बंगाल में विधानसभा में विरोधी दल नेता सुवेंदु अधिकारी का सीधा आरोप घोटाले के पीछे ममता बनर्जी का हाथ

कोलकाता: बंगाल में करोड़ों रुपये के कथित राशन वितरण घोटाले में राज्य के वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक की शुक्रवार को गिरफ्तारी हो गई है। उसके बाद बंगाल में राजनीतिक पारा हाई है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने मुख्य मंत्री पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने तो यहाँ तक कहा है की इस सब घोटाले के पीछे ममता बनर्जी का पीछे से पुरा समर्थन है। ईडी से इस घोटाले में अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भूमिका की जांच का अनुरोध किया है। बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला, कोयला तस्करी मामला, नगर पालिका नियुक्ति घोटाला, व राशन वितरण घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक नेता मंत्री सलाखों के पीछे हैं। इनमें पूर्व मंत्री व विधायक पार्थ चटर्जी, विधायक अनुब्रत मंडल, विधायक मानिक भट्टाचार्य, विधायक जिबनकृष्ण साहा प्रमुख हैं।
ममता पर भ्रष्ट मंत्रियों का बचाव करने का आरोप
सुवेंदु ने अपने एक्स हैंडल पर एक संदेश में दावा किया कि यह एक बड़ा घोटाला है। सुवेंदु ने मुख्यमंत्री पर भ्रष्ट मंत्रियों का बचाव करने का भी आरोप लगाया। पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के बाद राज्य में दूसरे मंत्री की हुई गिरफ्तारी को लेकर सुवेंदु ने ममता सरकार पर तंज कसते हुए यह भी कहा कि अब राज्य कैबिनेट की बैठक जेल में होगी। उन्होंने लिखा,मैं ईडी से बंगाल में राशन वितरण के इस बड़े घोटाले में ममता बनर्जी की भूमिका की जांच करने का आग्रह करूंगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ज्योतिप्रिय मल्लिक को खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का मंत्री नियुक्त किया था और 2011 से 2021 तक उनके मंत्री रहते एक दशक तक विभाग में भारी भ्रष्टाचार हुआ।
सीएम भी हैं घोटाले में शामिलः सुवेंदु
सुवेंदु ने दावा किया कि केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई से बचाने के लिए 2021 में ममता ने ज्योतिप्रिय को खाद्य की बजाय वन मंत्री बना दिया। भाजपा नेता ने कहा कि ममता चाहती थी कि वह (ज्योतिप्रिय) अवैध रूप से धन जुटाता रहे और आय का हिस्सा इच्छित व्यक्तियों को सौंप दे। इसलिए एक उपाय के रूप में मुख्यमंत्री ने उन्हें पश्चिम बंगाल आवश्यक वस्तु आपूर्ति निगम (डब्ल्यूबीइसीएससी) का अध्यक्ष बना दिया, जिस पर बंगाल में धान और अन्य खाद्यान्नों की खरीद और वितरण का जिम्मा है। उन्होंने दावा किया कि इसके जरिए खाद्य विभाग का नियंत्रण भी बैकडोर से ज्योतिप्रिय के हाथ में था।
भ्रष्ट सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी की नियुक्ति पर उठाए सवाल सुवेंदु ने आगे कहा कि ममता बनर्जी इतने पर ही नहीं रुकीं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि धन की निकासी सुचारू रूप से और कुशलता से की जाए, उन्होंने ज्योतिप्रिय मल्लिक की सहायता के लिए एक भ्रष्ट सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी ए सुब्बैया को डब्ल्यूबीइसीएससी का एमडी नियुक्त किया।
सुब्बैया 1992 बैच के बंगाल कैडर के अधिकारी हैं। सुवेंदु ने कहा कि सुब्बैया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, चेन्नई द्वारा 2012 में एक मामला दर्ज किया गया था, जो कथित तौर पर आठ करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के बारे में था। जब सुब्बैया चिदंबरनार बंदरगाह पूर्व में तूतीकोरिन बंदरगाह के अध्यक्ष थे।
सुवेंदु ने दावा किया कि सुब्बैया को तूतीकोरिन पोर्ट ट्रस्ट के कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में एक घोटाले की साजिश रचने के लिए सीबीआइ मुख्यालय द्वारा केस संख्या आरसीएमए1/ 2012/ ए/ 0055 में आरोपित किया गया था। उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति भी मिल गई थी। परिणामस्वरूप, अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर उनकी पदोन्नति रूक गई, साथ ही सेवानिवृत्ति के बाद उनकी पेंशन व अन्य देय भी रोक दी गई थी।
ममता को ठहराया जिम्मेदार
सुवेंदु ने कहा कि ममता कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग की प्रभारी मंत्री भी हैं। उन्होंने सुब्बैया की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया। सुवेंदु ने कहा कि बिना मुख्यमंत्री की सहमति के एक दागी और आरोपित सेवानिवृत्त अधिकारी, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में मुकदमा चलाया जा रहा है, उसको डब्ल्यूबीइसीएससी का एमडी नियुक्त किया जाना संभव नहीं होता। बता दें कि कई करोड़ के राशन वितरण घोटाले में ईडी ने राज्य के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के ठिकानों पर छापेमारी और 17-18 घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद शुक्रवार तड़के उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद से ही कई प्रकार की बयानबाजी शुरू हो गई है। @
रिपोर्ट अशोक झा

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