राजमाता माधवी राजे सिंधिया के निधन से भारत नेपाल में शोक की लहर, आज होगा अंतिम संस्कार

नेपाल के साथ बेटी रोटी का संबंध अटूट उदाहरण थी नेपाल की प्रिंसेस किरण राजलक्ष्मी


नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माँ राजमाता माधवी राजे सिंधिया का आज बुधवार 15 मई को निधन हो गया वे करीब तीन महीने से दिल्ली AIIMS में भर्ती थी, वे कुछ दिनों से वेंटिलेटर पर थी, उन्हें निमोनिया और सेप्सिस नामक बीमारी थी। बताते हैं उन्होंने 9:30 बजे अंतिम साँस ली, वे करीब 70 साल की थी, अंतिम समय में उनके पास उनका पूरा परिवार था।
ज्योतिरादित्य 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. वे भाजपा की टिकट पर गुना सीट से प्रत्याशी हैं. उनकी मां माधवी राजे दो महीने से बीमार चल रही थीं. पिछले दिनों फेफड़े में इनफेक्शन की वजह से उन्हें एम्स दिल्ली में लाना पड़ा. ज्योतिरादित्य अपने चुनाव क्षेत्र को छोड़कर अक्सर मां के पास आते रहे. उनके यहां 7 मई को मतदान हो चुका है, लेकिन पार्टी ने उन्हें अन्य सीटों पर भी प्रचार के लिए लगाया हुआ था। कल मां की नाज़ुक हालत की खबर पाते ही वे दिल्ली आ गए था. बुधवार की सुबह उनकी मां माधवी राजे चल बसीं। सास की देख-रेख के लिए ज्योतिरादित्य की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया पहले ही दिल्ली में आ गई थीं।यूं तो प्रियदर्शिनी बड़ौदा के गायकवाड़ राजवंश से हैं। लेकिन उनकी मां भी नेपाल राजवंश से हैं इसलिए दोनों में मायके का संबंध है। राजमाता माधवी राजे के निधन से ग्वालियर सहित पूरे देश में ही नही पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में भी शोक की लहर है, सिंधिया परिवार के लोग और सिंधिया समर्थक गमगीन हैं। राजमाता ने नेपाल के साथ बेटी रोटी के संबंध का अटूट उदाहरण थी। आइये जानते हैं नेपाल की एक राजकुमारी का राजमाता बनने तक के सफ़र के बारे में। नेपाल की प्रिंसेस किरण राजलक्ष्मी बनी सिंधिया परिवार की बहू: नेपाल के शाही परिवार में जन्मी प्रिंसेस किरण राजलक्ष्मी के दादा शमशेर बहादुर सिंह नेपाल के प्रधानमंत्री भी रहे, ग्वालियर के सिंधिया परिवार की बहू बनकर प्रिंसेस किरण राजलक्ष्मी माधवी राजे सिंधिया हो गई, उनकी शादी ग्वालियर के महाराज, पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया के साथ 8 मई 1966 को दिल्ली में हुई थी।
शादी संपन्न् होने के बाद शाही जोड़ा ट्रेन से सफर कर दिल्ली से पहुंचा ग्वालियर: शादी के बाद शाही जोड़ा माधवराव सिंधिया और किरण राजलक्ष्मी ट्रेन से सफर करते हुए दिल्ली से ग्वालियर पहुंचा. ग्वालियर पहुंचे शाही जोड़े को ग्वालियर स्टेशन से लेकर जय विलास तक सड़क के दोनों तरफ हजारों लोगों ने खड़े होकर पुष्पवर्षा कर स्वागत करने आया था। माधव राव सिंधिया के निधन के बाद माधवीराजे सिंधिया ने संभाला पूरा परिवार: 30 सितंबर 2001 को दिल्ली से कानपूर जाते समय मैनपुरी के पास हुई एक भीषण दुर्घटना में पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया का दुखद निधन हो गया. उनके निधन से सिंधिया परिवार काफी परेशानी में आ गया, क्योंकि तब बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया छोटे थे और अमेरिका में नौकरी कर रहे थे। ऐसे में सारी जिम्मेदारी उन पर आ गई। शादी से पहले देखना चाहते थे माधवराव: महल से जुड़े लोग बताते रहे हैं कि जब राजमाता विजया राजे सिंधिया अपने बेटे माधव राव की शादी के लिए लड़की का चयन कर रही थी तब नेपाल राजघराने से प्रिंसेस किरण का रिश्ता आया था, उनकी तस्वीर देखने के बाद माधवराव सिंधिया शादी से पहले उन्हें देखना चाहते थे लेकिन परिवार ने इसके लिए स्वीकृति नहीं दी। जिसके बाद माधवराव को बिना देखे ही शादी करनी पड़ी थी। इस शादी की खास बात यह है शादी दिल्ली में होना तय हुई थी, बारात ग्वालियर से दिल्ली जानी थी जिसके लिए स्पेशल ट्रेन ग्वालियर से दिल्ली के लिए चलाई गई थी।पति माधव राव के निधन के बाद सिंधिया परिवार को अच्छे से संभाला: माधव राव सिंघिया को महाराज कहकर संबोधित किया जाता था इस लिहाज से माधवी राजे को महारानी संबोधित किया जाता था, लेकिन 30 सितम्बर 2001 को विमान दुर्घटना में माधव राव सिंधिया के निधन हो गया और परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। हालाँकि तब तक बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया और बेटी चित्रांगदा अपना अपना परिवार बसा चुके थे लेकिन माधवी राजे ने दोनों बच्चों और पूरे सिंधिया परिवार को महाराज की कमी नहीं होने दी। माधव राव के निधन के बाद महाराज की पदवी ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपी गई, विधि विधान से सिंधिया परिवार के हनुमान मंदिर में कार्यक्रम हुआ और उसके बाद माधवी राजे का संबोधन महारानी से राजमाता हो गया। माधवी राजे को रास नहीं आई राजनीति: माधवी राजे सिंधिया जब सिंधिया परिवार की बहू बनकर नेपाल से ग्वालियर आई तो यहाँ माहौल शाही और सियासी दोनों था, माधवी राजे की सास राजमाता विजया राजे सिंधिया ने 1957 में ही राजनीति की तरफ कदम बढ़ा दिए थे, वे कांग्रेस से सांसद चुनी गई लेकिन करीब 10 साल बाद उन्होंने जनसंघ ज्वाइन किया और उसकी संस्थापक सदस्य बन गई, बाद में विजयाराजे सिंधिया भाजपा की संस्थापक सदस्य रही। राजमाता विजया राजे के लंबे राजनीतिक अनुभवों के बीच मिले परिवार के संस्कार, रीति रिवाज और परंपरा में से माधवी राजे ने परिवार और संस्कार चुने राजनीति उन्हें रास नहीं आई।सियासत नहीं संभाली लेकिन परिवार के साथ खड़ी रहीं: सास राजमाता राजे की विरासत को उनकी बेटियों वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे, बेटे माधव राव और उसके बाद पोते ज्योतिरादित्य ने आगे बढाया, वसुंधरा राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी, यशोधरा मप्र सरकार की मंत्री बनी, पति माधव राव केंद्र सरकार के मंत्री रहे और अब बेटा केंद्र सरकार का मंत्री है। सियासत में खास रुचि नहीं होने के बावजूद माधवी राजे हमेशा परिवार के इन सदस्यों के साथ खड़ी दिखाई दी, चुनावों में प्रचार के दौरान भी ये दिखाई दी लेकिन सक्रिय राजनीति में नहीं आई।
सिंधिया परिवार की छत्री में होगा अन्तिम संस्कार: राजमाता माधवी राजे सिंधिया का अंतिम संस्कार ग्वालियर में सिंधिया परिवार की कटोरा ताल रोड स्थित छत्री पर किया जायेगा, सिंधिया महल के कर्मचारियों ने अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी है, पति माधव राव सिंधिया की छत्री के पास चबूतरे का निर्माण किया जा रहा हैं, उनकी पार्थिव देश दिल्ली से ग्वालियर लायी जाएगी, जानकारी के मुताबिक कल गुरुवार को अंतिम संस्कार होगा। विशेष विमान से आएगा पार्थिव शरीर: जयविलास पैलेस के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार राजमाता की पार्थिव देह को लेकर उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य परिजन सुबह दस बजे विशेष विमान द्वारा नई दिल्ली एयरपोर्ट से रवाना होंगे और पौने दस बजे ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंचेंगे। वहां से 11 बजे के आस पास सड़क मार्ग से उन्हें लाया जाएगा। 12 बजे के लगभग जयविलास पैलेस स्थित रानी महल पार्थिव देह पहुंचेगी। दोपहर ढाई बजे से उनके पार्थिव शरीर को अंचल से पहुंचे लोगों को अंतिम दर्शन और पुष्पांजलि के लिए रखा जाएगा। इस बीच उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी भी होगी. दोपहर 3 बजे अंतिम यात्रा शुरू होगी जो आधा घंटे में सिंधिया परिवार के छत्री परिसर पहुंचेगी, यहां उनका हिन्दू रीति रिवाज और मराठा पद्धति से अंतिम संस्कार किया जाएगा। अंतिम संस्कार में यह राजशाही परिवार और राजनीतिक हस्तियां होंगी शामिल, गुजरात का गायकवाड़ राजघराना,पटियाला राजशाही परिवार,जम्मू कश्मीर राजपरिवार, त्रिपुरा राजपरिवार, नेपाल राजपरिवार, धौलपुर राजपरिवार,समथर स्टेट सहित छोटे राजघराना परिवार आदि शामिल होंगे। रिपोर्ट अशोक झा

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