43 साल बाद तत्कालीन प्रधानाचार्य साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त

43 साल बाद तत्कालीन प्रधानाचार्य साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त

उप्र बस्ती जिले में एसीजेएम प्रथम उमेश यादव की अदालत ने स्कूल से धोखाधड़ी व कूटरचना कर रुपए निकालने के 43 साल पुराने मामले में तत्कालीन एक प्रधानाचार्य को साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त कर दिया है। परशुरामपुर थानाक्षेत्र के चौरी गांव निवासी, जवाहरलाल नेहरू विद्यालय चौरी के अध्यक्ष बासुदेव प्रसाद की ओर से न्यायालय में परिवाद दाखिल कर कहा गया कि विद्यालय के तत्कालीन प्रधानाचार्य विद्याशंकर, प्रबंधक जगरनाथ प्रसाद व लिपिक सुखदेव प्रसाद अपने अपने पदों पर कार्यरत थे। विद्याशंकर, जगन्नाथ प्रसाद सन 1970 से 1976 तक व सुखदेव प्रसाद 1974 से 1976 तक विद्यालय में कार्य करते रहे हैं। सभी ने अपने कार्यकाल में विद्यालय की संपत्तियों का दुरुपयोग किया। दलित छात्रों की स्कॉलरशिप रजिस्टर में गलत नाम लिखकर तथा उनके नाम पर छात्रवृति तथा क्षतिपूर्ति कल्याण अधिकारी दफ्तर से निकाल लिया गया। राम लोटन नामक व्यक्ति की फर्जी नियुक्ति की गई। उसके नाम से 1. 51 लाख रुपये निकाल लिया गया। न्यायालय ने परिवादी के बयान व दो अन्य गवाहों के बयान पर अभियुक्त विद्याशंकर, जगन्नाथ प्रसाद एवं सुखदेव प्रसाद को न्यायालय में विचारण हेतु धारा 466, 468 आईपीसी में परीक्षण हेतु तलब किया था। घटना करीब 1980 की है। दौरान विचारण जगरनाथ प्रसाद व सुखदेव की मृत्यु हो चुकी है।

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