बस्ती के डा.मुकेश 14 सितंबर हिन्दी दिवस पर श्रीलंका के केलानिया विश्वविद्यालय के होगें मुख्य वक्ता

डा.मुकेश कुमार मिश्र से रोमिंग एक्सप्रेस के रिपोर्टर से बातचीत

उप्र बस्ती जिले के शहर से करमा देवी स्मृति पीजी कालेज संसारपुर के प्राचार्य डा.मुकेश कुमार मिश्र हिंदी दिवस के अवसर पर श्रीलंका के केलानिया यूनिवर्सिटी में बतौर मुख्यअतिथि व्याख्यान देंगे।
प्रो. मिश्रा इसके पूर्व फिजी, मारीशस, सियोल व अन्य विभिन्न देशों में हिंदी विषय पर व्याख्यान दे चुके हैं। 14 सितंबर ( हिन्दी – दिवस ) के दिन श्रीलंका के केलानिया विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष आनंद अबेसुंदारा ने “वैश्विक पटल पर हिंदी” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में इन्हें आमंत्रित किया है।

डा.मुकेश कुमार मिश्र से रोमिंग एक्सप्रेस के रिपोर्टर से बातचीत
रिपोर्टर -आप बस्ती शहर से कहां से
डा.मुकेश -मैं बस्ती शहर से 5किलोमीटर दूर ग्राम बेलसुही , पोस्ट ओडवार, का रहने वाला रहने वाला वर्तमान में सिविल लाइन बस्ती में निवास है।
रिपोर्टर– यह मेरा पहला व्याख्यान नहीं है
डा.मुकेश– यह मेरा पहला पहला व्याख्यान संदर्भ नहीं है इसके पूर्व फीजी विश्वविद्यालय, मॉरीशस मॉरीशस, भूटान आदि देशों में व्याख्यान दिया हो।
रिपोर्टर-आप एक युवा है हिंदी प्रचार प्रसार व हिंदी के प्रति यह भाव कैसा आया।
डा.मुकेश – यह भाव पिता स्व मधुर नारायण मिश्र के हिंदी प्रचार प्रसार को देखकर हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति मेरी रूचि बढी , उन्होंने हिंदी भाषा साहित्य के प्रचार प्रसार में विदेशी और हिंदीतर प्रान्तों में केंद्रीय हिंदी निदेशालय दिल्ली , आई सी एस आर, विदेशी मंत्रालय के छठे विश्व हिन्दी लंदन सम्मेलन में भाग लेकर हिंदी के प्रति अपना समर्पण प्रस्तुत किया साथ ही साथ केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय दिल्ली के व्याख्यान और शिविर में महत्वपूर्ण सहयोग कर, हिंदी प्रचार में अहम भूमिका निभाई, वहीं प्रभाव मेरे पर पड़ा और मैं भी उसी मार्ग पर चल पड़ा
रिपोर्टर-भारत के बाहर हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार में कौन सी बातें महत्वपूर्ण है।
डा.मुकेश – हमारे धार्मिक ग्रन्थों रामचरित मानस , भगवदगीता , हिंदी फिल्मों के गीत , रामचरितमानस के पात्र जबान को साफ करने हेतु आस्ट्रेलिया में प्राथमिक स्तर कुछ संस्थान हिंदी संस्कृत के क्लास चलाते है इंडोनेशिया, बाली , मलेशिया ,फीजी , मॉरीशस फ्रेंच गुवाना , सूरीनाम , श्रीलंका आदि देशों में निजी संस्थाएं, विश्वविद्यालय मे कार्य हो रहे हैं एक बात अवश्य बताना चाहूंगा बस्ती के गिरमिटिया लाल गुयाना के स्व श्रद्धेय छेदी जगन राष्ट्रपिता , पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया उनके पूर्वज बस्ती जनपद से 18 वी सदी के मध्य जाकर गुआना की तस्वीर बदल दी फादर आफ नेशन तथा हिंदी भाषा सभी भाषाओं को साथ लेकर उसकी परिकल्पना रचीं वह बाद में स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा
रिपोर्टर – केंद्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली के 2023-2023हेतु आप का चयन प्राध्यापक व्याख्यान माला में किया गया इस पर क्या कहेगें-
डा.मुकेश – यह केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय नई दिल्ली की हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार प्रचार हेतु महत्त्वपूर्ण योजना है इस योजना के अंतर्गत उतर के चार और दक्षिण भारत के चार हिंदी विद्वान प्रति वर्ष तीन विश्वविद्यालयों/ स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में तीन तीन दिन एक विश्वविद्यालय/स्नातकोत्तर हिंदी विभाग मे व्याख्यान देने होते जाते है उसी क्रम में मैंने हिंदी विभाग कालीकट , कोचीन, केरल विश्वविद्यालय त्रिवेंद्र को चुना है।
रिपोर्टर– हिंदी के प्रचार प्रसार में विदेशो मे कौन-कौन सी संस्थाएं कम कर रही है
डा.मुकेश – विदेशों में इंग्लैंड में वातायन संस्थान हमेशा प्रत्येक शनिवार को अवश्य किसी ना किसी विषय आयोजन करती है। डा पद्मेश गुप्त, डा दिव्या माथुर , तिथि श्रीवास्तव, कौशिक मिश्र , डा तेजेन्द्र शर्मा आदि हिंदी भाषा और साहित्य के लिए प्रयत्नशील है , इसी तरह मॉरीशस में हिंदी सचिवालय की स्थापना और हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। उनमें महत्वपूर्ण नाम स्वर्गीय अभिमन्यु अनन्त, डॉ रामदेव धुरंधर , डॉक्टर अलका धनपत बराबर अपने संस्थान महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट मोका के माध्यम से प्रचार प्रसार कर रही है। इसी क्रम में श्रीलंका में हिंदी अध्ययन विभाग केलनिया विश्वविद्यालय केंद्रीय सांस्कृतिक केंद्र कोलंबो के साथ प्रोफेसर लक्ष्मण श्रीनिवासन डॉक्टर सुभाषनी रत्नयाक, स्व इन्दिरा दशनायक, डॉक्टर नीता, श्री आनंद जी , आदि कई देशों में फीजी ,इंडोनेशिया ,मलेशिया, थाईलैंड ,चीन, जापान, आदि देशों में हिंदी पाठ्यक्रम भारतीय दूतावास ,और विश्वविद्यालय में पढ़ा ऐ जाते हैं फीजी की सु सुहासिनी जापान के तोजी मोजी कामा , उज़्बेकिस्तान की डॉक्टर उल्फत मारिखोवा हिंदी को अपने अपने देश में प्रसारित करने में संलग्न है भारतीय संस्कृति परिषद नई दिल्ली ,केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा ,केंद्रीय हिंदी निदेशालय के सहयोग माध्यम से वहां हिंदी भाषा, साहित्य , संस्कृति का विकास हो रहा है साथ ही भारत की अन्य भाषाएं भी पढ़ाई जा रही है।
रिपोर्टर – आप दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा उच्च संस्थान मद्रास के उप कुलसचिव के पद पर कार्य करते हुए वहां हिंदी की स्थिति पर प्रकाश डालें डाले।
डा.मुकेशद​क्षिण भारत मे हिंदी का पहले की अपेक्षा बहुत अच्छा प्रचार सभा तथा विभिन्न हिंदी संस्थाएं तमिलनाडु हिंदी अकादमी, ज्ञानशीलम, जैसी संस्थाओं से जुड़कर मूल प्रदेश तेलंगाना, केरल ,आंध्रा,पुडुचेरी तमिलनाडु, केरल ,कर्नाटक के हिंदी विद्वान प्रमुख लोगों में प्रोफेसर जी गोपीनाथ. प्रोफेसर मालती प्रोफेसर अच्युतन,प्रोफेसर एन जी देवकी ,प्रोफेसर विश्वनाथ अय्यर प्रोफेसर एन रविन्द्रनाथ ,प्रोफेसर तंकमणइ अम्मा के अतिरिक्त बहुत से संदर्भ है।
रिपोर्टर – आप बस्ती शहर से हैं बस्ती की विभूतियों का हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार प्रसार में मुख्य स्थान है इस संबंध में बताने का कष्ट करें
डा.मुकेश -बस्ती शहर हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार प्रसार में अपना मुख्य स्थान रखता है तीसरी सप्तक के प्रमुख सर्वेश्वर दयाल सक्सेना हिंदी आलोचना के सम्राट आचार्य रामचंद्र शुक्ल रक्षक नाटक का डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल हिंदी आधुनिक कविता के स्वर्गीय लक्ष्मीकांत वर्मा अंतरराष्ट्रीय हिंदी प्रचार प्रसार के हस्ताक्षर स्वर्गीय मधुर नारायण मिश्र वर्तमान में हिंदी और आलोचन के सशक्त हस्ताक्षर श्री अष्टभुजा शुक्ल प्रमुख हैं।
रिपोर्टर – भारत सरकार की कौन कौन सी संस्थाए हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार प्रसार में संलग्न है
डा.मुकेश – भारत सरकार का केंद्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली , केंद्रीय हिंदी संस्थान के आगरा, हैदराबाद , मैसूर , गोहाटी , दिल्ली आदि सेन्टर , उतर प्रदेश हिंदी संस्थान , उतर प्रदेश भाषा संस्थान , आदि बहुत से निजी और गैर सरकारी संस्थाएं हिंदी भाषा और साहित्य का प्रचार कर रही है
धन्यवाद , मुकेश जी

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