कुछ देर की चीख पुकार और फिर फैल गया सन्नाटा, नेपाल भूकंप ने कैसे कुछ मिनटों में खत्म कर दिए पूरे परिवार

कुछ देर की चीख पुकार और फिर फैल गया सन्नाटा, नेपाल भूकंप ने कैसे कुछ मिनटों में खत्म कर दिए पूरे परिवार
काठमांडू: नेपाल में शुक्रवार देर रात आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। इस आपदा में 157 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि 250 से ज्यादा घायल हो गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई।जब भूकंप आया तब जाजरकोट जिले के खलंगा गांव में 17 से 28 साल की उम्र के चार चचेरे भाई एक कमरे में सो रहे थे। उनमें से एक 28 साल की ईशा जीवित बची है। जिस कमरे में वे सो रहे थे, उसकी छत ढह गई और जब ईशा को मलबे से बचाया गया, तो उसकी चचेरी बहनें – मेरिना (25), ऊर्जा (17), और उपासना (23) मृत पाई गईं।मैंने अपने चचेरे भाइयों की चीखें सुनीं- ईशा
रविवार को ईशा ने खुद को खलंगा गांव से लगभग 150 किमी दूर नेपालगंज शहर के भेरी अस्पताल में पाया। उसके चेहरे और पीठ पर चोटें आईं। ईशा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मुझे वह सब याद नहीं है जो घटित हुआ, लेकिन मुझे वह सब कुछ याद है जो हम पर बीता। यह बहुत अचानक था। शुरुआत में, मैंने अपने चचेरे भाइयों की मदद के लिए चीखें सुनीं, लेकिन आखिरकार, वह बंद हो गई और मैं बेहोश हो गई। जब मैं उठी तो मैं जाजरकोट अस्पताल में थी, मुझे याद नहीं कि मुझे यहां (भेरी अस्पताल) लाया गया था। यह सब धुंधला है। लोग मुझसे कहते हैं कि छत हमारे ऊपर गिर गई।’
ईशा जजरकोट से लगभग 500 किमी दूर काठमांडू के एक कॉलेज में बीए की छात्रा है। ईशा और मेरिना अपनी छुट्टियों के लिए जजरकोट में बहनों ऊर्जा और उपासना से मिलने गई थीं, जब यह त्रासदी हुई। नेपाल में शुक्रवार रात आए भूकंप में 157 लोगों की मौत हो गई और 250 से ज्यादा लोग घायल हो गए। जाजरकोट और रुकुम पश्चिम दो सबसे अधिक प्रभावित जिले थे। कई घायलों को भेरी अस्पताल लाया गया।
ईशा की तरह दिनेश ओली भी अस्पताल में भर्ती
ईशा की तरह दिनेश ओली (25) भी भूकंप से बचे एक अन्य व्यक्ति हैं, जो आपातकालीन वार्ड में भर्ती है। वो भी ईशा की तरह किसी अपने को खोने का गम में हैं। वो कहते हैं कि जब वह अपनी बहन रश्मी, जो भूकंप में मर गई। उसके बारे में सोचते हैं तो उसके घायल चेहरे से आंसू छलक पड़ते हैं। जब यह हादसा हुआ तो दिनेश और रश्मी दोनों एक ही कमरे में थे।
भूकंप में जो लोग मर गए या घायल हुए उनमें से कई लोग उस समय सो रहे थे। अनामिका शाही (15) जाजरकोट में अपने घर पर सो रही थी, जब उसने जो सुना उसे लगा कि यह कोई विस्फोट है। वो कहती हैं कि फिर मुझे और कुछ याद नहीं आता। मैं अस्पताल में जागी। उसके पेट में लगी चोटों के लिए सोमवार को सर्जरी होगी। उसकी पसलियां भी टूट गई हैं।’
अनामिका और उसके पिता भी गुजरे पल को याद करते हैं-
अनामिका के घर की तरह जाजरकोट के पहाड़ी इलाके में कई घर बड़ी चट्टानों और मिट्टी से बने हैं। इससे बचाव और भी मुश्किल हो गया और अनामिका को चट्टानों के नीचे से निकालने में छह लोगों को लगना पड़ा। उनके पिता गोपाल प्रकाश शाही (39), जो रिमन गांव में अपने घर में एक छोटा सा भोजनालय चलाते हैं, वो भी घायल हो गए हैं। वह उसी वार्ड में हैं, जहां उनकी बेटी (अनामिका) भर्ती है। शाही कहते हैं कि उसे बचाने से पहले मैं केवल उसका हाथ देख सका था। वह चट्टानों और कीचड़ के नीचे थी। उन दोनों को जाजरकोट से हवाई मार्ग से नेपालगंज ले जाया गया।मुझे लगा था मैं मर जाऊंगा- टीका राम राणा
64 वर्षीय किसान टीका राम राणा (64) भी घायलों में एक हैं। उनके दोनों पैरों और सिर पर पट्टियां बंधी हुई हैं। वो सोमवार को होने वाली सर्जरी का इंतजार कर रहे हैं। वो कहते हैं कि मैं नसीब से बच गया। कोई सांस नहीं ले रहा था। मुझे लगा था मैं मर जाऊंगा। अस्पताल में 31 वर्षीय हरि प्रकाश भी थे, जो यह जानने के बाद कि उनकी मां भूकंप में घायल हो गई हैं, शिमला से वहां पहुंचे। हरि नेपाल से हैं, लेकिन शिमला में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं। वो कहते हैं कि पूरा घर ढह गया है। मुझे नहीं पता कि अब हम क्या करेंगे। शायद हम इसका पुनर्निर्माण करेंगे। हरि की मां गौमी कामिनी (61) ने कहा कि उसकी पीठ पर चोटें आईं हैं।भेरी अस्पताल के डॉक्टर ने क्या कहा?: भेरी अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा कि सरकार की तरफ से 40 लोगों का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि उनमें से 12 बच्चे हैं। कुछ लोगों की रास्ते में ही मौत हो गई। पहाड़ी इलाके से लोगों को लाना एक चुनौती है। इसमें कम से कम 5-6 घंटे का समय लगता है। आपातकालीन वार्ड में मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर ने कहा, ‘ज्यादातर मरीजों को सिर में गंभीर चोट लगी है, पैर, पसलियां और अन्य हिस्सों में फ्रैक्चर हुआ है। शुक्रवार को रात 11.47 बजे (स्थानीय समय) आया भूकंप, 2015 के बाद से नेपाल का सबसे घातक भूकंप था, जब कुछ ही हफ्तों के अंतराल पर रिक्टर पैमाने पर 7.8 और 7.3 तीव्रता के दो भूकंप आए, जिसमें लगभग 9,000 लोग मारे गए। नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने कहा कि शुक्रवार को आए 6.4 तीव्रता के भूकंप के बाद 175 झटके दर्ज किए गए, जिनमें से छह की तीव्रता 4 या उससे अधिक थी। बचाव कार्यों में शामिल एक स्थानीय कार्यकर्ता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि भूकंप में मौतों और चोटों की संख्या इस तथ्य से और भी बदतर हो गई है कि यह रात में आया था। कार्यकर्ता ने कहा, ‘अगर यह दिन के दौरान हुआ होता, तो कुछ लोग काम के लिए बाहर होते, कुछ खुले इलाकों में होते, लेकिन क्योंकि यह देर रात में हुआ, इसलिए नुकसान अधिक है।’
अचानक धरती हिली और कुछ ही मिनटों में पूरे-पूरे के परिवार खत्म हो गए। जो बच गए वो इतनी बुरी हालत में थे कि उन्हें कोई होश ही नहीं था। जब होश आया तो खुद को अस्पताल के बेड पर पाया। अपने प्रियजनों को खोने का सदमा बार-बार इन्हें सता रहा है। उस रात को शायद ये कभी भूल नहीं पाएंगे है। चश्मदीदों की आंखों के सामने आज भी उस रात का खौफनाक मंजर तैर रहा है कि कैसे एकदम से भगदड़ मची, मदद के लिए चारों तरफ चीख-पुकार थी और थोड़ी ही देर में ये आवाजें सुनाई देना बंद हो गईं और सन्नाटा फैल गया। नेपाल भूकंप की चश्मदीद ने बताया कैसा था मंजर: रिपोर्ट के मुताबिक, ईशा भी उन चश्मदीदों में हैं, जिन्होंने भूकंप में अपनों को खो दिया। जाजरकोट जिले के खलंगा गांव में जब रात को भूकंप आया तब ईशा अपनी चचेरी बहनों के साथ सो रही थीं। भूकंप में सिर्फ वो ही अकेले जिंदा बची है. ईशा का कहना है कि उसे सिर्फ इतना ही याद है कि एकदम से सब गिरने लगा और चारों ओर मदद के लिए चीख-पुकार सुनाई दे रही थी और फिर एकदम सन्नाटा फैल गया। इसके बाद उसे सीधे अस्पताल में होश आया और तब पता चला कि यह भूकंप उसका सबकुछ छीनकर ले गया। जिन बहनों के साथ वह उस दिन एक कमरे में सो रही थी, अब वो इस दुनिया में नहीं है।।काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट की रिपोर्ट में मुताबिक, उर्मिला रावत और चंद्रशेखर रावत भी ईशा की तरह भूकंप के पीड़ित हैं, जिन्होंने इस भूकंप में अपने अपनों को खो दिया। जाजरकोट के भेरी के रावतगांव की रहने वाली उर्मिला ने अपने दो बेटों समेत परिवार के 6 सदस्यों को खो दिया है। उर्मिला और चंद्रकला दो बहनें थीं. भूकंप में उर्मिला के दो बेटों, छोटी बहन चंद्रकला और उसकी बेटी और परिवार के अन्य लोगों की मौत हो गई।
नेपाल भूकंप में 8,000 मकान हो गए तबाह
इस त्रासदी में हजारों लोग बेघर हो गए हैं. 8,000 घर तबाह हो गए हैं। जाजराकोट और रुकुम पश्चिम जिल के अधिकारियों ने बताया कि करीब 8,000 बिल्डिंग टूट गई हैं। उन्होंने कहा कि शुरुआती जानकारी के मुताबिक, करीब 3,000 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं, जबकि 5,000 बिल्डिंग पूरी तरह नष्ट नहीं हुई हैं, लेकिन काफी हद तक डैमेज हो गई हैं। नेपाल गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नारायण प्रसाद भट्टारी ने कहा कि जो बिल्डिंग या घर पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं, उन्हें फिर से बनाया जाएगा। वहीं, जिनको रिपेयर करने की जरूरत है, उनको रिपेयर कर ठीक किया जाएगा।अब तक 157 लोगों की मौत: भूकंप में मरने वालों का आंकड़ा 157 तक पहुंच गया है। रविवार को भेरी में 13 और डेड बॉडी मिली हैं और चिउरी गांव में भी 13 लोगों की मौत हुई है। पूरे जजराकोट जिले में कुल 105 लोगों की जान गई है। इसके अलावा, रुकुम पश्चिम जिले में भी 52 लोगों की मौत हुई और कुल 84 लोग घायल हुए हैं।
साल 2015 में भी ऐसे ही भूकंप से दहला था नेपाल
शुक्रवार को आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.4 मापी गई है। नेपाल के इतिहास में यह भूकंप बड़ी त्रासदी है. इससे पहले साल 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप ने इसी तरह की तबाही मचाई थी, जिसमें करीब 9,000 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 8,00,000 के आस-पास घर नष्ट हो गए थे। पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट रिपोर्ट, 2015 के मुताबिक, इस भूकंप में 920 ऐतिहासिक इमारतें, 402 मोनेस्टरी, 7,553 स्कूल, 1,197 मेडिकल सेंटर, 415 सरकारी बिल्डिंग, सुरक्षा एजेंसियों की 216 इमारतें और विभिन्न राज्यों की 672 किमी सड़कें टूट गई थीं।
भूकंप के लिए लंबे समय से दी जा रही थी चेतावनी: काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल के पश्चिमी इलाके में कुछ सालों में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, जिसके चलते सीस्मोलॉजी विभाग लंबे समय से सरकार को अलर्ट करता रहा है कि कभी भी यह इलाका भूकंप के जोरदार झटकों से दहल सकता है। काफी सम से भूकंप के थोड़े बहुत झटके महसूस किए जा रहे थे। पिछले महीने ही इस इलाके के बाजुरा जिले में 4 अक्टूबर को 6.3 तीव्रता के भूकंप में दर्जनों लोग घायल हो गए थे, जबकि कई घर नष्ट हो गए थे। इससे पहले जनवरी में भी इसी जिले में भूकंप आया था, जिसमें एक महिला की मौत हो गई और 25 लोग घायल हुए थे। नेपाल के नेशनल अर्थक्वेक मीजरमेंट एंड रिसर्च सेंटर के सीनियर डिविजनल सीस्मोलॉजिस्ट लोक बिजया अधिकारी ने कहा कि हाल ही में पश्चिम नेपाल में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। पिछली घटनाओं से सीख लेकर नई इमारतों को इस तरह से बनाया जाना चाहिए कि आगे इस तरह जान-माल का बड़ा नुकसान नहीं हो। उन्होंने कहा कि इतना बड़ा नुकसान इसीलिए हुआ क्योंकि सरकार ने इससे बचने के लिए तैयारियां नहीं की हुई थीं। @ रिपोर्ट अशोक झा

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