भारत सरकार ने बीएचयू वैज्ञानिक को किया पीसीपीएनडीटी अधिनियम के सदस्य के रूप में नामित

मानव आनुवांशिकी के प्रख्यात वैज्ञानिक प्रो. परिमल दास नामित किये गए सदस्य

वाराणसी: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, ने मानव आनुवांशिकी के प्रख्यात विशेषज्ञ तथा सेन्टर फ़ॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, के समन्वयक प्रो. परिमल दास को गर्भधारण-पूर्व एवं प्रसव-पूर्व नैदानिक तकनीक (लिंग चयन का प्रतिषेध) अधिनियम 1994 का सदस्य नामित किया है। इस अधिनियम (पीसीपीएनडीटी अधिनियम 1994) का उद्देश्य लिंग निर्धारण के लिए गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीको का दुरुपयोग रोकना है, जिससे कन्या भ्रूण हत्या के मामलों पर रोक लगाई जा सके तथा आनुवांशिक विकारों की रोकथाम के लिए ऐसी तकनीकों का विनियमन किया जा सके। प्रो. दास ने मेडिकल जेनेटिक्स के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। पीसीपीएनडीटी अधिनियम में प्रो. दास की नियुक्ति से इसके उद्देश्यों को प्राप्त करने में इसकी प्रभावशीलता बढ़ने की उम्मीद है। अपनी नियुक्ति पर प्रतिकिया देते हुए प्रो. दास ने कहा कि वे पीसीपीएनडीटी अधिनियम के सदस्य बनाए जाने पर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। यह अधिनियम लिंग आधारित हिंसा को रोकने और सभी के लिए प्रजनन स्वास्थ्य और आनुवांशिक परामर्श सेवाएं सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि वे इस अधिनियम के उद्देश्यों की प्राप्ति की दिशा में अन्य सदस्यों के साथ मिलकर कार्य करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
प्रो. परिमल दास की नियुक्ति मानव आनुवांशिकी के क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता तथा वृहद अनुभव को परिलक्षित करती है। उनके पीसीपीएनडीटी अधिनियम सदस्य बनने से इसके प्रभावी कार्यान्वयन के साथ साथ प्रजनन स्वास्थ्य और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार के प्रयासों को और मज़बूती मिलने की उम्मीद है।

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