श्रीराम नाम के साथ पसमांदा मुसलमान, बन जायेगा 400 पर बिगड़ा काम
सिलीगुड़ी: 7 मई को लोकसभा के तीसरे चरण का चुनाव होना है।किस राज्य की किस सीट पर है मतदान: असम: धुबरी, कोकराझार, बारपेटा, गौहाटी। बिहार: झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, खगड़िया। छत्तीसगढ़: सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरबा, बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर।गोवा: उत्तरी गोवा, दक्षिणी गोवा। गुजरात: कच्छ, बनासकांठा, पाटन, महेसाणा, साबरकांठा, गांधीनगर, अहमदाबाद पूर्व, अहमदाबाद पश्चिम, सुरेंद्रनगर, राजकोट, पोरबंदर, जामनगर, जूनागढ़, अमरेली, भावनगर, आनंद, खेड़ा, पंचमहल, दाहोद, वडोदरा, छोटा उदयपुर, भरूच, बारडोली , नवसारी, वलसाड। कर्नाटक: चिक्कोडी, बेलगाम, बागलकोट, बीजापुर, गुलबर्गा, रायचूर, बीदर, कोप्पल, बेल्लारी, हावेरी, धारवाड़, उत्तर कन्नड़, दावणगेरे, शिमोगा। मध्य प्रदेश: मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़, बैतूल ।महाराष्ट्र: बारामती, रायगढ़, धाराशिव, लातूर (एससी), सोलापुर (एससी), माधा, सांगली, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, कोल्हापुर, हटकनंगले । उत्तर प्रदेश: संभल, हाथरस, आगरा (एससी), फ़तेहपुर सीकरी, फ़िरोज़ाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूँ, आंवला, बरेली पश्चिम बंगाल: मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, जंगीपुर, मुर्शिदाबाद।दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव। प्रमुख उम्मीदवार और निर्वाचन क्षेत्र। केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से मैदान में उतारा है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह राजगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। एनसीपी (सपा) नेता और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले अपनी भाभी सुनेत्रा पवार के खिलाफ बारामती से चुनाव लड़ेंगी, जो महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की पत्नी हैं।लोकसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल की बहरामपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ेंगी। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी कर्नाटक के धारवाड़ से चुनाव लड़ेंगे। उद्योगपति पल्लवी डेम्पो भाजपा के टिकट पर दक्षिण गोवा सीट से चुनाव लड़ेंगी। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल असम के धुबरी से चुनाव लड़ेंगे। और इसके बीच आजकल बीजेपी के 400 के आकंड़े की चर्चा जोरों पर है। विपक्ष भी कहीं ना कहीं, पीएम मोदी के टारगेट को लेकर घबराया हुआ है। इस बार 2024 के आम चुनाव में बीजेपी ने 400 सीटें हासिल करने का लक्ष्य रखा है। अयोध्या से असम तक इस जादुई आंकड़े को हासिल करने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जुट गए हैं। ऐसे में जिन मुस्लिम समाज के वोटों पर अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, लालू यादव और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता अपना हक जमाते आए हैं। उसे बीजेपी अपने पाले में करने की कोशिश में जुट चुकी है। तो चलिए बताते हैं कि बीजेपी ने मुस्लिम समाज के सबसे ज्यादा वंचित समुदाय यानी पसमांदा मुसलमान को लेकर अपनी रणनीति को कैसे एक कदम और आगे बढ़ा दिया है।
पसमांदा मुसलमान BJP को जिताएंगे 400 सीट?
एक तरफ अयोध्या में रामलला के विराजमान होने के बाद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कामाख्या कोरिडर का शिलान्यास कर सनातन धर्म की नई नीव रखी। वहीं, दूसरी ओर यूपी में पसमांदा मुसलमानों की पसमांदा पंचायत का शुभारंभ हुआ है। पीएम मोदी पसमांदा मुसलमानों के उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत हैं। पीएम मोदी ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि आजादी के बाद से देश की पिछली सरकारों ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए आस्था के महत्व को नजर अंदाज किया। साफ है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 में 400 सीटों के आंकड़े को पार करने के लिए भारतीय संस्कृति और अतीत में हुए नजर अंदाजी को फिर से महत्व देना चाहते हैं। इसलिए, समावेशी भारत की पहचान को आगे बढ़ाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। इसी प्रयास की एक ओर कड़ी आज यूपी से जुड़ती दिखाई दी, जब लोकसभा की 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में पसमांदा मुसलमानों की पंचायत का शुभारंभ हुआ है। खास बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी पसमांदा मुसलानों की बात लगातार कर रही है। पीएम मोदी को भेजी जाएगी पसमांदा मुसलमानों की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में यूपी सरकार के मंत्री भी पसमांदा पंचायत की बैठक में शामिल हुए थे। यूपी सरकार अब पसमांदा मुसलमानों की एक रिपोर्ट तैयार कर पीएम मोदी को भेजा गया। इस रिपोर्ट में पसमांदा मुसलमानों के मन की बात होगी। अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बताया ध्यान देने की है कि प्रधानमंत्री मोदी पसमांदा मुस्लिमों की बदहाली का जिक्र कई बार कर चुके हैं। पीएम मोदी मानते रहे हैं कि पसमांदा मुस्लिमों के साथ भेदभाव होता रहा है। 2024 के रण में पसमांदा मुसलमानों पर दाव चलने की बात करने से पहले आपको बता देते हैं कि आखिर पसमांदा मुसलमान हैं कौन? पसमांदा फारसी का शब्द है। इसका मतलब पीछे छूट गए, दबाए या सताए हुए लोग हैं. भारत में मुस्लिम समाज में पसमांदा मुसलमानों की आबादी 85 फीसदी हिस्से है। पसमांदा मुस्लिमों में दलित और पिछड़े समाज के मुस्लिम आते हैं. मुस्लिम समाज में पसमांदा मुसलमान अपनी अलग सामाजिक लड़ाई लड़ रहे हैं। भारत में रहने वाले मुस्लिमों में 15 फीसदी सवर्ण माने जाते हैं।इनको अशरफ कहा जाता है, बाकी 85 फीसदी अरजाल और अजलाफ दलित व पिछड़े माने जाते हैं. मुस्लिम समाज में इनकी स्थिति बहुत खराब है. भारत में पसमांदा आंदोलन 100 साल पुराना माना जाता है। माना जाता है कि अशरफिया मुस्लिमों का देश के ज्यादातर मुस्लिम संगठनों में बोलबाला है।
लोकसभा चुनाव से पहले पसमांदा मुस्लिम पर फोकस
अब बीजेपी 2024 के चुनाव के रन में है। पीएम मोदी काफी समय से वंचित और शोषित माने जाने वाले पसमांदा मुसलमानों का जिक्र भी कर रहे हैं।बीजेपी का फोकस 2024 लोकसभा चुनाव में पसमांदा मुस्लिम पर है। पीएम मोदी इन्हें वोट बैंक की राजनीति का शिकार बता चुके हैं। पीएम मोदी ने पिछले साल 2023 में बीजेपी कार्यकर्ताओं को पसमांदा मुस्लिम के बीच जाने, तीन तलाक और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भ्रम दूर करने का संदेश भी दिया था। जाहिर है 400 प्लस का आंकड़ा पार करने के लिए बीजेपी अपनी रणनीति में राम के नाम के अलावा पसमांदा मुसलमानों पर भी जमकर तैयारी कर रहे हैं। आकंड़ों पर नजर डालें तो चौदहवीं लोकसभा में पसमांदा पृष्ठभूमि के केवल 60 मुसलमान निर्वाचित हुए हैं देश के 5 राज्यों यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम में मुस्लिम मतदाता अच्छी तादाद में हैं।
5 राज्य, 190 सीटें और मुसलमान
लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 190 सीटें इन पांच राज्यों से ही आती हैं। यूपी की कुल 80 में से 65 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद करीब 30 फीसदी है। इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता जीत-हार तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। बिहार की 40 में से करीब 15 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 15 से 70 फीसदी के बीच है। पश्चिम बंगाल में 42, झारखंड और असम में लोकसभा की 14-14 सीटें हैं। यही वजह है कि बीजेपी पसमांदा मुसलानों के प्रतिनिधित्व को बढ़ा अपने 400 प्लस के मिशन को कामयाब करना चाहती है बीजेपी अच्छे से जानती है कि पसमांदा मुसलमानों का भरोसा जीता तो ये आंकड़ा मोदी राज में ही मुमकिन है। रिपोर्ट अशोक झा