बंगाल में अब पूर्व जज के खिलाफ कथित फर्जी वीडियो से राजनीतिक उफान

चुनाव आयोग पहुंचा टीएमसी और भाजपा दल के प्रतिनिधि

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कथित रूप से महिला द्वेषपूर्ण टिप्पणी करने के आरोप में तृणमूल कांग्रेस ने गुरुवार को उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और भाजपा उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय के खिलाफ चुनाव आयोग का रुख किया।कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हुए अभिजीत गंगोपाध्याय ने कथित तौर पर पूछा कि ममता बनर्जी की कीमत क्या है।उन्होंने यह कथित टिप्पणी बुधवार को पूर्वी मिदनापुर के चैतन्यपुर में एक चुनावी रैली में की। रिपोर्ट के अनुसार, गंगोपाध्याय ने कहा, “तृणमूल का कहना है कि रेखा पात्रा को 2000 में खरीदा गया था। तो, ममता बनर्जी, आपकी कीमत क्या है, 10 लाख?” तृणमूल कांग्रेस ने राजनेता की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने सारी हदें पार कर दीं। पार्टी ने दावा किया कि एक महिला मुख्यमंत्री को बदनाम करने के लिए शर्मनाक शब्दों का इस्तेमाल किया गया। टीएमसी नेता शांतनु सेन ने पीटीआई को बताया, “यह शर्मनाक है कि एक पूर्व न्यायाधीश जो अब भाजपा उम्मीदवार हैं, एक महिला मुख्यमंत्री को बदनाम करने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। ये बीजेपी की गारंटी है कि बीजेपी राज में महिलाओं का इसी तरह अपमान होगा।”कथित टिप्पणियों का एक वीडियो क्लिप वायरल हो गया है। हालांकि, भाजपा ने कहा कि यह क्लिप फर्जी है। पार्टी ने कहा कि टीएमसी ऐसे फर्जी वीडियो से बीजेपी को बदनाम करना चाहती है। भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, “हम ऐसे किसी भी वीडियो के अस्तित्व से सहमत नहीं हैं। यह फर्जी वीडियो जारी करने और भाजपा को बदनाम करने के लिए टीएमसी की एक चाल है। लेकिन इससे चुनाव में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”अभिजीत गंगोपाध्याय पश्चिम बंगाल के तमलुक से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में गंगोपाध्याय ने अपने खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करके पुलिस पर अतिरेक का आरोप लगाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया था। उनके वकील ने अदालत को बताया कि उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने से रोकने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी।ममता बनर्जी की टीएमसी को बीजेपी से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिसने 2019 के आम चुनावों में 18 लोकसभा सीटें जीतीं। एक वायरल वीडियो में गंगोपाध्याय को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया है। वीडियो में वह कथित तौर पर कह रहे हैं, “ममता बनर्जी आप खुद को किस कीमत पर बेचती हैं? क्या वह 10 लाख रुपये है…?” उस वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है, जिसमें पूर्व न्यायाधीश ने कथित तौर पर यह भी कहा था कि बनर्जी अपना मेकअप बंगाल के एक प्रसिद्ध सौंदर्य चिकित्सक से करवाती हैं। गंगोपाध्याय ने कथित तौर पर ये भी कहा, “मुझे अक्सर संदेह होता है कि क्या आप महिला हैं।पूर्व जज के इस टिप्पणी पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और गंगोपाध्याय पर महिलाओं का अपमान करने का आरोप लगाया है। दूसरी तरफ भाजपा ने 19 सेकंड के वीडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर ही सवाल उठाए हैं। टीएमसी नेताओं ने चुनाव आयोग से गंगोपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। TMC प्रवक्ता शांतनु सेन ने कहा, “यह शर्म की बात है कि एक पूर्व न्यायाधीश देश की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री पर आरोप लगाने के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल करता है। यह भाजपा की गारंटी प्रतीत होती है कि उसके शासन में महिलाओं का अपमान किया जाएगा।दूसरी तरफ, भाजपा नेताओं ने दावा किया कि वायरल वीडियो फर्जी है। बंगाल भाजपा के मुख्य प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, “वीडियो फर्जी है। यह टीएमसी की एक चाल है। भाजपा को बदनाम करने के लिए फर्जी वीडियो जारी किया गया है लेकिन इस तरह की रणनीति का लोकसभा चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।बता दें कि अभिजीत गंगोपाध्याय ने 5 मार्च को सीधे राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेजकर स्वैच्छिक सेवानिवृति मांगी थी। उनका इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 217 (1) (ए) के तहत तुरंत प्रभाव से लागू हो गया था। इसके दो दिन बाद 7 मार्च को वह भाजपा में शामिल हो गए थे। इस पर तृणमूल कांग्रेस चीफ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने जस्टिस गंगोपाध्याय द्वारा दिए गए फैसलों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे क्योंकि उनमें से अधिकांश फैसले उनकी पार्टी के नेताओं या उनकी सरकार के खिलाफ थे। गंगोपाध्याय ने ही शिक्षक भर्ती घोटाले में भ्रष्टाचार के मामले में फैसला दिया था और 24000 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश दिया था। भाजपा ने मौजूदा चुनावों में इसे मुद्दा बना लिया है।वही दूसरी ओर भाजपा के राज्य महासचिव जगन्नाथ चट्टोपाध्याय ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि कोलकाता-दक्षिण से तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार माला रॉय, जो उसी निर्वाचन क्षेत्र से मौजूदा सांसद भी हैं, सांसद होने के अलावा वह कोलकाता नगर निगम की अध्यक्ष भी हैं. इस पद को ‘लाभ का पद’ माना जाता है। उन्होंने इस बार पद से इस्तीफा दिए बिना ही अपना नामांकन दाखिल किया। चट्टोपाध्याय ने कहा, अगर वह कहती हैं कि वह केएमसी की अध्यक्ष के रूप में वेतन नहीं ले रही हैं, तो भी वह ‘लाभ के पद’ के दायरे से बाहर नहीं होंगी।तृणमूल कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार, जिनका नामांकन रद्द करने की भी राज्य भाजपा ने मांग की है, वह हैं उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट लोकसभा से सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार हाजी नुरुल इस्लाम, जो 2009 से 2014 तक उसी निर्वाचन क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के सांसद थे। चट्टोपाध्याय के अनुसार, नामांकन दाखिल करने वाले किसी भी व्यक्ति और जो पहले किसी भी सरकारी, विधायी या संसदीय पद पर रहा हो, उसे अपने नामांकन के साथ ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ पेश करना होगा. मगर हाजी नुरुल इस्लाम ने ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ जमा नहीं किया है।उन्होंने कहा, “यदि आपको याद हो, बीरभूम लोकसभा क्षेत्र के लिए हमारे पहले उम्मीदवार देबाशीष धर, एक पूर्व भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी का नामांकन रद्द कर दिया गया था, क्योंकि वह राज्य सरकार से प्राप्‍त ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ नहीं दिखा सके थे. इसके बाद हमें बीरभूम में अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा था।उन्होंने कहा कि भाजपा पहले ही रॉय और इस्लाम के नामांकन में इन कमियों को इंगित करते हुए चुनाव आयोग से संपर्क कर चुकी है।चट्टोपाध्याय ने कहा, “हम भारत के सर्वोच्च न्यायालय सहित मामले में चरम बिंदु तक जायेंगे। रिपोर्ट अशोक झा

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