काशी में संत रविदास घाट से गंगा में छोड़ी गई दो लाख मछलियां

नदी से लेकर मछुआरों तक को होगा जबर्दस्त फायदा 

सिफरी द्वारा दो लाख मत्स्य बीज का वाराणसी के गंगा नदी में संचय किया गया

वाराणसी। नमामि गंगे योजना के सौजन्य से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत मंगलवार को गंगा में मछलियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए केंद्रीय अंतरस्थली मत्स्यकी अनुसंधान संस्थान सिफरी के द्वारा संत रविदास घाट पर दो लाख मछलियां छोड़ी गई। विदित हो कि नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की स्वच्छता और भूगर्भ जल के संरक्षण के लिए समग्र प्रयास किए जा रहे हैं। ये भी उसी का एक हिस्सा है। योजना के क्रियान्वयन से स्थानीय मछलियों के प्रजाति के जर्म-पलाज्म का पुनर्स्थापन तथा जैव विविधता का संतुलन एवं संरक्षण हो सकेगा तथा प्रति इकाई क्षेत्रफल में मत्स्य उत्पादन में अभिवृद्धि से जीविकोपार्जन हेतु शिकारमाही पर निर्भर मछुआरों की आय बढ़ोतरी होगी तथा उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। संत रवि दास घाट पर गंगा नदी में 200000 (दो लाख ) भारतीय प्रमुख कार्प-कतला, रोहू, मृगल मछलियों के बीज को रैंचिंग सह जन जागरूकता कार्यक्रम के तहत छोड़ा गया। अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ बि॰ के॰ दास ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए गंगा नदी में मछली और रैंचिंग के महत्व को बताया। उन्होने कहा कि इस वर्ष गंगा नदी में कम हो रहे महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों के 22 लाख से ज्यादा बीज का रैंचिंग होना रखा गया है। कार्यक्रम के अतिविशिष्ट अतिथि डाॅ॰ बी पी मोहंती अतिरिक्त महानिदेशक (अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी), आईसीएआर , नई दिल्ली ने
ने कहा कि गंगा की अविरलता और निर्मलता बनाए रखने के लिए सभी जन का सहयोग जरूरी है। बताया कि गंगा में प्रदूषण को नियंत्रित करने और नदी का इको सिस्टम बरकरार रखने के लिए रिवर रांचिंग प्रोसेस का भी प्रयोग किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में गंगा में अलग-अलग प्रजाति की मछलियां छोड़ी जाती हैं। यह मछलियां नाइट्रोजन की अधिकता बढ़ाने वाले कारकों को नष्ट करती हैं । ये मछलियां गंगा की गंदगी को तो समाप्त करती हैं । साथ ही जलीय जंतुओं के लिए भी हितकारी होती हैं। नमामि गंगे ( गंगा विचार मंच) के प्रांत सह संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि स्थानीय मछुआरों की आजीविका बढ़ाने में यह योजना मददगार साबित हो रही है। मछली की संख्या में इजाफा होने से नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में मदद मिलेगी। पतित पावनी गंगा की अविरल धारा को स्वच्छ बनाने की जरूरत है ताकि मां गंगा के अस्तित्व को बचाया जा सके।। इस अवसर अनिल कुमार, मत्स्य उप निदेशक, उ प्र, गंगा टास्क फोर्स से लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील गुहानी, सुबेदार शिवेंद सिंह, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रो.राधा चौबे व जंतु विज्ञान विभाग के छात्र-छात्राएं, शिवदत्त द्विवेदी ,पुष्पलता वर्मा, गंगा प्रहरी दर्शन निषाद उपस्थित रहे कार्यक्रम के प्रारंभ में फिसरी के केंद्र प्रभारी डॉ धर्म नाथ झा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में आस-पास गाव के मत्स्य पालक, मत्स्य व्यवसायी तथा गंगा तट पर रहने वाले स्थानीय लागों ने भाग लिया। अन्त में संस्थान के वैज्ञानिका डा० वी आर ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन किया, डॉ मितेश रामटेक, डॉ विकास कुमार, डॉ जितेन्द्र कुमार एवं अन्य अधिकारियों और शोधार्थीयों की सहभागिता रही ।

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