सुबह-सुबह नेपाल में हिली धरती, सीमांचल में दहशत

सुबह-सुबह नेपाल में हिली धरती, सीमांचल में दहशत
सिलीगुड़ी पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में भूकंप आने का क्रम थम नहीं रहा है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार नेपाल में सुबह 7:24 पर 5.3 तीव्रता का भूकंप आया। इस भूकंप जे झटके भारत के भी कई हिस्सों में महसूस किए गए। फिलहाल, भूकंप से किसी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। जानकारी के मुताबिक, नेपाल से सटे बंगाल के दार्जिलिंग, उत्तर दिनाजपुर बिहार के किशनगंज, पटना के अलावा पश्चिमी चंपारण, छपरा, सीवान, गोपालगंज और नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, भूकंप का केंद्र काठमांडू से लगभग 55 किमी (35 मील) पश्चिम में धाडिंग में जमीन के 14 किलोमीटर गहराई में था। भूकंप की वजह से किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। इससे पहले 16 अक्टूबर को भी नेपाल के कई हिस्सों में 4.8 तीव्रता के भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। गत 3 अक्टूबर को भी दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर नेपाल के कई हिस्सों में धरती डोली थी। तब भी यूपी, बिहार और दिल्ली-एनसीआर समेत भारत के कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। नेपाल में गत 17 तारीख को आधे घंटे में 2 बार भूकंप के झटके लगे थे। नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र के अनुसार भूकंप की तीव्रता 6.2 रही थी।
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता और उसके परिणाम
रिक्टर स्केल भूकंप की तीव्रता मापने का एक टूल है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर जितनी तेज रहेगी, नुकसान की संभावना भी उतनी ही अधिक रहती है। अगर भूकंप की तीव्रता 0 से 1.9 के बीच है, तो यह पता नहीं चलता. सिर्फ सीस्मोग्राफ पर ही इसकी जानकारी मिलती है। तीव्रता 2 से 2.9 के बीच रहने पर बहुत कम कंपन का पता चलता है। रिक्टर स्केल पर 3 से 3.9 तीव्रता वाले भूकंप से ऐसा लगेगा कि कोई भारी वाहन पास से गुजरा हो. वहीं 4 से 4.9 तीव्रता वाले भूकंप के आने पर पंखे, दीवरों पर टंगी तस्वीरें, इत्यादि हिलने लगती हैं।
तीव्रता 5 से 5.9 के बीच होने पर भारी सामान और फर्नीचर हिल सकता है, तो 6 से 6.9 इमारत की तीव्रता वाले भूकंप घरों की नींव दरका सकते हैं। जब 7 से 7.9 की तीव्रता होती है तो विनाश होता है, इमारतें गिर जाती हैं, वहीं 8 से 8.9 की तीव्रता वाले भूकंप से सुनामी का खतरा होता है। हाल ही में तुर्की में 7.2 तीव्रता के भूकंप के कारण भीषण तबाही मची थी, जिसमें लाखों लोग मारे गए थे। 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आए झटकों से लगभग 9,000 लोग मारे गए थे। जैसा कि सरकार की आपदा के बाद के आकलन (पीडीएनए) रिपोर्ट में कहा गया है नेपाल दुनिया का 11वां सबसे अधिक भूकंप-प्रवण देश है।
कब आता है भूकंप?
धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से मिल कर बनी है। जब भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है। भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं और एक दूसरे से रगड़ खाती हैं। फ्रिक्शन के कारण धरती डोलने लगती है। कई बार धरती फट भी जाती है। वहीं कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं। इन्हें आफ्टरशॉक भी कहते हैं।
कुछ समय पहले मोरक्को में और फिर अफगानिस्तान में भी भूकंप के कारण बड़े पैमाने पर तबाही मची थी। @रिपोर्ट अशोक झा

Back to top button