चीन के विस्तारवादी नीति का भारत मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में

अशोक झा, सिलीगुड़ी: चीन अपनी विस्तारवादी नीति और हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीन लगातार भारतीय सीमा के करीब अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ा रहा है, जिसका एक और उदाहरण सामने आया है। ड्रैगन ने सिक्किम में भारत की सीमा से करीब 150 किलोमीटर से भी कम दूरी पर सबसे एडवांस जे-20 स्टील्थ फाइटर जेट तैनात कर दिए हैं।
इसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत हर तरह से तैयार है।
चीन सर्वे कराकर जान गया है की फिर मोदी बहुमत से आने वाले है। चीन भी दूसरे विकसित राष्ट्र की तरह अपना सर्वे करा चुका है की लोकसभा चुनाव में फिर मोदी ही बहुमत से आने वाले है। भारत की मजबूती से वह डरा हुआ है।
भारतीय सेना ने इसी साल सिक्किम में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर एंटी-टैंक मिसाइल का सफल ट्रायल किया। ये फायरिंग चीन सीमा के एकदम पास की गई। जिस मिसाइल का इस्तेमाल किया गया, उसका नाम है कॉनकर्स एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल।कॉनकर्स एम एंटी टैंक मिसाइल को लाइंसेंस के तहत बीडीएल कंपनी देश में बनाती है. इसकी डील रूस के साथ हुई है. यह एक मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक मिसाइल है. यह किसी भी टैंक या बख्तरबंद वाहन को उड़ा सकती है. इसमें एक्सप्लोसिव रिएक्टिव ऑर्मर तकनीक लगी है, जो किसी भी मजबूत टैंक को सेकेंड्स में ध्वस्त करने की क्षमता रखती है.

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यह मिसाइल जमीन पर स्टैंड लगाकर या बीएमपी वाहन से भी लॉन्च की जा सकती है. इसकी रेंज 75 से 4000 मीटर है. यह चार किलोमीटर की दूरी मात्र 19 सेकेंड में पूरी करती है। यानी दुश्मन के टैंक के पास बचने के लिए समय नहीं होता। इसके पांच वर्जन दुनिया भर में मौजूद हैं। दो का इस्तेमाल दो दर्जन से ज्यादा देशों में किया जा रहा है। इसलिए भारत को डराने की कोशिश में रोज नए कारनामे कर रहा है
सिक्किम-भूटान-तिब्बत ट्राई-जंक्शन के पास डोकलाम के करीब तैनात किया चीनी वायुसेना के जे-20 स्टील्थ फाइटर:
27 मई को सैटेलाइट से एक इमेज प्राप्त हुआ है। ऑल सोर्स एनालसिस ने इस इमेज को जारी किया है। फर्म, सैटेलाइट इमेजरी से जियोस्पेशियल इंटेलिजेंस पर नज़र रखती है।इमेज में तिब्बत के दूसरे सबसे बड़े शहर शिगात्से के एयरपोर्ट की झलक भी है। यह एयरपोर्ट सैन्य और सिविल दोनों उपयोग में लाया जाता है। यहां देखा जा सकता है कि फ्लाइट लाइन पर छह चीनी वायुसेना के जे-20 स्टील्थ फाइटर खड़े हैं। इस एयरपोर्ट पर एक केजे-500 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट भी खड़ा है। यह एयरपोर्ट दुनिया का सबसे ऊंचा एयरपोर्ट्स में एक है। यह करीब 12408 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।ये हवाई अड्डे LAC से बमुश्किल 155 किमी दूर है। सिक्किम-भूटान-तिब्बत ट्राई-जंक्शन के पास डोकलाम के करीब है।
सिक्किम के करीब चीन ने तैनात किया अपना लड़ाकू विमान: सैटेलाइट तस्वीरों में चीन के सैन्य एयरबेस को देखा जा सकता है, जहां हवाई पट्टी पर एक सीध में 6 फाइटर जेट पार्क किए गए हैं। इन तस्वीरों से एयरबेस पर चीनी वायु सेना के जे -20 स्टील्थ लड़ाकू विमानों की तैनाती का खुलासा हुआ है। ये एयरबेस तिब्बत के दूसरे सबसे बड़े शहर शिगात्से में बनाया गया है। ये हवाई अड्डा 12,408 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जो इसे दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई अड्डों में से एक बनाता है। फोटो में एक KJ-500 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट भी दिखाई दे रहा है।
सीमा पर अपने सैन्य ठिकाने मजबूत कर रहा चीन: भारत के वायु सेना के अधिकारियों ने कहा कि हमारी नजर इसपर है। हो सकता है कि J-20 लड़ाकू विमान उच्च ऊंचाई वाले परीक्षणों के लिए शिगात्से में हों। पीएलएएएफ नियमित रूप से पश्चिमी क्षेत्र में अपने हवाई अड्डों पर J-20 तैनात कर रहा है, जैसे कि झिंजियांग में होटन हवाई क्षेत्र, जो एलएसी से लगभग 240 किलोमीटर दूर है. चीन सीमा पर अपने सैन्य ठिकानों को मजबूत कर रहा है। लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैली 3,488 किलोमीटर लंबी LAC के तीनों सेक्टरों में भारत की ओर अपने हवाई अड्डों पर अतिरिक्त विमान तैनात कर रहा है। चीन ने अब अपने हवाई अड्डों जैसे होटन, काशगर, गरगुंसा, शिगात्से, बांगडा, निंगची और होपिंग को अपग्रेड करने के बाद अतिरिक्त लड़ाकू विमान, बमवर्षक, टोही विमान और ड्रोन तैनात करके उच्च ऊंचाई वाले इलाके की बाधाओं के कारण अपने हवाई युद्ध के नुकसान की भरपाई की है। अपने ठिकानों पर सेना को रहने के लिए निर्माण करा रहा है। अच्छे रनवे बना रहा है।
तैयार है भारतीय वायुसेना : भारत भी हर तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. पूर्वी क्षेत्र में हासीमारा, चबुआ और तेजपुर में स्थित सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों के अलावा, भारतीय वायुसेना के पास पश्चिम बंगाल के हासीमारा हवाई अड्डे पर अपने राफेल ओमनी-रोल जेट का एक स्क्वाड्रन (18 जेट) भी तैनात है, जबकि दूसरा पाकिस्तान के साथ पश्चिमी मोर्चे के लिए अंबाला में तैनात है। हाल ही में सामने आई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि भारत के सिक्किम से करीब 150 किलोमीटर दूर चीन ने अपने सबसे एडवांस फाइटर जेट J-20 को तैनात किया है। चीन पहले ही भारत के अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बता चुका है ऐसे में सिक्किम सीमा के करीब अपने सबसे उन्नत फाइटर जेट को तैनात करना भारतीयों के लिए चिंता का विषय बन गया है। हालांकि भारतीय वायु सेना (IAF) को पहले से ही सिक्किम सीमा के करीब चीनी लड़ाकू विमान J-20 के तैनाती की जानकारी है, लेकिन इंडियन एयरफोर्स ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। चीन के J-20 को बराबरी का टक्कर देता है राफेल : ऑल सोर्स एनालिसिस के अनुसार J-20 स्टील्थ फाइटर चीन का अब तक का सबसे उन्नत ऑपरेशनल लड़ाकू विमान है, और ये विमान मुख्य रूप से चीन के पूर्वी प्रांतों में स्थित हैं। इन विमानों को तिब्बत के शिगात्से में देखा जा सकता है। उन्हें उनके संचालन के सामान्य क्षेत्रों के बाहर और भारतीय सीमा के निकट तैनाती पर तैनात किया गया है। आपको बता दें कि भारत के पास वर्तमान में भारत राफेल लड़ाकू विमान हैं जो चीन के J-20 फाइटर जेट को बराबरी का टक्कर दे सकता है। गौरतलब है कि शिगात्से, जहां चीनी जे-20 को देखा गया है। उत्तर बंगाल में हासीमारा से 290 किमी से भी कम दूरी पर स्थित है, जहां भारतीय वायुसेना ने 16 राफेल के अपने दूसरे स्क्वाड्रन को तैनात किया हुआ है। चीनी सैनिक पीओके में बना रहे सुरंग: अधिकारियों ने बताया कि अग्रिम चौकियों पर चीनी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी नहीं देखी गई, लेकिन कुछ इंटरसेप्ट्स से पता चला है कि चीनी सैनिक और इंजीनियर एलओसी पर भूमिगत बंकरों का निर्माण कर रहे थे. उन्होंने कहा कि चीनी विशेषज्ञ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की लीपा घाटी में सुरंग निर्माण में लगे हुए थे। इससे लग रहा था कि यह सुरंग काराकोरम राजमार्ग से जोड़ने के लिए सभी मौसम वाली सड़क बनाने का हिस्सा है। यह रणनीतिक कदम बीजिंग की महत्वाकांक्षी 46 अरब डॉलर की सीपीईसी परियोजना से जुड़ा है। इसका लक्ष्य चीन के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र काराकोरम राजमार्ग के माध्यम से पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह और चीन में शिनजियांग प्रांत के बीच एक सीधा मार्ग स्थापित करना है।
सीमा पार से भारत की बढ़ी चिंता: इस क्षेत्र में चीनी सैन्य कर्मियों की लगातार उपस्थिति ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं, भारत पहले भी गिलगित और बाल्टिस्तान में चीनी गतिविधियों पर आपत्ति जताई है। अधिकारियों ने कहा कि तनाव बरकरार रहने के कारण भारत सतर्क है और सीमा पार से पैदा होने वाले किसी भी संभावित खतरे को विफल करने के लिए तैयार है।
चीन की नजर डोकलाम पर: भारत डोकलाम पठार को भूटान का निर्विवाद क्षेत्र मानता है, जबकि बीजिंग इसे अपनी चुम्बी घाटी का विस्तार मानता है, जो सिक्किम और भूटान के बीच स्थित है। यह पठार रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब है, जो भारतीय मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर से जोड़ता है। यह गलियारा भारत को तिब्बत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से भी जोड़ता है। पिछले साल, भूटान और चीन ने दोनों देशों के बीच सीमा के “परिसीमन और सीमांकन” पर एक संयुक्त तकनीकी टीम के लिए “सहयोग समझौते” पर हस्ताक्षर किए थे।
भारतीय सेना ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास इसी साल मार्च में हवाई अभ्यास किया। बता दें कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास भारत-तिब्बत-भूटान ट्राई-जंक्शन है जहां चीन ने 2016 में डोकलाम गतिरोध के बाद से सैन्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाया है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर काफी संवेदनशील माना जाता है। ये कॉरिडोर भारत के पूर्वोत्तर सीमावर्ती तिब्बत तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण है। सेना ने कहा कि भारतीय सेना की एयरबोर्न रैपिड रिस्पांस टीमों के लगभग 600 पैराट्रूपर्स ने विभिन्न एयरबेस से एयरलिफ्ट किए जाने के बाद 24 और 25 मार्च को एक एयरबोर्न एक्सरसाइज में सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास बड़े पैमाने पर लैंडिंग की थी।

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