पीएम से गुहार, जस्टिस अमृता सिन्हा के पति का आरोप, पत्नी के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव बना रही सीआईडी
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को ED केस में राहत देने से इनकार करने वाली कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायाधीश के पति ने बंगाल CID पर टॉर्चर करने का आरोप लगाया है। कलकत्ता हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ वकील, जो अदालत की न्यायाधीश अमृता सिन्हा के पति भी हैं। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की कि राज्य पुलिस की सीआईडी उन पर अपनी पत्नी के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डाल रही है। प्रताप चंद्र डे ने यही लिखित शिकायत केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी भेजी है। इससे पहले दिन में, डे ने बार एसोसिएशन में इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता डे ने सीआईडी पर उन्हें एक मामले में गवाह के रूप में बुलाने और उसके बाद अपनी पत्नी के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया। पश्चिम बंगाल में स्कूल में नौकरी के लिए अभ्यर्थियों से करोड़ों रुपये वसूले जाने, विशेष रूप से एक कॉर्पोरेट इकाई के निदेशकों की संपत्ति से संबंधित मामले, जिनका नाम कथित स्कूल नौकरी घोटाले की केंद्रीय एजेंसी की जांच के दौरान सामने आया था। मामले की सुनवाई फिलहाल जस्टिस सिन्हा की बेंच कर रही है। डे ने दावा किया कि उन्हें सीआईडी अधिकारियों ने दो बार बुलाया था और उन्हें सीआईडी कार्यालय में नौ घंटे से अधिक समय तक इंतजार कराया गया था। पता चला है कि डे ने अपना मोबाइल फोन जमा करने के सीआईडी का निर्देश का नहीं माना और इसके बजाय एजेंसी को एक जवाबी पत्र दिया। डे ने दावा किया कि उन पर अपनी पत्नी के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डालने के अलावा, उन्हें लुभावने वादों से लुभाने की भी कोशिश की गई थी। उधर, सीआईडी की शिकायत में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी डे इस मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं । इसके पहले कोलकाता मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के बार एसोसिएशन को दी गई अपनी शिकायत में डे ने सीआईडी अधिकारियों पर उन्हें एक मामले में गवाह के रूप में बुलाने और उसके बाद उनकी पत्नी के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया। स्कूल में नौकरी के लिए नकद का मामला जस्टिस सिन्हा की बेंच में लंबित है। एक कॉर्पोरेट इकाई के निदेशकों की संपत्ति से संबंधित एक मामला, जिसका नाम स्कूल नौकरी मामले में केंद्रीय एजेंसी की जांच के दौरान सामने आया था, बुधवार को सुनवाई के लिए निर्धारित है। डे ने दावा किया कि उन्हें सीआईडी अधिकारियों ने दो बार बुलाया था और आखिरी बार उन्हें नौ घंटे से अधिक समय तक सीआईडी कार्यालय में इंतजार कराया गया था। यह पता चला है कि डे ने अपना मोबाइल फोन जमा करने के सीआईडी के निर्देश का पालन नहीं किया और इसके बजाय राज्य एजेंसी को एक जवाबी पत्र दिया। उन्होंने पश्चिम बंगाल अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) के अधिकारियों पर जांच के नाम पर उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। जिला अदालत में प्रैक्टिस करने वाले प्रताप चंद्र डे ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई है। यह वकील कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अमृता सिन्हा के पति हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “मेरे साथ एक ऐसे अपराधी की तरह व्यवहार किया गया, जिसे किसी जघन्य अपराध का आरोपी बनाया गया हो। मुझसे एक से अधिक अधिकारियों ने पूछताछ की और केवल मेरी पत्नी और पर्सनल डिटेल के बारे में सवाल पूछे गए। उन्होंने लोकल गुंडों की तरह व्यवहार किया। वे ऊंचे स्वर से चिल्ला रहे थे। एक भी सभ्य भाषा का प्रयोग नहीं किया गया। सभी अपशब्द और गंदे अपशब्द बोले।” बता दें कि न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा वर्तमान में पश्चिम बंगाल के स्कूलों में करोड़ों रुपये के भर्ती घोटाले में कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही हैं। उन्होंने हाल ही में ईडी को तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने का निर्देश दिया था। अब उनके पति प्रताप चंद्र डे ने आरोप लगाया कि सीआईडी के अधिकारियों ने उन पर उनकी पत्नी के खिलाफ गवाही देने का दबाव डाला। इनकार करने पर उनका टॉर्चर और बढ़ गया। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों ने दबाव बनाने और उनकी पत्नी को भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसाने के लिए जबरन झूठी जानकारी निकालने के लिए उन पर कई बार हमला किया। उन्होंने लिखा, “मुझे बड़ी रकम, महंगी कारें, शानदार आवासीय अपार्टमेंट और ऐसी कई अन्य चीजों की पेशकश की गई थी, जिनका उल्लेख करने में मुझे शर्म आती है। अगर मैं उनकी सलाह के अनुसार गवाही देने में विफल रहा तो मुझे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। मेरे बच्चे और पत्नी को भी धमकी दी गई है। उन्होंने कहा कि अगर मैं उनकी बात नहीं मानूंगा तो वे मेरे पूरे परिवार को बर्बाद कर देंगे।”आरोपों पर सीआईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “सीआईडी बुधवार रात तक एक बयान जारी करेगी।” शाम करीब 4 बजे तक सीआईडी ने कोई बयान जारी नहीं किया। बता दें कि इस साल सितंबर में विधाननगर पुलिस ने एक उम्रदराज महिला बार्न ऐप पर पढ़ें चौधरी की शिकायत के आधार पर संपत्ति विवाद में उनके बार के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। आरोप है कि न्यायधीश सिन्हा के पति ने इस मामले में अपने रसूख का इस्तेमाल किया था। बाद में जांच सीआईडी को स्थानांतरित कर दी गई। प्रताप डे के वकील प्रतीक बसु ने कहा, “मेरे मुवक्किल का इस मामले से कोई संबंध नहीं है। वह बानी रॉय चौधरी को नहीं जानता और उसने कभी उसे फोन नहीं किया। एफआईआर में उनका नाम तक नहीं है। हालांकि, प्रतिवादी ने यह आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया कि मेरा मुवक्किल उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश का पति होने के नाते अपनी जीवनसाथी की स्थिति के कारण अनुचित प्रभाव डाल रहा था।”सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की बेंच ने 6 नवंबर को सीआईडी को जांच जारी रखने का निर्देश दिया। इस मामले पर जनवरी 2024 में दोबारा सुनवाई होने की संभावना है। सीआईडी ने डे से एक दिसंबर को करीब साढ़े तीन घंटे और फिर 16 दिसंबर को करीब नौ घंटे तक पूछताछ की। प्रताप डे ने अपने पत्र में लिखा, “एक प्रैक्टिसिंग वकील के रूप में मैं आपसे गलत काम करने वालों के खिलाफ तुरंत आवश्यक कार्रवाई करने और बार के हितों की रक्षा करने का अनुरोध करना चाहता हूं। अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा हो सकती हैं।”क्या है पूरा मामला? पश्चिम बंगाल की रहने वाली 64 साल की एक बुजुर्ग विधवा महिला और उनकी बेटी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। महिला का आरोप था कि कलकत्ता हाईकोर्ट की सिटिंग जज जस्टिस अमृता सिन्हा और उनके पति उनके केस की निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं होने दे रहे।
क्या है विवाद की कहानी?
बुजुर्ग याचिकाकर्ता के मुताबिक, उसका अपने रिश्तेदारों के साथ प्रॉपर्टी का विवाद चल रहा है और विपक्षी पार्टी ने जस्टिस अमृता सिन्हा के पति प्रताप चंद्र डे को अपना एडवोकेट नियुक्त किया है। बुजुर्ग के दावों से सुप्रीम कोर्ट भी हैरान रह गया था। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सीआईडी को पूरे मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच करने को कहा था. बंगाल सरकार से सीलबंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी थी। आपको बता दें कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तब प्रताप चंद्र डे के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की। सीआईडी अधिकारियों के मुताबिक इस मामले में सितंबर में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दो एफआईआर दर्ज की गई थीं। उसके बाद से ही सीआईडी जज के पति को परेशान करने में लगे है बताया जा रहा है। रिपोर्ट अशोक झा