किन्नरों की बद्दुआ नही लेनी चाहिए, आज कलशयात्रा का होगा भव्य स्वागत
सिलीगुड़ी: अखिल भारतीय मंगलमुखी कलशयात्रा आज सिलीगुड़ी में निकाली जाएगी। इस यात्रा को खास बनाने के लिए किन्नर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पहुंचे है। यह कलशयात्रा एयरव्यू होकर हाशमी चौक, सेवकमोड, विधान मार्केट होता हुआ पानीटंकी होते हुए एयरव्यू पर संपन्न होगा। कलशयात्रा के दौरान लायंस क्लब ऑफ सिलीगुड़ी, राजस्थान वॉच कंपनी की ओर से स्वागत की तैयारी की जा रही है। किन्नरों के जीवन से जुड़ी ये बातें क्या जानते हैं आप? बहुत से लोग ऐसा भी मानते है कि इनकी बद्दुआ नही लेनी चाहिए, पर क्यों नही लेनी चाहिए ये कोई नही जानता।
किन्नरों के जीवन से जुड़ी ये बातें क्या जानते हैं आप?
घर में विवाह समारोह हो या बच्चे का जन्म इन शुभ अवसरों पर बधाई लेने आते हैं किन्नर। इनकी तालियां और बोलने-चलने का तरीके से कोई भी इन्हें पहचान लेता है कि ये किन्नर है। कई नाम होते हैं इनके हमारे यहां, किन्नर, हिजड़ा और न जाने क्या-क्या। आम आदमी इनके पैसे मांगने का ज्यादा विरोध नही करता और चुपचाप निकाल कर दे देता हैं। ऐसा क्यों? बहुत से लोग ऐसा भी मानते है कि इनकी बद्दुआ नही लेनी चाहिए, पर क्यों नही लेनी चाहिए ये कोई नही जानता। हमारे देश में इस समय 5 लाख किन्नर हैं गजब। आज हम आपको बताएंगे किन्नरो से जुड़ी कुछ ऐसी बातें, जो आप हमेशा से जानना चाहते थे, लेकिन न तो आप किसी से पूछ पाते हैं और न ही कोई आपको बता पाता हैं। किन्नर समुदाय ख़ुद को मंगलमुखी मानते हैं, इसलिए ही ये लोग बस विवाह, जन्म समारोह जैसे मांगलिक कामों में ही भाग लेते हैं। मरने के बाद भी ये लोग मातम नहीं मनाते, बल्कि ये खुश होते हैं कि इस जन्म से पीछा छूट गया। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा जी की छाया से किन्नरों की उत्पत्ति हुई है ज्योतिष के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ‘वीर्य’ की अधिकता से बेटा होता है और रज यानि रक्त की अधिकता से बेटी।अगर रक्त और वीर्य दोनों बराबर रहें, तो किन्नर का जन्म होता है। महाभारत में अज्ञातवास के दौरान, अर्जुन ने विहन्न्ला नाम के एक हिजड़े का रूप धारण किया था। उन्होंने उत्तरा को नृत्य और गायन की शिक्षा भी दी थी।किन्नर की दुआएं किसी भी व्यक्ति के बुरे समय को दूर कर सकती हैं माना जाता है कि इन्हें भगवान श्रीराम से वनवास के बाद वरदान प्राप्त हैं कहा जाता है कि इनसे एक सिक्का लेकर पर्स में रखने से धन की कमी भी दूर हो जाती हैं।किन्नर अपने आराध्य देव अरावन से साल में एक बार विवाह करते है, ये विवाह लेकिन मात्र एक दिन के लिए ही होता है। pशादी के अगले ही दिन अरावन देवता की मौत हो जाती है और इनका वैवाहिक जीवन खत्म हो जाता है। 2014 से पहले इन्हें समाज में नही गिना जाता था. अभी भी इनके साथ हुए बलत्कार को बलत्कार नही माना जाता। अगर किसी के घर बच्चा पैदा होता है और उस बच्चे के जननांग में कोई कमजोरी पायी जाती है, तो उसे किन्नरों के हवाले कर दिया जाता है। यह समाज ऐसे लड़कों की तलाश में रहता है जो खूबसूरत हो, जिसकी चाल-ढाल थोड़ी कोमल हो और जो ऊंचा उठने के ख्वाब देखता हो। यह समुदाय उससे नजदीकी बढ़ाता है और फिर समय आते ही उसे बधिया कर दिया जाता है। बधिया, यानी उसके शरीर के हिस्से के उस अंग को काट देना, जिसके बाद वह कभी लड़का नहीं रहता। किन्नरों की बद्दुआ इसलिए नही लेनी चाहिए क्योकिं ये बचपन से लेकर बड़े होने तक दुखी ही रहते हैं ऐसे में दुखी दिल की दुआ और बद्दुआ लगना स्वाभाविक हैं। किसी की मौत होने के बाद पूरा हिजड़ा समुदाय एक हफ्ते तक भूखा रहता है। किन्नरों के बारे में अगर सबसे गुप्त कुछ रखा गया है, तो वो है इनका अंतिम संस्कार। जब इनकी मौत होती है, तो उसे कोई आम आदमी नहीं देख सकता। इसके पीछे की मान्यता ये है कि ऐसा करने से मरने वाला फिर अगले जन्म में किन्नर ही बन जाता है। इनकी शव यात्राएं रात में निकाली जाती है। शव यात्रा निकालने से पहले शव को जूते और चप्पलों से पीटा जाता है। इनके शवों को जलाया नहीं जाता, बल्कि दफनाया जाता है। रिपोर्ट अशोक झा