सनातन धर्मध्वज को चलो आगे बढ़ाए, 22 को हर घर में दीप जलाए: सीताराम डालमिया
सिलीगुड़ी: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोरों पर हैं। इस दिन को यादगार बनाने की तैयारी देश ही नहीं विदेश में भी चल रही है। सिलीगुड़ी के व्यापारी सह सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े सीताराम डालमिया का कहना है की जो राम का नहीं ,वह किसी काम का नहीं। हम तो स्वयं को भाग्यशाली मानते है की मेरे नाम में राम के साथ माता सीता का नाम भी जुड़ा है। श्री राम के बिना तो उद्धार ही नही है। रावण बड़ा अहंकारी था पर मरते समय उसके मुख से भी श्रीराम ही निकला था। आज अयोध्या में श्री राम मंदिर में प्रभु श्री राम का प्राण प्रतिष्ठा हो रहा है। इसमें हम शहरवासियों को सहभागी बनना है। 22 की शाम दीपावली मनाएं। सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाए। उन्होंने कहा की भगवान राम विश्वव्यापी हैं। मॉरीशस, नेपाल, इजरायल सहित कई मुस्लिम देशों में भी भगवान राम की पूजा होती है। कई देशों में ऐसे साक्ष्य मिलें हैं जिनसे साबित होता है कि वहां हजारों वर्षों से भगवान राम की पूजा होती रही है।रामनाम’ तथा अयोध्या, एक सकारात्मक ऊर्जा एवं चैतन्य का स्रोत है, संस्कृति की अस्मिता है, इतिहास का बोध है, जीवन का आदर्श है, राष्ट्रोद्धार की प्रेरणा है; इतना ही नहीं, धर्मसंस्थापना का मार्ग एवं उसके माध्यम से मिलनेवाले मोक्ष का द्वार है ! इस अलौकिक मंदिर के निर्माण से हिन्दू धन्यता तथा आत्मिक संतोष अनुभव कर रहे हैं ! हिन्दू राष्ट्र-निर्मिति की आधारभूत नींव है यह मंदिर ! इसकी निर्मिति के अभूतपूर्व क्षणों के साक्षी बनने का सौभाग्य इस पीढी को मिला है । श्रीराम के व्यष्टि एवं समष्टि व्यक्तित्व का आदर्श आचरण में उतारकर, उसके लिए प्रयास करना ही कालानुसार सच्ची रामभक्ति है । आज विविध कारणों से हिन्दुओं का संगठन बढ रहा है । ‘घर में घुसकर शत्रु को मारने’ का आदर्श श्रीराम ने हमारे समक्ष रखा है । शत्रु को पहचानना, उसके तुल्यबल तैयारी करना तथा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण, विजय के लिए भक्त बनकर उपासना करना, यह सीख रामचरित्र हमारे समक्ष रखता है । धर्म का अधिष्ठान रखकर शत्रु को भयभीत करनेवाला हिन्दू-संगठन तथा धर्माचरण करनेवाली प्रजा, आदर्श हिन्दू राष्ट्र की निर्मिति कर सकती है । मंदिर के माध्यम से रामतत्त्व कार्यरत होगा तथा उसके लिए आध्यात्मिक प्रेरणा मिलेगी । अतएव रामभक्त अब अपनी उपासना की गति बढाएं तथा राष्ट्रोत्थान के कार्य में अभूतपूर्व योगदान देने के लिए संगठित रूप से समर्पित हो जाएं, तो रामराज्य की प्रभात दूर नहीं !
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ।। भगवान राम का जीवन सफल और सकारात्मक है, जो सत्य, धैर्य और सदाचार जैसी सशक्त प्रतिभाओं के साथ शक्ति, वासना और बेईमानी की बाधाओं को तोड़ने के लिए प्रतिबद्ध एक असाधारण और दिव्य व्यक्ति का एक आदर्श उदाहरण है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि ब्रह्मांड में निहित रचनात्मक और राजसी क्षमता हर व्यक्ति में प्रतिबिंबित होती है, लेकिन इसकी पूर्ण अभिव्यक्ति पूर्ण पुरुष, भगवान राम में पाई जाती है, जिनमें ब्रह्मांड के सभी पूर्ण गुण जन्मजात हैं। ऐसे पूर्ण पुरुष को ब्रह्मांड का कारण माना जा सकता है, जो इस रहस्योद्घाटन का संकेत देता है कि भगवान जानने के लिए उत्सुक हैं और यह भगवान राम के माध्यम से है, जो धर्म के अंतिम प्रतीक हैं और इसलिए पूर्णता के हैं, कि हम सर्वशक्तिमान को जान सकते हैं। इसलिए हमें उनके मूल्यों को वास्तविक व्यवहार में लाकर उनसे प्रेम करना चाहिए और बदले में उनसे प्रेम पाना चाहिए। दुनिया मानवता के लिए बनाई गई है और इसलिए इसकी अंतर्निहित पवित्रता और अच्छाई की रक्षा और संरक्षण करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। यह तभी साकार हो सकता है जब हम अपने भीतर उन नैतिक मूल्यों और गुणों को आत्मसात करें जो भगवान राम की विशेषताएं हैं। यह बहुत दूर की बात लग सकती है, लेकिन राम मंदिर का संस्थागतकरण एक अनुस्मारक है कि हम सभी को एक नए समाज, एक स्वर्णिम समाज के पुनर्निर्माण का संकल्प लेना चाहिए जहां भाईचारा, प्रेम, सद्भाव और धर्मपरायणता पहले होगी और संकीर्ण विचारों पर हावी होगी। रिपोर्ट अशोक झा