सिलीगुड़ी नगर निगम में शुद्ध पानी के लिए छिड़ा है संग्राम

भाजपा व माकपा आर पार के मूड में, बांटा जा रहा है पानी का पाउच

 

सिलीगुड़ी: साल 1972 में एक फिल्म आई थी नाम था शोर। शोर फिल्म में एक गीत था गीत के बोल थे ‘पानी रे पानी तेरा रंग कैसा….। आज इसी पानी के लिए नगर निगम को विपक्षी पार्टियों के सामने पानी पानी होना पड़ रहा है। कभी बरसात के पानी से जल जमाव तो कभी सिलीगुड़ी नगर निगम के 47 वार्डों में पीने के पानी के लिए हाय तौबा मचा हुआ है। वैसे तो जल जीवन का हरदम पोषण करता है। लेकिन प्रदूषित हो जाए तो अमृतरूपी जल घातक बनकर भी उभर सकता है। जल स्तर कम होने के साथ ही इस समय जल के जहरीले होने का खतरा बढ़ गया है। पहले जल के माध्यम से पेट संबंधी रोग फैला, फिर फ्लोरोसिस रोग ने आतंकित है। अब बोतल बंद पानी आने वाले स्वास्थ्य संकट का संकेत दे रहा है। दूध के भाव जब पानी बिकने लगता है तो भविष्य की दिशा सहजता से समझी जा सकती है। हिमालय की तलहटी में कभी कल-कल पानी बहता दिखता था, मगर आज महंगे दाम पर बिकता नजर आ रहा है। इसका कारण है सिलीगुड़ी नगर निगम स्थिति से निपटने के लिए एक एमटीवी वाहन सिलीगुड़ी में लाया गया है। इस वाहन में लगी तकनीक का इस्तेमाल सिलीगुड़ी के स्थानीय नदी के पानी को शुद्ध करके पीने योग्य बनाने के लिए किया जा रहा है। इसके बाद सिलीगुड़ी शहर में पाउच के माध्यम से शुद्ध पानी का वितरण शुरू हो गया है। इसको लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। माकपा, कांग्रेस और अब भाजपा इसको लेकर नगर निगम के मेयर को घेर आंदोलन शुरू किया है। सिलीगुड़ी भाजपा की ओर से बड़ी संख्या में भाजपाई मेयर का पुतला लेकर नगर निगम पहुंचे। वहां बड़ी संख्या में मौजूद पुलिस के साथ हाथा पाई शुरू हो गई। मेयर गौतम देव ने कहा की हर दिन तीन गाड़ियों से 4.5 लाख पानी के पाउच का उत्पादन होकर लोगो तक पानी पहुंचना शुरू हो गया है। एक एमटीयू वाहन से प्रतिदिन डेढ़ लाख पाउच पानी तैयार किया जा सकता है। यानी हर दिन तीन गाड़ियों से 4.5 लाख पानी के पाउच का उत्पादन और वितरण किया जाएगा। नबान्न का मानना है कि इससे सिलीगुड़ी नगर पालिका के निवासियों की पीने के पानी की पूर्ति हो जाएगी। मेयर ने कहा की शहर के लोग निगम को पूरा सहयोग कर रहे है। विपक्षी पार्टियां इस समस्या को लेकर गंदी राजनीति कर रहे है। इसका मुकाबला प्रशासन करेगी। भाजपा नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने क्या कहा: बिष्ट ने कहा की 29 मई, 2024 को सिलीगुड़ी नगर निगम (एसएमसी) ने लोगों को नल का पानी न पीने की सूचना देते हुए एक नोटिस भेजा। उन्होंने यह भी कहा कि एसएमसी टैंकरों के माध्यम से पानी उपलब्ध कराएगी और पीने के लिए पाउच में पानी वितरित करेगी। उसी शाम, मैंने एसएमसी मेयर श्री गौतम देब जी को फोन किया और उनसे बात की, जिन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि इस समस्या का जल्द समाधान किया जाएगा। तीन दिन हो गए हैं और मुझे नागरिकों से सैकड़ों शिकायतें मिली हैं, पीने के पानी की कमी, आपूर्ति किए जा रहे पानी की खराब गुणवत्ता और पानी के वितरण में भी पक्षपात के बारे में, जिसमें उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है जिन्होंने पिछले चुनावों में टीएमसी को वोट दिया है। यह अस्वीकार्य है। एसएमसी ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि वे गजोल्डोबा में तीस्ता बैराज की मरम्मत कर रहे हैं, जो अक्टूबर 2023 की तीस्ता बाढ़ के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था। तीस्ता बाढ़ को 210 दिन से अधिक हो चुके हैं, तो बैराज की मरम्मत तुरंत क्यों नहीं की गई? साथ ही, चूंकि बाढ़ को 7 महीने से अधिक हो चुके हैं, इसलिए एसएमसी के पास वैकल्पिक पेयजल स्रोतों की तैयारी के लिए बहुत समय था, ऐसा क्यों नहीं किया गया? एसएमसी मेयर गौतम जी ने यह भी दावा किया कि महानंदा नदी के पानी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) सामान्य 1-2 पोर्टेबल पैरेलल एनालिसिस (पीपीए) से बढ़कर 2.9 पीपीए हो गई है, जो बीमारी का कारण बन सकती है। निश्चित रूप से, यह रातों रात नहीं हुआ, तो एसएमसी बोर्ड आज तक क्या कर रहा था? एसएमसी में 47 वार्ड हैं, और केवल 26 पानी के टैंकर तैनात किए गए हैं। सिलीगुड़ी को प्रतिदिन 100 मिलियन लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि एसएमसी पहले इसका आधा यानी लगभग 55 मिलियन लीटर प्रतिदिन पानी की आपूर्ति करती थी, लेकिन अब एसएमसी बोर्ड की अक्षमता के कारण लोग इस आधे हिस्से के पानी से भी वंचित हैं। भीषण गर्मी के मौसम में जब गर्मी अपने चरम पर पहुंच चुकी है, सिलीगुड़ी के लोगों को पीने के पानी से वंचित करना किसी अपराध से कम नहीं है। केवल दिखावटी बयानबाजी और फेसबुक पोस्ट से इस संकट का समाधान नहीं होगा, एसएमसी मेयर और बोर्ड को तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और समस्या की वास्तविक सीमा और इसके समाधान के लिए उठाए जा रहे कदमों को सार्वजनिक करना चाहिए। यदि एसएमसी इस “स्व-निर्मित” संकट से निपटने में असमर्थ है, तो मेयर के साथ-साथ बोर्ड के सदस्यों को इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि अधिक सक्षम लोग लोगों को सभी सेवाएं प्रदान करना सुनिश्चित कर सकें। भाजपा विधायक शंकर घोष ने कहा की वे चुनाव प्रचार में थे। शहर में लौटने के बाद जनता को साथ लेकर इस समस्या को लेकर आंदोलन करेंगे। रिपोर्ट अशोक झा

Back to top button