गौ माता के लिए लगाया छप्पन भोग, कहा गौ माता में बसते है 33 करोड़ देवी देवताओं का वास

सिलीगुड़ी: अभी तक हम सभी भगवान के ही छप्पन भोग के बारे में जानते थे। यह पहला अवसर है जब सालासर गौशाला में गौ माता के लिए छप्पन भोग लगाया गया। गौशाला में गायों के लिए 56 प्रकार के व्यंजनों का आयोजन किया गया। नक्सलबाड़ी निवासी नारायण अग्रवाल अपनी धर्म पत्नी सीमा अग्रवाल और उनके पूरे परिवार द्वारा गौशाला में गायों को 56 व्यंजन के तर्ज पर 56 प्रकार के फल व हरी सब्जियों का हलवा, लौकी, गुड़, टमाटर,अमरूद, केले, रोटी, गुड का शर्बत, सूजी का हलवा, सतावरी, पालक, हरा चारा सहित कुल 56 प्रकार का भोग गौ माताओं को श्रद्धा भाव से अर्पित किया गया। गौशाला में आने वाले श्रद्धालु भक्तों के लिए गौ माताओं के लिए 56 भोग आकर्षण का केंद्र रहा। गौ सेवा के इस अनूठे कदम की सराहना हर कोई कर रहा है। गौशाला में उपस्थित सभी श्रद्धालु भक्तों को हरे कृष्ण मंत्र का जाप कराया। सभी श्रद्धालु भक्त हरे कृष्ण महामंत्र करते हुए पूर्ण मस्ती के साथ नृत्य करते हुए कृष्ण भक्ति में झूम उठे। इसके बाद गौ पूजन का कार्य का हुआ। इस अवसर पर कहा कि गौ माता सनातन धर्म की मूलाधार है, गौ माता हम सबको बिना भेदभाव के अमृत तुल्य दूध देती है। गौ की महिमा अपरम्पार है। हम सबको गौ माता के प्रति पूर्ण आस्था रखनी चाहिए। छप्पन भोग में गाय के खाने के लिए हरा चारा, भूसा चोकर, अनाज, फल,सब्जी, फूल, मेवा,मिष्ठान के कुल 56 प्रकार के खाने का व्यंजन तैयार किया था। इस संबंध में नारायण अग्रवाल ने बताया कि हम सभी हमेशा सवामणी (सवा मन अनाज)गौ माता की करते थे। इस बार हम लोगों ने सोचा क्यों न छप्पन भोग किया जाए। एक नई पहल के तहत इस बार गौ छप्पन भोग कार्यक्रम किया। जिसमें 200 से अधिक गौ माता और उनके बछड़े अपने हाथों से छप्पन भोग लगाया। ज्ञात हो कि सबसे पहले गो मंदिर परिसर में एक साथ महिलाओं ने अपने हाथों में आरती की थाली लेकर गौ माता की सामूहिक आरती की। इसके बाद उनकी पूजा-अर्चना की गई। पूजा समाप्त होने के बाद वह मंदिर परिसर में सभी गौ माता को सामूहिक रूप से छप्पन भोग कराया गया । कार्यक्रम के दौरान देसी गाय के महत्व के बारे में भी चर्चा की गई। साथ ही वह मंदिर परिसर में मिलने वाले उत्पादों के बारे में भी उपस्थित लोगों को जानकारी दी गई। अग्रवाल ने बताया कि देसी गाय हर मायने में विदेशी गाय की तुलना में बेहतर है। उन्हें बताएं कि देसी गाय का दूध और एकता के साथ साथ काफी गुणकारी होता है देसी गाय के रखरखाव में भी काफी कम खर्च होता है या गाय कम बीमार पड़ती है और किसी भी वातावरण में खुद को ढालने में काफी अनुकूल होती है।इसलिए गाय को लगाया जाता है छप्पन भोग:
बताया कि भारतीय गाय हम सभी की माता है। वेद शास्त्र और पुराण सभी बार-बार गौ माता की महिमा को गाते हैं। स्वयं भगवान कृष्ण को भी गाय अत्यंत प्रिय थी। यही कारण है कि भगवान कृष्ण का नाम भी गोपाल पड़ा। गाय में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है, इसलिए गाय को छप्पन भोग लगाया गया है। गाय को छप्पन भोग लगाने से संपूर्ण राष्ट्र में संपन्नता आती है। साथ ही राष्ट्र की सुख और समृद्धि बनी रहती है। रिपोर्ट अशोक झा

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