पार्टी के बाहर और अंदर भी ‘दबाव’ बढ़ता जा रहा तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर

पार्टी के बाहर और अंदर भी ‘दबाव’ बढ़ता जा रहा तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर
– टीएमसी खुलकर नहीं आ रही साथ, मुश्किल में घिरी सांसद , भाजपा हमलावर
सिलीगुड़ी: भारतीय राजनीति, कॉर्पोरेट जगत और कोर्ट का ऐसा कॉकटेल है जो पूरा देश जानना चाहता है। महुआ मोइत्रा पर लगे आरोप झूठे हैं या सही, इसी बात की मिस्‍ट्री महुआ की कहानी में थ्रिल पैदा करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूंजीपति अडानी के संबंधों में घोटाला साबित करने की कोशिश महुआ मोइत्रा कर रही थीं, कहीं इतने बड़े लोगों को चैलेंज करने की सजा तो नहीं भुगत रही हैं मोइत्रा? हिंदुस्तान में एक कहावत है कि बिना आग धुआं नहीं दिखाई देता है। कुछ चीजें तो ऐसी रही ही होंगी जो महुआ को आज सफाई देनी पड़ रही है।पार्टी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देगी। पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। दुर्गा पूजा के उद्घाटन के मौके पर वह पिछले कुछ दिनों से वर्चुअल माध्यम से अपनी बात रख रही हैं, लेकिन महुआ को लेकर एक बार भी कोई टिप्पणी नहीं की। लोकसभा आचार समिति के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ “कैश-फॉर-क्वेरी” मामले से संबंधित व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी का एक पत्र प्राप्त होने की पुष्टि की है। नदिया के कृष्णानगर लोकसभा की तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के लिए पार्टी के बाहर और अंदर भी ‘दबाव’ बढ़ता जा रहा है। संसद में प्रश्न पूछने के लिए एक उद्योगपति से मोटी रकम और उपहार लेने के के आरोप में घिरने के बाद से तृणमूल ने महुआ से दूरी बनाए रखी है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर बिजनेसमैन हीरानंदानी से पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप के मामले में विवाद गहराता जा रहा है। इस बीच महुआ मोइत्रा पर लगे आरोप को लेकर लोकसभा की एथीक्स कमेटी (आचार समिति) के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने कहा है कि उन्हें हीरानंदानी की चिट्ठी मिली है। जो अब अपने भाषणों के कारण ही विवादों में घिरी हुई हैं. पिछले हफ्ते बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने उन पर कई गंभीर आरोप लगाए। वो ये कि महुआ लोकसभा में सवाल पूछने के पैसे लेती हैं, और पैसे देने वाले का नाम भी लिया। बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी। ये विवाद अब इसलिए गहरा गया है क्योंकि मीडिया में कल रात एक चिट्ठी आई दर्शन हीरानंदानी के नाम से। इसमें कथित रूप से हीरानंदानी ने आरोपों को सही ठहराया है। ये मामला संसद की एथिक्स कमिटी के पास भी जा चुका है। इसलिए आज दिन की बड़ी खबर में इसी विवाद को विस्तार से बताएंगे। इस पूरे विवाद के किरदार कौन-कौन हैं, आरोपों पर महुआ ने क्या जवाब दिया है और उनके खिलाफ जो आरोप लगे हैं, उन पर संसद क्या कार्रवाई कर सकती है।।शुरुआत करते हैं उस चिट्ठी से जहां से ये विवाद शुरू हुआ। तारीख 15 अक्टूबर 2023। झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक शिकायती पत्र लिखा. दुबे ने आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा ससंद में अडानी समूह के खिलाफ सवाल पूछने के लिए पैसे लेती हैं. लिहाजा उन्हें लोकसभा से सस्पेन्ड कर दिया जाए और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच की जाए। निशिकांत दुबे ने कहा कि हीरानंदानी समूह को अडानी ग्रुप की वजह से एनर्जी और इंफ़्रास्ट्रक्चर से जुड़ा एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिल पाया। साथ ही अडानी समूह और हीरानंदानी समूह कांट्रैक्ट पाने के लिए देश के कई इलाकों में एक दूसरे के खिलाफ बोली लगाते हैं। यानी दोनों समूहों में तगड़ा कॉम्पिटिशन है। और दुबे के आरोपों को ट्रांसलेट करें तो लगता है कि दर्शन हीरानंदानी ने खार खाकर महुआ मोइत्रा को पैसे दिए कि वो लोकसभा में अडानी को लेकर सवाल उठाएं। लेकिन ये आरोप हैं। निशिकांत दुबे ने बस यही एक चिट्ठी नहीं लिखी थी।15 अक्टूबर को ही उन्होंने केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर के नाम भी एक चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी में निशिकांत दुबे ने कहा कि महुआ मोइत्रा ने दर्शन हीरानंदानी को अपना लोकसभा वेबसाइट का लॉगिन, आईडी पासवर्ड दे दिए. इसका इस्तेमाल वे लोग अपने लाभ के लिए करने लगे। ये भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। इस चिट्ठी में निशिकांत दुबे ने आगे लिखा।”आपको पता ही होगा कि के पास सरकारी वेबसाइटों को चलाने का कार्यभार होता है. उनके पास डेटा भी होता है, साथ ही इस बात की जानकारी भी होती है कि किस-किस आईपी एड्रेस से उन वेबसाइटों पर लॉगिन किया गया है. लोकसभा की वेबसाइट भी इसी फेहरिस्त में आती है। फिर निशिकांत दुबे मांग करते हैं कि आईटी मंत्रालय महुआ मोइत्रा की लॉगिन आईडी की जांच करे। और पता लगाए कि क्या उनका लोकसभा अकाउंट किसी ऐसी जगह से चलाया गया, जहां वो खुद मौजूद नहीं थी? इन आरोपों पर महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया पर उसी दिन जवाब दिया था। एक्स (पहले ट्विटर) पर महुआ ने लिखा था। फर्जी डिग्री वालों के साथ भाजपा के अन्य सांसदों के खिलाफ भी बहुत सारे ब्रीच ऑफ प्रिविलिज के मोशन संसद में पेंडिंग हैं। मेरे खिलाफ किसी भी मोशन का स्वागत है, अगर स्पीकर उनकी जांचों को पूरा कर लें और इस बात का भी इंतजार है कि ईडी और दूसरी एजेंसियां मेरे दरवाजे पर आने के पहले अडानी कोयला घोटाले में FIR दर्ज करेंगी। आरोप लगने के दो दिन बाद यानी 17 अक्टूबर को महुआ मोइत्रा दिल्ली हाई कोर्ट चली गईं। निशिकांत दुबे और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहादराई और कई मीडिया संगठनों के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया। निशिकांत दुबे ने जिस दिन आरोप लगाए थे, उसी दिन देहाद्राई ने भी TMC सांसद के ख़िलाफ़ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में एक हलफ़नामा भी दायर किया था। दुबे ने अपने पत्र में कहा था कि महुआ के खिलाफ उन्हें ये सबूत देहाद्राई ने ही दिए। आज हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान देहाद्राई ने बताया कि उन्हें सीबीआई की शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया और इसके लिए महुआ मोइत्रा के वकील गोपाल शंकरनारायण ने 19 अक्टूबर को उन्हें फोन किया। सुनवाई के बाद शंकरनारायण ने केस से खुद को अलग कर लिया। अब मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर को होनी है। आगे बढ़ने से पहले ये भी जान लेते हैं कि जय देहाद्राई हैं कौन? क्योंकि उनका नाम बार-बार आ रहा है। जय की लिंक्डइन प्रोफ़ाइल पर लिखा है कि उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन किया, फिर पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से कानून में पोस्ट-ग्रैजुएशन की। तब से उन्होंने पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नाडकर्णी के अधीन चेंबर जूनियर के रूप में काम किया। बाद में गोवा सरकार के सरकारी वकील बने। अब तो उनकी ख़ुद की फ़र्म है, लॉ चेंबर्स ऑफ़ जय अनंत देहाद्राई। सफ़ेदपोश आपराधिक मामलों, कमर्शियल मुक़दमेबाज़ी और संवैधानिक मुद्दों से जुड़े केस लड़ते हैं। इसके अलावा, अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए 2013 से 2022 तक ‘द इर्रेलेवेंट लॉयर’ नाम से कॉलम लिखते थे। बाक़ी संस्थाओं के लिए भी लिख चुके हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़, अनंत और महुआ तीन साल तक एक रिश्ते में थे। इस साल की शुरुआत में दोनों अलग हो गए. महुआ ने मानहानि मुक़दमे में भी देहाद्राई का ज़िक्र किया है। उन्हें अपना ‘जिल्टेड एक्स’ बताया। आसान भाषा में, किसी संबंध के ख़राब तरीक़े से खत्म होने पर खार खाए हुए पूर्व पार्टनर के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मुक़दमे में दर्ज है कि मोइत्रा ने इस साल मार्च और सितंबर में बाराखंभा पुलिस स्टेशन में देहाद्राई के ख़िलाफ़ घुसपैठ और चोरी की दो शिकायतें भी दर्ज की थीं। लेकिन मामले को ‘सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने’ का हवाला देकर अक्टूबर में शिकायतें वापस ले लीं। महुआ और अनंत ने मोइत्रा के कुत्ते, हेनरी को लेकर कस्टडी की लड़ाई भी लड़ी थी। जय देहाद्राई ने आज सोशल मीडिया पर भी लिखा है कि उन पर हेनरी को लौटाने के बदले CBI से शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया। जय का कहना है कि उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया, वे सीबीआई को डिटेल्स देने वाले हैं। कोर्ट जाने से पहले महुआ ने निशिकांत दुबे और जय देहाद्राई को लीगल नोटिस भी भेजा था। महुआ ने दोनों पर ‘व्यक्तिगत और राजनीतिक बदला लेने के लिए उनकी प्रतिष्ठा पर हमला’ करने का आरोप लगाया। नोटिस में ये भी कहा गया कि महुआ मोइत्रा और निशिकांत दुबे के बीच पहले भी मतभेद रहे हैं। ये सही है कि महुआ मोइत्रा और निशिकांत दुबे के बीच ये कोई पहली लड़ाई नहीं है। लंबे समय से दोनों के बीच जुबानी जंग चलती रही है। महुआ कई बार निशिकांत दुबे पर फर्जी डिग्री लेने का आरोप लगा चुकी हैं। महुआ ने कई बार आरोप लगाया कि दुबे ने अपनी उम्र और पीएचडी की डिग्री के बारे में झूठी जानकारी दी है और इसकी जांच होनी चाहिए। जबकि निशिकांत दुबे इससे इनकार कर चुके हैं और कह चुके हैं कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग से उनके पक्ष में फैसला आ चुका है। इसी तरह जुलाई 2021 में एक बार निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि संसदीय समिति की बैठक के दौरान महुआ ने उन्हें ‘बिहारी गुंडा’ कह दिया. हालांकि महुआ ने इससे साफ इनकार कर दिया था।
पक्ष और विपक्ष के नेता क्या कह रहे हैं?
अब इस मामले पर जमकर राजनीति भी हो रही है। बीजेपी के नेता महुआ मोइत्रा के निष्कासन की मांग कर रहे हैं। निशिकांत दुबे के आरोपों पर हीरानंदानी ग्रुप का 15 अक्टूबर को ही जवाब आया था. ग्रुप ने कहा था कि इन बातों में कोई दम नहीं है। समूह के प्रवक्ता ने एनडीटीवी से कहा था। “हम शुरू से बिज़नेस में हैं, पॉलिटिक्स के बिज़नेस में नहीं। हमारे ग्रुप ने हमेशा देश के हित में सरकार के साथ काम किया है और आगे भी करते रहेंगे।दर्शन हीरानंदानी देश की प्रमुख रियल एस्टेट समूह हीरानंदानी ग्रुप के सीईओ हैं. अब इस हीरानंदानी ग्रुप को खड़ा किया था। निरंजन हीरानंदानी और सुरेन्द्र हीरानंदानी नाम के दो सगे भाईयों ने दर्शन हीरानंदानी, निरंजन हीरानंदानी के बेटे हैं। हीरानंदानी ग्रुप की गिनती देश के सबसे बड़े रियल एस्टेट समूह में होती है। मुंबई में पवई झील के आसपास बसी फेमस हीरानंदानी सोसायटी इसी कंपनी ने बनाई है। इस ग्रुप के बहुत सारे प्रोजेक्ट हैं। देश के अलग अलग हिस्सों में। रियल एस्टेट के अलावा हीरानंदानी समूह हेल्थ, एजुकेशन, एनर्जी, डेटा सेंटर, क्लाउड कम्प्यूटिंग, लॉजिस्टिक्स और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में भी फैला है।
हिरानंदानी पर क्या आरोप लग चुके हैं?
हीरानंदानी ग्रुप का विवादों से भी नाता रहा है। नवंबर 2017 में पैराडाइज़ पेपर्स सामने आए थे। 180 देशों के टैक्स चोरी से जुड़े 1 करोड़ 34 लाख दस्तावेजों का खुलासा किया गया था। कैसे कंपनियां पैसा बचाने के लिए टैक्स चोरी करने के लिए विदेशों में कंपनी खोल रही थीं। खुलासा किया गया कि हीरानन्दानी ग्रुप ने भारत में टैक्स से बचने के लिए बरमूडा में एक फर्जी कंपनी बनाई थी। मार्च 2008 में सीबीआई ने कंपनी के मुंबई ऑफिस की तलाशी भी ली थी। दो निदेशकों के खिलाफ FIR भी लिखी गई थी। अक्टूबर, 2021 में पैंडोरा पेपर्स सामने आए। इन पेपर्स में कहा गया था कि दुनियाभर के अरबपति कैसे विदेशों में काला धन जमा कर रहे हैं। इसमें भी हीरानंदानी समूह पर आरोप लगाया गया था कि 6 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ट्रस्ट का फ़ायदा हीरानंदानी परिवार को मिला, क्योंकि ट्रस्ट में पैसा दरअसल हीरानंदानी परिवार ने ही लगाया था। फिर मार्च 2022 में आयकर विभाग ने हीरानंदानी समूह के 24 स्थानों पर छापा मारा था।
महुआ मोइत्रा के खिलाफ लगे आरोपों में नया मोड़ आया 19 अक्टूबर को। दर्शन हीरानंदानी के एक कथित हलफनामे से। ये हलफनामा लोकसभा की एथिक्स कमिटी को लिखा गया है। इस कमिटी के अध्यक्ष BJP सांसद विनोद कुमार सोनकर हैं। हलफनामे में हीरानंदानी ने आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा राष्ट्रीय राजनीति में तेज़ी से नाम बनाना चाहती थीं। इसलिए उनके दोस्तों और सलाहकारों ने उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने की सलाह दी और इसी कारण से महुआ लगातार गौतम अडानी पर भी सवाल उठाती हैं। हलफनामे के मुताबिक इस काम में महुआ मोइत्रा की मदद सुचेता दलाल, शार्दुल श्रॉफ और पल्लवी श्रॉफ जैसे लोग कर रहे थे। इस हलफनामे पर महुआ मोइत्रा का भी एक लंबा जवाब आया।महुआ ने आरोप लगाया कि ये हलफनामा प्रधानमंत्री कार्यालय में कुछ ‘कम अक्ल’ वाले लोगों से तैयार करवाया गया। सांसद महुआ मोइत्रा अब एक नए मामले में फंसती दिख रही हैं। संसद में सवाल के बदले व्यापारी हीरानंदानी से रिश्वत लेने के मामले में फंसी महुआ पर अब उनके पूर्व दोस्त और वकील जय अनंत देहद्राई ने ही बड़ा आरोप लगाया है। वकील का आरोप है कि महुआ ने उनके कुत्ता का अपहरण कर लिया है।
महुआ मोइत्रा की पहचान एक तेज तर्रार नेता के तौर पर होती है। जो हमेशा की लोकसभा में सरकार को घेरती रहती हैं। सदन में दिए जाने वाले उनके भाषण हमेशा ही वायरल होते रहते हैं। महुआ को एक कुशल वक्ता और बेहतरीन नेता के तौर पर जाना जाता है। हालांकि, बहुत ही कम लोगों को मालूम है कि महुआ राजनीति में आने से पहले एक सफल बैंकर हुआ करती थीं. आइए टीएमसी की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा के बारे में और जानते हैं। अमेरिका से की पढ़ाई: टीएमसी के टिकट से महुआ मोइत्रा ने 2019 लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से जीत हासिल की. महुआ का जन्म असम के कछार जिले में साल 1974 में हुआ. महुआ ने अपनी पढ़ाई राजधानी कोलकाता से की है. शुरुआती शिक्षा हासिल करने के बाद महुआ को उनके परिवार ने आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका भेज दिया. टीएमसी सांसद ने मैसाचुसेट्स में माउंट होलोके कॉलेज साउथ हैडली से 1998 में अर्थशास्त्र और मैथ्स में ग्रेजुएशन किया। लंदन और न्यूयॉर्क में किया काम:महुआ ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रतिष्ठित बैंकिंग कंपनी जेपी मॉर्गन चेज में काम किया. उन्होंने न्यूयॉर्क और लंदन दोनों ही जगह काम किया. वह एक अच्छे पद तक पहुंच भी गई थीं. यहां पर वह करोड़ों रुपये की सैलरी पर काम कर रही थीं. जेपी मॉर्गन में काम करने वाले इंवेस्टमेंट बैंकर की औसत सैलरी 1.21 लाख डॉलर से ज्यादा है, जो भारतीय रुपये में एक करोड़ रुपये से ज्यादा है. अनुभव के साथ सैलरी करोड़ों में पहुंच जाती है।
कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर?
महुआ को लंदन और न्यूयॉर्क में काम करके मजा नहीं आ रहा था। वह अब राजनीति का हिस्सा बनकर लोगों की सेवा करनी चाहती थीं। इसलिए उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया. 2009 में वह कांग्रेस में शामिल हो गईं. हालांकि, एक साल के भीतर ही कांग्रेस से उनका मोहभंग हुआ और उन्होंने 2010 में टीएमसी में जाने का फैसला किया। टीएमसी में आकर ही उनका राजनीतिक करियर का ग्राफ तेजी से ऊपर की ओर चढ़ता चला गया। टीएमसी ने 2016 में नाडिया जिले के करीमपुर विधानसभा सीट से उन्हें टिकट दिया और महुआ यहां से सुनकर विधानसभा पहुंचीं। टीएमसी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और फिर तीन साल बाद हुए 2019 लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से टिकट दिया।महुआ ने भी पार्टी को निराश नहीं किया। रिपोर्ट अशोक झा

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