दुसरे दिन महामशान मणिकर्णिका घाट पर खेली गयी चिता भस्म की होली*
सुबह से भक्त जन दुनिया की दुर्लभ, चिता भस्म से खेली जाने वाली होली की तैयारी में लग गये थे। और जहा दुःख व अपनो से बिछडने का संताप देखा जाता था वहां आज शहनाई की मंगल ध्वनि बज रही थी हर शिवगण अपने-अपने लिए उपयुक्त स्थान खोज कर इस दिव्य व अलौकिक दृश्य को अपनी अन्तंरआत्मा में उतार कर शिवोहम् होने को अधिर हुए जा रहा था।
जब समय आया बाबा के मध्याह्न स्नान का उस समय मणिकर्णिका तीर्थ पर तो भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। हजारों हजार की संख्या में भक्तों का जन सैलाब मणिकर्णिका घाट पर पहुंच रहा था।
(यह कहा जाता हैं कि बाबा दोपहर में मध्याह्न स्नान करने मणिकर्णिका तीर्थ पर आते हैं तत्पश्चात सभी तीर्थ स्नान करके यहां से पुन्य लेकर अपने स्थान जाते हैं और उनके वहां स्नान करने वालों को वह पुन्य बांटते हैं)
अंत बाबा स्नान के बाद अपने प्रिय गणों के साथ मणिकर्णिका महामशान पर आकर चिता भस्म से होली खेलते है। वर्षों की यह परम्परा अनादि काल से यहा भव्य रूप से मनायी जाती रही हैं।
इस परम्परा को पुनर्जीवित किया बाबा महाश्मसान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने जो पिछले 23 वर्षों से इस परम्परा को भव्य रूप देकर दुनिया के कोने कोने तक जन सहयोग से पहुंचाया है।
गुलशन कपूर ने इस कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा की काशी में यह मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना (विदाई) करा कर अपने धाम काशी लाते हैं जिसे उत्सव के रूप में काशीवाशी मनाते है और रंग का त्योहार होली का प्रारम्भ माना जाता है, इस उत्सव में सभी शामिल होते हैं जैसे देवी, देवता,यछ,गन्धर्व, मनुष्य और जो शामिल नहीं होते हैं वो हैं बाबा के प्रिय गण भूत, प्रेत, पिशाच,किन्नर, दृश्य, अदृश्य, शक्तियाँ जिन्हें बाबा ने स्वयं मनुष्यों के बीच जाने से रोक रखा है।
लेकिन बाबा तो बाबा हैं वो कैसे अपनो की खुशियों का ध्यान नहीं देते अंत सब का बेडा पार लगाने वाले शिवशंकर उन सभी के साथ चिता भस्म की होली खेलने मशान आते हैं और आज से ही सम्पूर्ण विश्व को प्रंश्नता, हर्ष-उल्लास देने वाले इस त्योहार होली का आरम्भ होता हैं जिसमें दुश्मन भी गले मिल जाते हैं।
चूंकि इस पारंपरिक उत्सव को काशी के मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच मनाया जाता हैं जिसे देखने दुनिया भर से लोग काशी आते हैं। और इस अद्भुत,अद्वितीय,अकल्पनीय होली को देखकर,खेलकर दुनिया की अलौकिक शक्तियों के बीच अपने को खड़ा पाते हैं और जीवन के सास्वत सत्य से परिचित होकर बाबा में अपने को आत्म शांत करते हैं।
आज इस आयोजन में काशी के संत सत्तूआ बाबा आश्रम के महामण्डलेश्वर श्री श्री संतोष दास जी के सानिध्य में पूजन प्रारंभ हुआ जिसमें गुलशन कपूर ने बाबा महाश्मशान नाथ और माता मशान काली ( शिव शक्ति ) का मध्याह्न आरती कर बाबा को जया, विजया,मिष्ठान, व सोमरस का भोग लगाया गया । बाबा व माता को चिता भस्म व माता मशान काली का लाल गुलाल व देश प्रदेश में मोदी योगी के साथ सनातनी रक्षा की पार्टी भाजपा के विजयी होने पर केशरीया गुलाल चढा कर होली प्रारंभ किया जिससे पुरा मंदिर प्रांगण और शवदाह स्थल भस्म से भर गया , इस उत्सव में इस वर्ष विशेष रूप से महामण्डलेश्वर श्री संतोष दास (सत्तूआ बाबा) गुलशन कपूर, मंहत श्री संजय झीगंरन, अध्यक्ष श्री चैनू प्रसाद गुप्ता, विजय शंकर पांडेय,राजू पाठक,बिहारी लाल गुप्ता, संजय गुप्ता, संतोष सेठ, गोलू झा, नित्यानंद त्रिपाठी,मनोज शर्मा,दीपक तिवारी,विवेक चौरसिया, मृत्युंजय सिंह, अजय गुप्ता,बडंकु यादव सहित हजारों महिला, पुरुष, किन्नर शामिल हुए ।
विशेष: बाबा की आरती से पहले यह प्रार्थना की गयी देवाधिदेव महादेव,महाकाल सब की रक्षा करे अपने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को दीर्घायु व शस्कत बनाये और पूरे विश्व जगत का कल्याण करें । तत्पश्चात आरती प्रारंभ हुआ।