बंगाल में चुनावी हार के बाद राज्य स्तरीय कोर कमेटी की बैठक आज

सिलीगुड़ी: लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन और भाजपा और आरएसएस के बीच चल रहे रस्साकशी के बीच बंगाल भाजपा मंथन बैठक करने जा रही है। शनिवार को पार्टी की राज्य स्तरीय कोर कमेटी की बैठक होगी। इसमें 24 सदस्य शामिल होंगे।उन सदस्यों में बंगाल भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के अलावा दिलीप घोष और शुभेंदु अधिकारी भी शामिल हैं। लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा पहली बार होगा जब शुभेंदु अधिकारी और दिलीप घोष एक साथ मंच साझा करेंगे क्योंकि चुनाव में दिलीप घोष की पारंपरिक सीट बदले जाने को लेकर अधिकारी से मनमुटाव चल रहा है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार अभी भी दिल्ली में हैं। हालांकि, उनका शनिवार शाम से पहले कोलकाता लौटने का कार्यक्रम है। बैठक शाम छह बजे शुरू होने वाली है। चुनावों में हार के बाद, राज्य भाजपा के एक वर्ग ने शुभेंदु पर उंगली उठाई है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष आमतौर पर सभी कोर कमेटी की बैठकों में शामिल होते हैं। हालांकि, ऐसी बैठकों में शुभेंदु की अनुपस्थिति की मिसालें मौजूद हैं। हालांकि अतीत में दोनों नेताओं के बीच मतभेदों के बावजूद दोनों ने सार्वजनिक शिष्टाचार बनाए रखा है । बीजेपी की समीक्षा के अनुसार ग्रामीण इलाकों में मुस्लिम और महिलाओं ने टीएमसी और ममता बनर्जी को दिल खोल कर वोट दिया. ‘ट्रिपल एम’- ममता, महिला और मुस्लिम के फेर में बीजेपी फंस गई। इसी कारण इस बार टीएमसी पिछली बार की तुलना में भी बेहतर प्रदर्शन कर पाई है. टीएमसी ने इस बार 29 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी केवल 12 सीटें ही जीत पाई। 2019 की तुलना में उसे छह सीटों का नुकसान हुआ, जबकि टीएमसी को सात सीटों का फायदा हुआ। बीजेपी नेताओं का यह भी मानना है कि ऐन चुनाव के बीच आया कोलकाता हाईकोर्ट का फैसला भी उसके खिलाफ गया. इस फैसले में ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम कोटा रद्द कर दिया गया था।इससे मुस्लिम वोट टीएमसी के पीछे लामबंद हुए, जिसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ा। मुस्लिमों में यह दुष्प्रचार किया गया कि बीजेपी ने उनका ओबीसी आरक्षण रद्द कर दिया, जबकि हकीकत में बीजेपी का इससे कुछ लेना-देना नहीं था। टीएमसी ने इस मुद्दे को जिस तरह भुनाया, उससे एकमुश्त मुस्लिम वोट मिले और लेफ्ट तथा कांग्रेस में उनका बंटवारा नहीं हुआ। ग्रामीण इलाकों में नहीं मिले महिलाओं के वोट: संदेशखाली को एक बड़ा मुद्दा बनाने के बावजूद बीजेपी राज्य में महिलाओं का वोट लेने में सफल नहीं हो सकी। ग्रामीण इलाकों में खासतौर से महिलाओं ने टीएमसी के पक्ष में वोट दिया। टीएमसी को महिलाओं के वोट के पीछे लक्ष्मी भंडार स्कीम का बड़ा हाथ है। इस स्कीम का ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब वर्ग पर बड़ा प्रभाव है और शहरी क्षेत्रों में झुग्गी-झोपड़ियों में इसका बड़ा प्रभाव है। कई विधानसभाओं में तो महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट किया। गरीबों को डराया गया कि वोट नहीं दिया तो लक्ष्मी भंडार स्कीम का फायदा रोक देंगें। राशन रोक देंगें, पानी रोक देंगे मतदान पर इस धमकी का असर दिखा। बीजेपी की सीट भले कम हुई, पर वोट शेयर बढ़ा: बीजेपी को 39 फीसदी और टीएमसी को 45.7 फीसदी वोट मिले हैं। बीजेपी ने 100 विधानसभा सीटों पर बढ़त बना ली है. टीएमसी ने 100 से अधिक नगर निगम क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है। शहरों में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में टीएमसी का प्रदर्शन बहुत बेहतर रहा।
बीजेपी के एक नेता के मुताबिक अगर केंद्रीय बलों की संख्या और ज्यादा होती तो बीजेपी की सीटें बढ़ सकती थी, क्योंकि बहुत सारे वोटर टीएमसी के गुंडों के डर से मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंचे। पैरामिलिट्री फोर्स बूथ के बाहर रहता है, लेकिन घर से बूथ तक आने के लिए टीएमसी के गुंडों ने डराया और धमकाया और पैरामिलिट्री फोर्सके आते ही भाग खड़े होते थे।
केंद्रीय बलों की मौजूदगी के कारण लोगों ने निडर होकर मतदान किया, लेकिन राज्य पुलिस ने कई क्षेत्रों में उनके अप्रभावी बना दिया।बीजेपी के मुताबिक टीएमसी ने हिंसा की राजनीति और प्रशासनिक दुरुपयोग किया। बहुत सारे लोगों ने टीएमसी की प्रताड़ना से बचने और डर के चलते भी टीएमसी को वोट किया।
भितरघात के शिकार हुए प्रत्याशी: बीजेपी के आकलन के मुताबिक कुछ उम्मीदवारों का चयन भी ठीक नहीं रहा, जिसके कारण हार का सामना करना पड़ा। प्रदेश बीजेपी में गुटबाजी पर लगाम नहीं कस सकी है। कई क्षेत्रों में बीजेपी का संगठन मजबूत नहीं है और मतदान के समय मतदाताओं को पोलिंग सेंटर तक नहीं लाया जा सका।
रिपोर्ट अशोक झा

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