बढते प्रदूषण से जहरीली होती जा रही है बुन्देलखंड की हवा
बुन्देलखंड मे तकरीबन 350 स्टोन क्रेसर यहां के पहाडों और जंगलों का सर्वनाश करने पर आमादा
बांदा / लगातार बढते प्रदूषण से बुन्देलखंड की हवा जहरीली होती जा रही है। पंजाब, हरियाणा में जलाई जा रही पराली,जहरीला-काला धुआं उगलते वाहनों, स्टोन क्रेसरों, नदियों,पहाडों, पत्थरों, बालू,मोरंग,आदि के अंधाधुंध खनन से उडने वाली डस्ट का असर बुन्देलखंड में भी दिखने लगा है। सुबह-शाम वायु मंडल में दबाव की वजह से यहां का पर्यावरण लगातार प्रदूषित होता जा रहा है। नतीजतन यहां के सातों जिलों-झांसी,ललितपुर,जालौन, बांदा,चित्रकूट,महोबा,और हमीरपुर,का एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) लगभग 250 माइक्रो घनमीटर के पार पहुंच गया है। जिसे लोगों की सेहत के लिए खतरनाक माना जा रहा है।
वायु प्रदूषण की वजह से यहां की हवा लगातार प्रदूषित होती जा रही है। खासकर सुबह 5.00 से 8,00 बजे तक, और शाम 7.00 से 10.00 बजे तक छा रही धुंध ने यहां का एक्यूआई बढ़ा दिया है। मौसम विभाग की वेबसाइट के मुताबिक रविवार को चित्रकूट जिले का एक्यूआई 266 माइक्रो घनमीटर रहा। जो चित्रकूट मंडल में सबसे ज्यादा था। दूसरे नंबर पर हमीरपुर, तीसरे पर महोबा, और चौथे नंबर पर बांदा जिले का एक्यूआई रहा। एक्यूआई 200 के पार होने पर स्थिति चिंताजनक मानी जाती है। लेकिन क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड फिलहाल इसे गंभीर स्थिति की श्रेणी में नहीं मान रहा है।
बांदा जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. हृदयेश पटेल और ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज चिकित्साधिकारी डॉ. विनीत सचान ने बताया कि करीब 15 फीसदी मरीज श्वांस और हृदय रोग के बढ़े हैं। डॉ. पटेल ने बताया कि ओपीडी में रोजाना 20-25 मरीज श्वांस और 15-20 मरीज हृदय रोग के आ रहे हैं। डॉ. सचान ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर में रोजाना 10-12 मरीज सांस के भर्ती हो रहे हैं। हृदय रोग के भी 7-8 मरीज रोजाना इलाज को आ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह धूल, धुआं और धुंध आदि है।
बुन्देलखंड मे हैं 350 से ज्यादा स्टोनक्रेसर
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बुन्देलखंड मे तकरीबन 350 स्टोन क्रेसर यहां के पहाडों और जंगलों का सर्वनाश करने पर आमादा हैं। सर्वाधिक स्टोन क्रेसर चित्रकूट के भरतकूप,और शिवरामपुर, मे स्थापित हैं। दूसरे नंबर पर महोबा और कबरई मे हैं। यह स्टोन क्रेशर इन दोनो जिलों के तकरीबन 200पहाड कुछ सालों के दरम्यान उदरस्थ कर चुके हैं। बांदा से महोबा जाते समय कबरई से लेकर महोबा तक क्रेसरों की उडती डस्ट से सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
ऐसे ही हाल बांदा से चित्रकूट आने-जाने मे भरतकूप,शिवरामपुर के मध्य होते हैं। बांदा के मटौंध, गिरवां पनगरा, नरैनी, आदि मे भी करीब 50 क्रेसर दिन-रात पहाडों को चबा रहे हैं। हमीरपुर,ललितपुर,झांसी मे भी पहाडभच्छी क्रेसरों की संख्या कम नहीं है। सब मानक के विपरीत चलाये जा रहे हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बांदा के छेत्रीय प्रबंधक राजेन्द्र प्रसाद का कहना है कि वायु प्रदूषण बढने के तीन प्रमुख कारण हैं। पहला- किसानों द्वारा पराली जलाने से उठ रहे धुआं की वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है। दूसरा- ठंड में नमी और वायु के दबाव से धूल, धुआं ऊपर पहुंचने की बजाय नीचे रहकर प्रदूषण बढा रहा है। तीसरा – आटो मोबाइल आदि है। इन्हीं कारणों से एक्यूआई बढ़ जाता है। हालांकि मंडल के चारों जनपदों में वायु प्रदूषण की स्थिति फिलहाल चिंताजनक नहीं है।