काशी में मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्रीराम, माता जानकी की आरती उतारकर साम्प्रदायिक एकता का दिया संदेश
*वाराणसी, 17 अप्रैल।* जो देश भगवान श्रीराम की भक्ति से अपने आप को अलग कर लिया उस देश की दुर्गति निश्चित हो गयी। राम से अलग होने पर परिवार, समाज और देश में खून खराबा के अलावा कुछ नहीं बचा। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश इसका उदाहरण है। आज पाकिस्तानी अपनी जड़ों से जुड़ने के लिये बेचैन हो रहे हैं और अपने पूर्वजों को याद कर रहे हैं। अपनी जड़ों से जुड़ने और साम्प्रदायिक एकता का संदेश देने के लिये मुस्लिम महिलाओं ने सृष्टि संचालक भगवान श्रीराम एवं जगत जननी माता जानकी की आरती सुभाष भवन, लमही में उतारी।
पिछले 18 वर्षों से भगवान श्रीराम की आरती कर रही मुस्लिम महिलाएं हर वर्ष भगवान श्रीराम से विशेष प्रार्थना करती थीं। पिछले कई वर्षों से मुस्लिम महिलाओं की प्रार्थना थी कि अयोध्या में भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो और उनकी यह प्रार्थना कुबूल होने पर प्रसन्नता भी जाहिर कीं।
रामनवमी के अवसर पर मुस्लिम महिला फाउण्डेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में मुस्लिम महिलाओं की विश्व प्रसिद्ध श्रीराम आरती का आयोजन किया गया। मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर हनुमान चालीसा फेम नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में जुटीं हिन्दू-मुस्लिम महिलाओं ने उर्दू में रचित श्रीराम प्रार्थना एवं श्रीराम आरती का गायन किया, जिसमें लिखा था– अयोध्या है हमारे जियारत गाह का नाम, रहते हैं वहाँ मालिक-ए-कायनात श्री राम, जय श्री राम, जय श्री राम। आओ मिलकर हम सब करें उनको सलाम, तकलीफ और गरीबी, दूर करते श्री राम, जय श्री राम, जय श्री राम। सजावटी थाली में मिट्टी के दीपक से प्रभु राम की आरती की गई। प्रभु श्रीराम के नाम का उद्घोष हुआ और राम नाम के दीपक से हिंसा और नफरत के अंधकार को दूर करने का संदेश दुनियां को भेजा गया। मुस्लिम महिलाओं ने बड़ी शिद्दत के साथ रामजी के जन्मोत्सव पर सोहर गाये और सबको बधाई दी। ढोल की थाप पर मुस्लिम महिलाओं के मुख से निकला सोहर भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। कोई कट्टरपंथी एक दूसरे के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने और भावनात्मक रिश्ता बढ़ाने से किसी को रोक नहीं सकता।
इस अवसर पर हनुमान चालीसा फेम नाजनीन अंसारी ने कहा कि धर्म बदलने से न पूर्वज बदल सकते है, न मातृभूमि और न ही पूर्वजों के भगवान राम। जब तक हमारे पूर्वज भगवान राम के नाम से जुड़े थे तब तक दुनियां में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। अब लोग शक की दृष्टि से देखते हैं। हम जड़ों से जुड़े रहेंगे तो हमारा सम्मान बना रहेगा। भारतभूमि सनातनी परम्पराओं की सदियों से है। यहां जो भी है सभी हिन्दू और सनातनी संस्कारों के ही हैं। राम के नाम से दुख दरिद्रता दूर होगी, रामराज्य से विश्व शांति की ओर जाएगा। अरबी देशों में भगवान राम का मंदिर बने तो वहां के लोगों की इज्जत भी बढ़ेगी और धर्म के नाम पर हो रही हिंसा खत्म होगी। पूर्वजों और परंपराओं से हमें कोई अलग नहीं कर सकता।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं रामपंथ के पंथाचार्य डॉ० राजीव श्रीगुरूजी ने कहा कि पूरी दुनियां में बेचैनी है। लोग अपनी पुरानी जाति की तलाश कर रहे हैं। नफरत और हिंसा पर बना देश टूट जाएगा और जल्द ही अपने पुराने देश में वापसी करेगा। मुस्लिम महिलाओं की राम आरती विश्व को राम पथ पर चलने का संदेश दे रही है। जो राम की शरण में आएगा, वही नफरत और हिंसा से मुक्ति पायेगा। राम मुक्ति मार्ग हैं, राम की शिक्षाओं को दुनियां के देशों को अपनाना चाहिए। रामपंथ हर गांव तक भगवान राम और उनके तीनों भाइयों का मंदिर बनवायेगा ताकि पारिवारिक एकता बनी रहे और भारतीय संस्कारों से लोग जुड़ें। मुस्लिम महिलाओं का प्रयास मील का पत्थर है। जो हमेशा याद रखा जाएगा।
इस अवसर पर नगीना बेगम, शबनम अफरोज, नाजमा, शमशुननिशा, रजिया, डा० अर्चना भारतवंशी, डा० मृदुला जायसवाल, इली भारतवंशी, खुशी भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी आदि लोगों ने भाग लिया।