बंगाल का राशन वितरण घोटाला का तार जुड़ा बिहार के चारा घोटाला से

बंगाल का राशन वितरण घोटाला का तार जुड़ा बिहार के चारा घोटाला से
– पशु आहार घोटाला भ्रष्टाचार में शामिल दीपेश चांडक, हितेश और अंकित राशन भ्रष्टाचार में भी शामिल
अशोक झा, सिलीगुड़ी: बंगाल में करोड़ों रुपए का राशन वितरण घोटाला की जॉच ज्यों ज्यों आगे बढ़ रही है त्यों त्यों इसमें चौंकाने वाले खुलासा हो रहा है। अब इस घोटाला का तार बिहार का सबसे चर्चित चारा घोटाला से जुड़ता नजर आ रहा है। बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने घोटाला के उजागर होने पर कहा था” बिहार में चारा खा गया लालू, बंगाल में राशन खा गया बालू। बालू कोई और नहीं बल्कि मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक है जिसे लोग बालू दा कहते है। जांच एजेंसी बिहार चारा मामले को पश्चिम बंगाल राशन भ्रष्टाचार से जोड़ रही है। ईडी का दावा है कि चारा भ्रष्टाचार मामले के मुख्य आरोपियों के नाम राशन भ्रष्टाचार मामले में भी हैं। पशु चारा घोटाला राशन भ्रष्टाचार से जुड़ा है। पशु आहार चारा घोटाला भ्रष्टाचार में शामिल दीपेश चांडक, हितेश और अंकित राशन भ्रष्टाचार में भी शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, दीपेश चांडक की गेहूं मिल और राइस मिल जैसी कई कंपनियां ईडी की जांच के घेरे में हैं। सवाल यह है कि क्या इन कंपनियों और राशन भ्रष्टाचार के बीच कोई संबंध है? हाल ही में केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी के अधिकारियों ने डोमजादा राशन भ्रष्टाचार मामले में शुक्रवार से अंकित इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के आटा मिल, चावल मिल, कॉर्पोरेट कार्यालय और निदेशक के घर पर तलाशी ली। करीब दो दिनों तक चले ईडी के ऑपरेशन के बाद विस्फोटक जानकारियां सामने आ रही हैं। उस पैकेजिंग फर्म के निदेशकों को लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाले में फंसाया गया था। शाही गवाह के रूप में रिहा होने के बाद, क्या उन्होंने राशन भ्रष्टाचार में पकड़े गए व्यवसायी बकीबुर रहमान के साथ संबंध बनाए? केंद्रीय जांच एजेंसी ने बीते शनिवार सुबह से ही कोलकाता समेत राज्य के अलग-अलग हिस्सों में तलाशी शुरू कर दी है। एजेसी बोस रोड स्थित एक कार्यालय में तलाशी ली गई। इसके अलावा, उन्हीं निदेशकों पर ईडी ने हावड़ा डोम में पैकेजिंग फर्मों पर भी छापा मारा था। कथित तौर पर उस पैकेजिंग कंपनी के माध्यम से एफसीआई द्वारा भेजे गए चावल और गेहूं को अपने लेबल के साथ विपणन किया गया था। पैकेजिंग कंपनी के निदेशक व्यवसायी हितेश चांडक और दीपेश चांडक हैं। 1996 में दोनों को चारा घोटाला मामले में आरोपी थे। वे सीबीआई की नजर में आ गए। दो इस मामले के गवाह थे। पता चला है कि दोनों व्यवसायियों ने केंद्रीय जांच एजेंसी को बताया कि लालूप्रसाद ने यादव को 60 करोड़ रुपये दिये थे। इसके बाद उन्हें उस केस से मुक्त कर दिया गया था। करीब 27 साल बाद इन दोनों कारोबारियों का नाम बंगाल के राशन भ्रष्टाचार मामले में आया है। ईडी का दावा है कि दीपेश और हितेश चांडक पूर्व मंत्री और वर्तमान वन मंत्री के करीबी हैं। हालांकि, वे इस मामले में कैसे शामिल हुए, इसकी जांच ईडी ने शुरू कर दी है। केंद्रीय एजेंसी की एक साथ 7 ठिकानों पर गहन तलाशी: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपए के राशन वितरण घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई की है। ईडी अधिकारियों ने कोलकाता, हावड़ा समेत राज्य के सात ठिकानों पर गहन तलाशी अभियान चलाया। हावड़ा के अलग-अलग इलाकों में 20 घंटे तक छापेमारी तो कोलकाता के एजेसी बोस रोड स्थित बहुमंजिला इमारत में 22 घंटे से अधिक समय तक रेड की गई। बनगांव की चावल मिल से 19 घंटे रेड के बाद सुबह करीब 3 बजे ईडी अधिकारी निकले। ईडी अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि तलाशी अभियान के दौरान क्या दस्तावेज जब्त किए गए हैं। शनिवार को आटा मिल मालिक के आवास, मिल और कार्यालयों पर छापे का अभियान शुरू हुआ जो रविवार तडक़े तक जारी है।
मंत्री के करीबी विश्वासपात्र पर नजर: ईडी अधिकारियों ने राज्य के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के करीबी विश्वासपात्र बताए जा रहे कारोबारी के यहां तलाशी अभियान चलाया। आरोप है कि जो आटा उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से बेचा जाना था, उसे खुले बाजार में प्रीमियम मूल्य पर बेच दिया गया। ईडी के अधिकारियों ने राधाकृष्ण फ्लोर मिल के मालिक मंटू दास से भी पूछताछ की। ईडी को जानकारी मिली कि चोरी के रूप में दिखाए जाने के बजाय जब्त गेहूं को लावारिस बताया गया।
पालिकाओं में भर्ती मामले में मंत्री की संलिप्तता की जांच
ईडी अब जांच कर रही है कि क्या मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का राशन वितरण मामले में कथित संलिप्तता के अलावा नगर पालिकाओं की भर्ती अनियमितताओं से कोई संबंध था। मामलों के पैटर्न, नगर पालिकाओं की भौगोलिक स्थिति और अनियमितताओं के समय का अध्ययन करने के बाद ईडी को संदेह हुआ। केंद्रीय एजेंसी ने 10 नगर पालिकाओं की पहचान की थी, जहां भर्ती संबंधी अनियमितताएं सबसे ज्यादा थीं। इनमें से सात उत्तर 24 परगना जिले में हैं। ईडी ने पाया है कि ये मामले तब हुए जब मल्लिक मंत्री पद संभालने के अलावा उत्तर 24 परगना जिले के तृणमूल अध्यक्ष थे। सत्तारूढ़ दल के जिला अध्यक्ष होने के नाते, ईडी को संदेह है कि यह बहुत संभव है कि नगर पालिकाओं के कामकाज पर उनका अप्रत्यक्ष प्रभाव था और इसलिए एजेंसी इस पहलू की भी जांच कर रही है। रिपोर्ट अशोक झा

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