खेलो बीएचयू : खेल संस्कृति को और प्रोत्साहित करने के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने किया धनराशि का विशेष आवंटन

पहली बार किया गया है खेलों के लिए इस प्रकार विशेष रूप से व उदार आवंटन

वाराणसी: सभी खेलों के लिए एक मजबूत ढांचा बनाकर देश में खेल संस्कृति को जमीनी स्तर पर पुनर्जीवित करने तथा और भारत को एक महान खेल राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने खेलो इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की है। विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थान युवा खेल प्रतिभाओं के पोषण व प्रोत्साहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे जमीनी स्तर से उभरने वाली प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मंच प्रदान करते हैं। खेलो इंडिया पहल की भावना को आगे बढ़ाते हुए, काशी हिंदू विश्वविद्यालय अब परिसर में खेल संस्कृति और बुनियादी ढांचे का तेज़ी से विस्तार और निर्माण करके खेलो बीएचयू के विचार को साकार कर रहा है।

खेलों के लिए विशेष फंडिंग: विश्वविद्यालय ने पहली बार खेल गतिविधियों के लिए छात्रावासों में प्रति छात्र विशेष रूप से तथा उदार धनराशि आवंटित की है। सरल शब्दों में, बीएचयू के छात्रावास में रहने वाले प्रत्येक विद्यार्थी हेतु विश्वविद्यालय ने खेल के लिए लगभग 25% अतिरिक्त धन का प्रावधान किया है। गौरतलब है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने पहले ही छात्रावासों के लिए प्रति छात्र आवंटन को लगभग दो साल पहले की तुलना में तकरीबन पांच गुना तक बढ़ा दिया है। खेलों के लिए आवंटन छात्रों के लिए समग्र वित्त आवंटन के अतिरिक्त है।

कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए उनके जीवन में शारीरिक गतिविधियों और खेलों के महत्व को बार-बार रेखांकित किया है। उन्होंने विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों और प्रमुख पदाधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि सभी छात्र खेल गतिविधियों में भाग लें और केवल अपनी कक्षाओं, प्रयोगशालाओं और छात्रावास के कमरों तक ही सिमटे न रहें। प्रो. जैन ने कहा “छात्रावासों में विद्यार्थियों के लिए सबसे जीवंत छात्र जीवन सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम इस संबंध में महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। छात्रावास का, विशेष रूप से खेलों के लिए, धनराशि आवंटन बढ़ाना इस दिशा में एक ऐसा ही कदम है”।

खेल के बुनियादी ढांचे का विस्तार:
खेल उपकरण और सुविधाओं का विकास: विश्वविद्यालय एक नया बैडमिंटन कोर्ट शुरु करने की प्रक्रिया में है। इस तरह का एक आधुनिक कोर्ट पहले से ही परिसर में उपयोग में है। इसके अलावा, छात्रों के पास उपयोग के लिए अब तीन और नए खेल कोर्ट हैं। नया हैंडबॉल कोर्ट बनकर तैयार हो चुका है और इसका उपयोग किया जा रहा है, जबकि खो-खो कोर्ट का काम पूरा होने वाला है। नया कबड्डी कोर्ट तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा, भारतीय खेल प्राधिकरण ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को एक नया बॉक्सिंग रिंग प्रदान किया है जो जल्द ही चालू हो जाएगा।

मैदानों का रखरखाव: पिछले डेढ़ साल में विश्वविद्यालय ने खेल के बुनियादी ढांचे के विस्तार और उन्नयन के लिए कई कदम उठाए हैं। लगभग ढाई साल तक कोविड-19 महामारी के कारण खेल गतिविधियां ठप रहने से मैदानों की स्थिति खराब हो गई थी। हालात सामान्य होने के साथ ही विश्वविद्यालय ने तुरंत सभी मैदानों की मरम्मत व रखरखाव का काम शुरू कर दिया, जो जल्द ही पूरा हो जाएगा। आवश्यक मरम्मत व देखभाल मिलने के बाद मुख्य एम्फीथिएटर ग्राउंड पिछले कई महीनों से पहले से ही प्रमुख खेल प्रतियोगिताओं व कार्यक्रमों की मेजबानी कर रहा है। खेल के मैदानों में उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाड़ लगाने का काम भी किया जा रहा है।

फ्लड लाइट्स: खेल सुविधाओं का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय अपने खेल के मैदानों में फ्लड लाइट्स लगाने की प्रक्रिया में है। लगभग सभी खेल के मैदानों में इस तरह की रोशनी लगाने का काम चल रहा है, ताकि छात्र अपनी कक्षाओं और शैक्षणिक गतिविधियों के बाद देर शाम में भी मैदान का भरपूर उपयोग कर सकें।

एथलेटिक्स को बढ़ावा: कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन की पहल पर सभी संस्थान और संकाय अपनी अपनी एथलेटिक्स इकाइयों की स्थापना कर रहे हैं। कुछ इकाइयां पहले ही सक्रिय हो चुकी हैं और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन कर चुकी हैं। प्रो जैन ने इन एथलेटिक्स इकाइयों को सक्रिय और क्रियाशील रखने के लिए धन और सुविधाओं के मामले में पूर्ण सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई है। विभिन्न श्रेणियों में एक ओपन एथलेटिक मीट हाल ही में संपन्न हुई है।

हजारों लोगों की भागीदारी के साक्षी खेल कार्यक्रम: विश्वविद्यालय क्रीड़ा परिछद् ने पिछले कुछ महीनों में विभिन्न श्रेणियों में अनेक खेल गतिविधियों वाले दस से अधिक टूर्नामेंट / प्रतियोगिताओं का आयोजन किया है। इसमें पैरालंपिक खेल और महिलाओं के टूर्नामेंट भी शामिल रहे। विश्वविद्यालय क्रीड़ा परिषद् के उपाध्यक्ष प्रो. एस. वी. एस. राजू ने बताया कि इन प्रतियोगिताओं में लगभग 5000 विद्यार्थियों ने भाग लिया, जिनमें बड़ी संख्या में लड़कियां भी शामिल थीं और विभिन्न श्रेणियों में सैकड़ों प्रतियोगिताएं देखने को मिलीं। उन्होंने बताया कि आधुनिक खेलों के अलावा भारत के पारंपरिक खेलों के साथ-साथ अन्य मनोरंजक खेलों और गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रोफेसर राजू ने कहा “विश्वविद्यालय की योजना है कि सभी छात्रों की खेलों में भागीदारी बढ़ाई जाए। हम इन खेल गतिविधियों में अन्य हितधारकों को भी शामिल कर रहे हैं, चाहे वह शिक्षक हों या गैर-शैक्षणिक कर्मचारी”। क्रीड़ा परिषद् के महासचिव प्रो. बी.सी. कापड़ी ने कहा कि विश्वविद्यालय की विभिन्न खेल इकाइयों से खेल कलैण्डर तैयार करने का अनुरोध किया गया है, जिसके लिए हर संभव सहयोग प्रदान किया जायेगा। प्रो. कापड़ी ने कहा, “परिसर में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने से हम अपनी क्षमताओं और उभरती प्रतिभाओं को पहचानने में सक्षम होंगे, जो काशी हिंदू विश्वविद्यालय के गौरव को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने में भी मदद करेगा।”

भारत रत्न महामना पं मदन मोहन मालवीय जी द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय की परिकल्पना छात्रों के समग्र विकास के विचार से की गई थी। महामना हमेशा छात्रों को शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते थे। खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा उठाए गए क़दम महामना के विचारों और दृष्टि के अनुरूप हैं।

 

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