बंगाल में विपक्षी गठबंधन की गांठ खुलने के बजाय हो रही मजबूत, कांग्रेस का 8 सीटों पर दावा

कोलकाता: इंडिया ब्लॉक की चौथी बैठक में सीटों के बंटवारे का मुद्दा महत्वपूर्ण रहा। हालांकि, अभी तक इसमें कोई सफलता नजर नहीं आ रही है। खासकर यूपी और बंगाल में सहयोगी दलों में सीटों की दावेदारी पर ज्यादा पेच फंस रहा है। बंगाल में लोकसभा चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग की चर्चा जोरों पर चल रही है। सबसे बड़ा सवाल ये चल रहा है कि टीएमसी, कांग्रेस को कितनी सीटें देने को तैयार रह सकती है। अब इस बीच बंगाल कांग्रेस ने टीएमसी से सात सीटों की मांग कर दी है।बताया जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान के साथ जो मीटिंग हुई है, उसमें बंगाल इकाई ने साफ कर दिया है कि वे सात सीटों पर जीत दर्ज कर सकते हैं।कांग्रेस क्यों मांगे ज्यादा सीटें? कांग्रेस का तर्क ये है कि पिछली बार दो सीटों पर उनकी पार्टी को जीत मिली थी। वहीं 6 सीटें ऐसी रही थीं जहां बीजेपी ने जीत दर्ज की थी, यानी कि जो सीटें टीएमसी के खाते में गईं, कांग्रेस उनमें से एक भी नहीं मांग रही। लेकिन बाकी सीटों पर वो ममता बनर्जी से समझौता चाहती है। जानकारी के लिए बता दें कि मुर्शिदाबाद और मालदा (दक्षिण) दो ऐसी सीटें हैं जो कांग्रेस ने जीती थीं, वहीं बहरमपुर,जंगीपुर, मालदा उत्तर, रायगंज और दार्जिलिंग ऐसी सीटें रहीं जहां पर बीजेपी ने टीएमसी को हरा दिया था।
टीएमसी का क्या तर्क? इस समय कांग्रेस ये लॉजिक देने का काम भी कर रही है कि जो पिछली बार जिस सीट पर जीता था, उसे ही इस बार भी उस सीट पर चुनाव लड़ने दिया जाएगा। इसी वजह से बताया जा रहा है कि टीएमसी, बंगाल में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें देने को तैयार हैं, वहीं खुद टीएमसी 40 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। बड़ी बात ये है कि टीएमसी, लेफ्ट को एक भी सीट देने को तैयार नहीं है। वैसे कांग्रेस के सात सीटों के प्रस्ताव को टीएमसी सिरे से खारिज कर चुकी है। उसका साफ मानना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी, ऐसे में उसे एक भी सीट लोकसभा में नहीं दी जानी चाहिए।बंगाल में क्या चुनावी स्थिति?।बंगाल के पिछले लोकसभा नतीजों की बात करें तो बीजेपी के खाते में 18 सीटें गई थीं, वहीं टीएमसी 22 सीटों पर सिमट गई थी। वो बीजेपी का बंगाल में अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन था। बीजेपी इस बार फिर बंगाल के जरिए ही अपनी संभावित नुकसान वाली सीटों की भरपाई करना चाहती है। उसे उम्मीद है कि फिर बंगाल में 2019 वाला प्रदर्शन दोहराया जाएगा। लेकिन, 28 विपक्षी दलों में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को गुजरात की चिंता भी बहुत सता रही है। खासकर खंबात के कांग्रेसी एमएलए चिराग पटेल ने जबसे विधायकी छोड़ी है, पार्टी को वहां अपना बचा-खुचा जनाधार भी खिसकने का डर सता रहा है। कांग्रेस एमएलए ने छोड़ी विधायकी: कांग्रेस नेता मानते हैं कि पटेल के जाने से आणंद इलाके में पार्टी गढ़ में भी सेंध लग चुकी है। मध्य गुजरात का यह इलाका करीब दो दशकों तक कांग्रेस का मजबूत किला रह चुका है। पटेल ने जिस तरह से लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी और विधायकी छोड़ी है, कांग्रेस के लिए उससे ज्यादा चिंता की बात वह है, जो वे कहकर निकले हैं। पार्टी को और विधायकों के कांग्रेस छोड़ने की सता रही है चिंता: उन्होंने कहा था कि ‘कई और विधायक हैं, जो कांग्रेस में घुटन महसूस कर रहे हैं।’ उनके मुताबिक, ‘ज्यादातर विधायक पार्टी के कामकाज के तरीके और बहुत ज्यादा गुटबाजी की वजह से नाखुश हैं। नए चेहरों और युवाओं का मौका नहीं मिल रहा है।’उन्होंने राष्ट्रवाद के मुद्दे पर भी कांग्रेस के स्टैंड पर सवाल उठाया है। कांग्रेस के लिए यह इसलिए बड़ी चेतावनी की तरह है, क्योंकि हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर जैसे नेताओं ने भी कांग्रेस छोड़ते हुए ऐसी ही दलीलें दी थीं।लोकसभा चुनावों की वजह से कांग्रेस को है टेंशन
राज्य में कांग्रेस के अब सिर्फ 16 विधायक बच गए हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के सामने चुनौती गंभीर है, जो इंडिया ब्लॉक का भी टेंशन बढ़ा रहा है। गुजरात में लोकसभा की 26 सीटें हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का गृहराज्य है।भाजपा के लक्ष्य को कैसे चुनौती देगा विपक्ष?आज भी गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटें बीजेपी के पास हैं। लेकिन, इस बार उसने लक्ष्य यह तय किया है कि सारी 26 सीटें तो जीतना ही है, जीत का अंदर हर सीट पर 5 लाख से ज्यादा वोटों का रखना है।आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं चाहते कांग्रेस नेतागुजरात कांग्रेस के नेता अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ किसी भी तरह से तालमेल के पक्ष में नहीं हैं। जबकि, यह दोनों दल विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्ल़ॉक का हिस्सा हैं।एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के मुताबिक, ‘प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने एआईसीसी को पहले ही बता दिया है कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के पक्ष में वे नहीं हैं, इस पार्टी ने 2022 में नुकसान पहुंचाया था। हम सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन यह भी जानते हैं कि ज्यादा कुछ चौंकाने वाला नहीं कर पाएंगे। एक या दो सीट पर जीत से भी बीजेपी को तगड़ा झटका लगेगा। आम आदमी पार्टी की एंट्री से हिल गई कांग्रेस की नींव।
2017 में कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव में 182 में से 77 सीटें जीती थी और उसे करीब 41% वोट मिले थे। लेकिन, 2022 में आम आदमी पार्टी ने बहुत ही गंभीरता से चुनाव लड़ा। पार्टी न सिर्फ 5 सीटें जीत गई, बल्कि करीब 13% वोट जुटाने में भी सफल हो गई। इसका परिणाम ये हुआ कि कांग्रेस का वोट शेयर घटकर सिर्फ 27% के करीब रह गया और सीटें सिमटकर 17 रह गईं। दोनों चुनावों में भाजपा के वोट शेयर में सिर्फ 3% का इजाफा हुआ, लेकिन सीटें 99 से बढ़कर रिकॉर्ड 156 तक पहुंच गईं। खड़गे को बुलाया गया होने वाला ‘PM’ तो नाराज हो गए थे नीतीश कुमार, अब राहुल गांधी ने मनाने के लिए किया ये काम
ऐसी स्थिति में इंडिया ब्लॉक के सामने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीटों का बंटवारा करना एक बड़ी चुनौती साबित होने वाली है। वहीं कांग्रेस को इस बात का डर है कि अगर भारतीय जनता पार्टी ने 5 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज करने का अपना मिशन पूरा कर लिया तो प्रदेश में उसके राजनीतिक वजूद पर भी सवाल उठने लगेंगे।रिपोर्ट अशोक झा

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