आर्थोडॉन्टिक वायर पर नैनो मैटिरियल कोटिंग के नवाचार हेतु BHU व IIT-BHU के कार्य को भारत सरकार ने दिया पेटेंट

टेढ़े मेढ़े दांतो के इलाज के लिए काफी महत्वपूर्ण है यह शोध

 

 

वाराणसी। ऑर्थोडॉन्टिक्स शाखा डेंटिस्ट्री की सुपरस्पेशलिटी है, जिसमे टेढे मेढे अनियमित दांत, जबड़े और चेहरे को ठीक किया जाता है। ऑर्थोडॉन्टिक दिक्कत से, दाँतो के स्वास्थ्य, चेहरे की सुंदरता व मुस्कराहट पर खराब प्रभाव पड़ता है। इसके लिए दांत पर विशेष अप्लायंस या ब्रेसेस लगाकर इलाज किया जाता है।
ऑर्थोडॉन्टिक ब्रेसेस को दांत पर चिपकाने के बाद उपलब्ध ऑर्थोडॉन्टिक तार (wire) को ब्रेसेस में बांध कर दांत को अंदर या टेढे मेढे अनियमित दांत, को ठीक किया जाता है। यह प्रक्रिया सामान्तया काफी तनावपूर्ण होती है, जिसका विशेष कारण दांतों पर प्रयुक्त बल का घर्षण की वजह से क्षरण है। इसी के लिए दंत चिकित्सा संकाय में कार्यरत ऑर्थोडॉन्टिक विषय के चिकित्सक प्रोफेसर टी पी चर्तुवेदी और मैटेरियल विभाग आई आई टी (बी एच यू) के डॉक्टर चंदन उपाध्याय ने ऑर्थोडॉन्टिक तार मैटेरियल में नैनो मैटेरियल की कोटिंग नए ढंग से की। इस नवाचार की विशेषता यह है कि इससे घर्षण फोर्स कम लगता है और आसानी से दांत को बिना दर्द या कम दर्द से अंदर किया जा सकता है। इसके लिए टाइटेनियम ऑक्साइड के नैनो मैटेरियल की कोटिंग की गई जो की मुंह के अंदर हर पैमाने पर सुरक्षित पाई गई। इस अविष्कार को भारत सरकार के पेटेंट ऑफिस ने सफल अविष्कार माना है और इसको 20 साल के लिए पेटेंट किया है। यह दंत चिकित्सा संकाय, चिकित्सा विज्ञान संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और आईआईटी, के लिए बड़ी उपलब्धि है।
पेटेंट के लिए 2 अप्रैल 2019 में आवेदन किया गया और भारत सरकार ने 9 जून 2023 में अनुमति प्रदान की और सर्टिफिकेट उपलब्ध कराया। इस नए पैटेंट से टेढे मेढे अनियमित दांत, जबड़े और चेहरा को ठीक करने के लिए एक नया आयाम स्थापित हुआ है। इस महत्वपूर्ण अविष्कार के लिए प्रोफेसर टी पी चर्तुवेदी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और आई आई टी के लोगों का आभार व्यक्त किया हैं।

कई शोध इस समय ऑर्थोडॉन्टिक विषय से संबंधित,दंत संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और आईआईटी (बीएचयू) के बीच हो रहे हैं। यह शोधकार्य बहुविषयक कार्यों का एक आदर्श उदाहरण है, जहाँ कई विषयों के विषेशज्ञ एक टीम में एक साथ जुड़ कर नया करते है टेढे मेढे अनियमित दांत, जबड़े से खाने में कठिनाई, देखने में मुंह व चेहरा खराब लगता है। जबड़े व चेहरे का विकास बच्चो में ठीक से नहीं हो पाता है। इसका इलाज किसी भी उम्र में किया जा सकता है। इस इलाज के लिए 7 साल से 20 साल तक की उम्र सबसे अच्छी मानी जाती है। इसके लिए समय 6 महीने से 3 साल तक लग सकता है।

 

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