आखिर शंकर आध्या गिरफ्तार, ईडी पर हमला को लेकर जज और राज्य सरकार में टकराव

 

कोलकाता: बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राशन घोटाला मामले में बोनगांव नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष शंकर आध्या को शनिवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के सन्देशखाली में ईडी की टीम राशन घोटाले को लेकर टीएमसी नेता शाहजहां शेख के ठिकाने पर छापा मारने पहुंची थी।शंकर आद्या पश्चिम बंगाल के पूर्व खाद्य मंत्री और टीएमसी नेता ज्योतिप्रिय मलिक के बहुत ही करीबी माने जाते हैं। शंकर आद्या ने ज्योतिप्रिय मलिक के सहयोग से ही राजनीति के मैदान में कदम रखा था। जिसके बाद 2005 में शंकर आद्या नगर पालिका के पार्षद बने और बाद में चेयरमैन पद तक पहुंचे। शंकर आद्या की पत्नी भी बनगांव नगर पालिका की अध्यक्ष रह चुकी हैं। संदेशखाली मामले में फिर कलकत्ता हाई कोर्ट (कोलकाता हाई कोर्ट) के जस्टिस अभिजीत गांगुली ने राज्य पर निशाना साधते हुए टिप्पणी की। जज का मानना ​​है कि तृणमूल नेता शाहजहां शेख को रात 12 बजे तक ईडी कार्यालय (ईडी) में पेश होना चाहिए। तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने जज की टिप्पणी की कड़ी निंदा की। राशन भ्रष्टाचार की जांच के लिए ईडी के पांच अधिकारियों की एक टीम ने शुक्रवार सुबह उत्तर 24 परगना के संदेशखाली में तृणमूल नेता शाहजहां शेख के घर पर छापा मारा। आरोप है कि उसी समय ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया और पीटना शुरू कर दिया। केंद्रीय बलों को भी हटा दिया गया। इसके बाद शाहजहां के अनुयायियों ने ईडी अधिकारियों का पीछा किया और उन्हें क्षेत्र छोड़ने के लिए मजबूर किया। कार में तोड़फोड़ की। खबर है कि उस वक्त ईडी के तीन अधिकारी घायल हो गये थे। मौके से ईडी अधिकारियों के लैपटॉप समेत जरूरी दस्तावेज लूट लिए गए। जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने इस घटना पर गुस्सा जताया। उन्होंने एक कार्यक्रम से राज्य सरकार पर भी निशाना साधा।नदिया के कल्याणी में एक कार्यक्रम में संदेशखाली के बारे में न्यायाधीश ने कहा, वह चाहते हैं कि संदेशखाली के तृणमूल नेता शुक्रवार दोपहर 12 बजे तक ईडी कार्यालय में उपस्थित हों। इसके अलावा जब पत्रकारों ने कानून-व्यवस्था के बारे में पूछा तो जज का जवाबी सवाल था, ‘क्या आपको लगता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था है?’ उन्होंने आगे कहा कि बंगाल ने 34 साल की सरकार देखी है। कई घटनाएं भी हुईं लेकिन अभी की तरह नहीं। ऐसी बर्बरता का सामना कभी नहीं करना पड़ा। मछली को सब्जियों से ढकने के कई प्रयास किए गए हैं। हर तरफ एक असभ्य स्वर गूंज रहा है। लेकिन मेरा मानना ​​है कि बंगाली वापस पहले वाली जगह पर चली जाएगी।।दूसरी ओर, जज की टिप्पणी के बाद तृणमूल के राज्य महासचिव और प्रवक्ता कुणाल घोष ने उन पर हमला बोला। इस दिन उन्होंने कहा, ‘सीपीएम, बीजेपी, कांग्रेस, अभिजीत गांगुली- ये सभी एक सूत्र से बंधे हुए हैं। जस्टिस गांगुली, उन्हें कुर्सी पर बैठकर ऐसे शब्द कहने का क्या अधिकार है! रिपोर्ट अशोक झा

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