महोबा पहुंची रामलला के दर्शन को राम रंग मे डूबी मुम्बई की शबनम
महोबा पहुंची रामलला के दर्शन को राम रंग मे डूबी मुम्बई की शबनम
साथियों संग पैदल तय कर चुकी है 1350 किमी का सफर
अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा पर समूचे देश के रामभक्तों में उत्साह दिखाई पड़ रहा है। भगवान राम से आस्था के चलते राम भक्त धर्म को भी आड़े नहीं आने दे रहे। महाराष्ट्र के मुंबई में रहने वाली शबनम शेख सर में हिजाब बांधे हाथ में भगवान राम का ध्वज लेकर अयोध्या के लिए निकली है। शबनम शेख अपने दोस्तों के साथ 1578 किलोमीटर के कठिन सफर को तय कर अयोध्या जाने की मंशा रखती है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सीमाओं से होते हुए शबनम शेख अपने सफ़र के 29वें दिन गुरुवार को बुंदेलखंड के महोबा में है।
हाड़ कपाऊ ठंड और लंबा सफर भी उसकी आस्था के सामने बौना नजर आ रहा है। महोबा पहुंचते ही शबनम और उसके साथियों का हिंदू संगठन के लोगों ने जोरदार स्वागत किया। रास्ते में थकावट होने के चलते सड़क किनारे बैठी शबनम अपने पैरों पर पड़ चुके छालों की तकलीफ को मिटाने की नाकाम कोशिश कर रही हैं। शबनम अपने पैरों में उठ रहे दर्द को अपने ही हाथों से दबाकर कम करने की कोशिश करती दिखाई दे रही हैं। 1350 किलोमीटर के इस लंबे सफर को तय करने के पश्चात शबनम बताती है कि उसके पैरों में छाले पड़ चुके हैं। पैरों का दर्द भी असहनीय हैं। मगर प्रभु राम से अपार स्नेह और लगन के चलते यह दर्द भी उसे महसूस नहीं हो रहा। शायद यही वजह है कि शबनम बिना रुके बिना थके भगवान श्रीराम का संकीर्तन करते हुये उनके दरबार मे पहुंचने के लिए चली जा रही है। हाथ में रामध्वज के साथ-साथ शबनम राम भजन भी गाती जा रही हैं।
शबनम बताती है कि वह मुंबई के नजिस इलाके में रहती है। वहां आपसी प्रेम और भाईचारा इस कदर है कि लोग एक दूसरे के त्योहारों को परंपरा के मुताबिक मानते चले आ रहे हैं। उसने अजान के साथ-साथ भजनो को भी बचपन से सुना है। जिसके चलते उसके मन में प्रभु राम से अपार स्नेह और लगन लग चुकी है। इसी के तहत वह 500 वर्षों बाद भगवान राम के सिंहासन पर विराजमान होने पर इस ऐतिहासिक पल की साक्षी बनना चाहती है। वह बताती है कि उसके मन में बहुत सारे भाव हैं जो भगवान राम के दरबार में पहुंचकर व्यक्त करेंगी। शबनम बताती है कि जगह-जगह लोगों ने उसका स्वागत कर हौसला बढ़ाया है। जिससे उसे राम-धाम के सफर में नई ऊर्जा मिल रही है।