टीएमसी में वरिष्ठ और युवा पीढ़ी के नेताओं के बीच गहराने लगा विवाद , ममता से मिलने पहुंचे अभिषेक व फिरहाद हाकीम
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस का गठन हुए सोमवार को 26 साल पूरे होने के बीच इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि क्या पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को युवा पीढ़ी के नेताओं के लिए रास्ता बनाना चाहिए ?स्थापना दिवस पर भी युवा-बुजुर्ग संघर्ष ने तृणमूल का पीछा नहीं छोड़ा। साल के पहले दिन सुब्रत बख्शी और कुणाल घोष की परस्पर विरोधी टिप्पणियों ने राज्य की राजनीति को हिलाकर रख दिया। और उससे तृणमूल का शीर्ष नेतृत्व काफी असहज है. ऐसे में पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी और मेयर फिरहाद हकीम शाम को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कालीघाट स्थित घर पर दिखे। हालात संभालने के लिए ममता के दरवाजे पर पहुंचे ये दो बड़े नेता? इसे लेकर एक बार फिर अटकलें शुरू हो गई हैं। अंग्रेजी नववर्ष की पूर्व संध्या पर अभिषेक बनर्जी सबसे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कालीघाट स्थित आवास पर नजर आए। तभी फिरहाद हकीम वहां आये। दावा है कि दोनों को एक दूसरे के आने की कोई खबर नहीं थी। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि नेता घर क्यों आये थे। हालांकि माना जा रहा है कि पार्टी के अंदर युवा और बुजुर्ग के बीच चल रहे झगड़े को सुलझाने के लिए दोनों युवा और बुजुर्ग नेता उनके आवास पर आए थे। यह भी बहुत महत्वपूर्ण है. हालांकि उन्होंने कहा कि वे नये साल की बधाई देने के लिए नेता के कालीघाट स्थित आवास पर आये थे। तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व के एक वर्ग का मानना है कि इस बार तृणमूल नेता ममता बनर्जी के हस्तक्षेप से युवाओं और बुजुर्गों के बीच सभी तनाव खत्म हो जाएंगे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अनुभवी नेताओं का समर्थन कर रही हैं जबकि उनके भतीजे अभिषेक बुजुर्ग नेताओं की सेवानिवृत्ति की वकालत कर रहे हैं। बुजुर्ग नेताओं बनाम नई पीढ़ी के नेताओं के बीच छिड़ी इस बहस के बीच मुख्यमंत्री बनर्जी ने पिछले महीने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का सम्मान किये जाने का आह्वान किया था जिसके बाद इस तरह के दावे खारिज हो गये थे कि बुजुर्ग नेताओं को राजनीति से सेवानिवृत्त किया जाना चाहिए।
अगली पीढ़ी के नेताओं के लिए जगह बनाने की जरूरत : कुणाल घोष
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बढ़ती उम्र के साथ कार्य कुशलता में गिरावट का हवाला देते हुए कहा था कि राजनीति में सेवानिवृत्ति की उम्र होनी चाहिए। अभिषेक बनर्जी के करीबी माने जाने वाले पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने दावा किया कि पुराने और नये नेताओं के बीच कोई खींचतान नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि पुराने नेताओं को ”यह पता होना चाहिए कि कहां रुकना है’ और उन्हें अगली पीढ़ी के नेताओं के लिए जगह बनाने की जरूरत है। घोष के इस बयान पर हालांकि बहस तब तेज हो गई थी जब 70 वर्ष से अधिक उम्र के कई मौजूदा सांसदों, मंत्रियों और विभिन्न पदों पर आसीन कई वरिष्ठ नेताओं ने घोष की टिप्पणी का विरोध किया है।पार्टी को युवा और वरिष्ठ सदस्यों दोनों की जरूरत : तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में पार्टी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘ममता बनर्जी पार्टी प्रमुख हैं। उनका निर्णय अंतिम है। यदि उन्हें लगता है कि कोई सेवानिवृत्त होने लायक हो गया है, तो वह सेवानिवृत्त हो जायेगा और यदि उन्हें लगता है कि ऐसा नहीं है तो वह व्यक्ति पार्टी के लिए काम करता रहेगा। पार्टी के वरिष्ठ नेता बंदोपाध्याय ने कहा कि इस बहस का कोई मतलब नहीं है क्योंकि पार्टी को युवा और वरिष्ठ सदस्यों दोनों की जरूरत है।पार्टी के भीतर उम्र कोई समस्या नहीं : सौगत रॉय
इस तरह की भावनाओं को व्यक्त करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा, पार्टी के भीतर उम्र कोई समस्या नहीं है। वरिष्ठों और अगली पीढ़ी के नेताओं की भूमिकाओं पर अंतिम निर्णय ममता बनर्जी पर निर्भर है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक बंदोपाध्याय और रॉय दोनों उन नेताओं की सूची में शीर्ष पर हैं जिन पर पार्टी में प्रस्तावित आयु सीमा लागू होने पर प्रभाव पड़ सकता है। मुख्यमंत्री के बेहद करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ मंत्री फिरहाद हाकिम ने भी कहा कि केवल वही अधिकतम आयु सीमा या ‘एक व्यक्ति-एक पद’ के प्रस्ताव पर निर्णय ले सकती हैं। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘बेहतर होता कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह बहस नहीं होती क्योंकि यह हमारी चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है। रिपोर्ट अशोक झा