दक्षिण भारत में परम्परागत भारतीय चिकित्सा पद्धति “Varmam” का उत्तर भारत में प्रथम कार्यशाला
दक्षिण भारत में परम्परागत भारतीय चिकित्सा पद्धति “Varmam” का उत्तर भारत में प्रथम कार्यशाला
कोविड के समय पूरे विश्व ने यह अनुभव किया है कि मानव जीवन के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता स्वास्थ्य है। आयुर्वेद में भी दीर्घायु के साथ सुखायु एवं हितायु का उल्लेख है जिसका अभिप्रायः हैं कि मानव शरीर को जीवनकाल में स्वस्थ रहने का अवसर मिले तथा जब तक जीवित रहे स्वयं सुखी रहे और अपनी आयु काल के समय दूसरों के हित के लिए भी समय लगाने का अवसर मिल सके। 13 वर्ष पूर्व सिनेतारिका सुश्री प्रियंका चोपड़ा द्वारा विजन मिशन फाउण्डेशन का उद्घाटन किया गया। स्वयं के अनुभव के आधार पर सुश्री राशि सिंघल अग्रवाल द्वारा मानवता के कल्याण के लिए विजन मिशन फाउण्डेशन की स्थापना का बीज बोया गया जिसके द्वारा नोएडा में लगभग एक लाख व्यक्तियों का निःशुल्क परीक्षण डायबिटीज के लिए किया गया। गत एक वर्ष में 5 हजार व्यक्तियों का परीक्षण किया गया, जिसमें लगभग 30 प्रतिशत व्यक्तियों को डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित पाया गया। सामान्यतः आम व्यक्ति एलोपैथिक चिकित्सा पर निर्भर रहता है तथा जब बीमार पड़ता है तो डॉक्टर के पास उपचार हेतु जाता है। उल्लेखनीय है कि भारतीय परम्परागत चिकित्सा व्यवस्था का उल्लेख हजारों वर्ष वेदकालीन समय विशेषकर चरक एवं सुश्रुता संहिता एवं तमिल ग्रन्थों में विस्तृत रूप में वर्णित है। आयुर्वेद, योग, मर्म चिकित्सा प्रणायाम, कलारी, सिद्ध, आहार, पंचकर्मा, गायन एवं नृत्य थैरेपी, होमा एवं अस्ट्रो थैरेपी एवं वनस्पति विज्ञान के माध्यम से प्रिवेन्टिव हेल्थ मैनेजमेन्ट की विद्या आम व्यक्ति तक नहीं पहुंच पायी। एलोपैथिक चिकित्सा से कोई लाभ प्राप्त न होने पर हाल ही में केन्या के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री रायला ओडिन्गा की सुपुत्री रोजगैरी ओडिन्गा ने एरनाकुलम में आयुर्वेदिक चिकित्सा के माध्यम से डॉ. नारायण नाम्बुधरी के प्रयास से खोई हुई आँखों की रोशनी वापिस पाया। यह महसूस किया गया है कि अब उपयुक्त समय है कि भारत में वर्तमान एलोपैथिक चिकित्सा तथा परम्परागत भारतीय चिकित्सा पद्धति को एक साथ जोड़ते हुए AAYUSH (एलोपैथिक तथा आयुष पद्धति) को एकीकृत करते हुए चिकित्सा व्यवस्था विकसित की जाये। इस क्रम में आयुर्वेदिक तथा अन्य महत्वपूर्ण चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञों से सम्पर्क किया गया तथा दक्षिण भारत में तमिलनाडु में लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व प्रचलित चिकित्सा पद्धति वरमन जिसका क्रिया Thirumoolar Vethasatthi Academy, Coimbatore (Tamil Nadu) की ओर से Dr. Shunmugom द्वारा विभिन्न बीमारियों जैसे कि Diabetes, Blood Pressure, Stress Management, Pain in any Part of Body, Migraine, Arthritis, Depression, Indigestion, Cold Cough, Respiratory Disorders, Eye and Ear Disorders, Insomnia, Problems in Special Children like autism etc., Gastro-intestinal diseases आदि का उपचार (शरीर में उपलब्ध 8 हजार से अधिक बिन्दुओं में से 108 बिन्दुओं को स्वयं की अंगुलियों एवं अगूठे के द्वारा बीमारी के अनुसार दबाकर ) किया गया है। यह भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान में विश्व अनेकों सभ्यागत संकटों जैसे कि वैश्विक अशान्ति, आतंकवाद, स्वास्थ्य, पर्यावरण- इकोलॉजी डिस्टर्बन्स आदि चुनौतियों से गुजर रहा है। पिछले एक वर्ष के सतत् एवं कठिन परिश्रम के उपरान्त प्रोफेसर कपिल कपूर जी के नेतृत्व में 200 से अधिक प्रोफेसरों के सक्रिय बौद्धिक सहयोग के माध्यम से 70 देशों की यात्रा करते हुए तथा 500 पुस्तकों का संदर्भ लेते हुए “भारतीय संस्कृति वैश्विक न्यास दिनांक 18 अक्टूबर 2023 को गठित हुई। वैश्विक प्रसन्नता, स्वास्थ्य, मानवता, शान्ति, समृद्धि और जीव-अनुकूल इकोलॉजी जैसे क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग करते हुए जनोपयोगी भाषा में वैश्विक समकालीन सभ्यतागत संकटों का समाधान, जन सहयोग के माध्यम से करते हुए सामान्यजन तक पहुँचाने के लक्ष्य हेतु यह न्यास एक वैश्विक मंच प्रदान करता है।उक्त न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु भी विशेषकर वैश्विक स्वास्थ्य के क्षेत्र में जमीनी क्रियान्वयन हेतु विजन मिशन फाउण्डेशन द्वारा विशेष रूप से अनुरोध करके एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री लोकेश एम (आई.ए. एस.), मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नोएडा प्राधिकरण तथा अध्यक्षता डॉ. मनीष कुमार वर्मा (आई.ए. एस.), जिलाधिकारी, गौतमबुद्धनगर द्वारा की गयी। भारतीय संस्कृति वैश्विक न्यास के सम्बन्ध में पदम भूषण प्रो. कपिल कपूर, डॉ. शशिबाला, श्री दीपक सिंघल, पूर्व मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश द्वारा विस्तृत रूप से अवगत कराया गया। उक्त न्यास में सलाहकार मण्डल के रूप में प्रो. कपिल कपूर, डॉ. मनोहर शिन्दे, डॉ. सच्चिदानन्द जोशी, प्रो. चमन लाल गुप्ता, प्रो. जगबीर सिंह, प्रो. सुधीर कुमार, डॉ. नीरजा ए. गुप्ता, प्रो. डॉ. शशिबाला, प्रो. बैद्यनाथ लाभ, डॉ. सुब्रोतो गंगोपाध्याय, प्रो. रिचा चोपड़ा, डॉ. बी. आर. मणि, प्रो. के. राजन प्रो. हीरामन तिवारी, प्रो. चेल्लापांडियन, प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा, डॉ. रामास्वामी सुब्रमणि प्रो इन्द्रनारायण सिंह, प्रो. वीर सागर जैन, श्री वेदवीर आर्य देश के सुविख्यात शिक्षाविद सहयोग दे रहे हैं। कार्यशाला सुश्री राशि सिंघल अग्रवाल द्वारा सभी उपस्थित व्यक्तियों का स्वागत किया गया तथा श्री सुरेश काण्डी मनोहरन द्वारा संस्था के बारे में विस्तृत रूप से अवगत कराया गया। Dr. Shunmugom द्वारा चिकित्सा पद्धति के बारे में विस्तृत रूप से पद्धति को सबको समझाया गया और यह आश्वस्त किया गया कि आने वाले समय में उत्तर भारत में गौतमबुद्धनगर पहला जिला होगा, जिसमें उक्त चिकित्सा पद्धति का केन्द्र विकसित किया जायेगा जिससे कि प्राचीन भारतीय विरासत का लाभ एन.सी.आर क्षेत्र को मिल सके। कार्यक्रम का संचालन सुश्री शगुन सिंघल गर्ग द्वारा किया गया। इस अवसर पर Dr. Shunmugom लिखित तथा संस्था द्वारा प्रकाशित पुस्तक का भी विमोचन मुख्य अतिथि श्री लोकेश एम (आई.ए.एस.), मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नोएडा प्राधिकरण तथा डॉ. मनीष कुमार वर्मा (आई. ए. एस.) जिलाधिकारी, गौतमबुद्धनगर की अध्यक्षता में किया गया।