राज्यपाल के साथ सीएम ममता का टकराव लगातार जारी

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच तनाव खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। संदेशखाली की घटना को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने वाले बंगाल की ये दो शख्सियतें, एक बार फिर आमने-सामने आ गई हैं।सीवी आनंद बोस ने सवाल किया कि बंगाल पुलिस ने चुनाव बाद हिंसा के कथित पीड़ितों को राजभवन में प्रवेश करने से क्यों रोका, जबकि उनके कार्यालय ने इसके लिए आवश्यक अनुमति जारी की थी। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्यपाल ने कहा, ‘सरकार द्वारा हिंसा के पीड़ितों को राज्यपाल से मिलने से रोकना अक्षम्य कृत्य है। आप कानून से ऊपर नहीं’: राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने सीएम ममता बनर्जी पर संविधान का आरोप लगाते हुए कहा, ‘ मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) भारत के संविधान का अपमान नहीं कर सकतीं. यह मौत का नृत्य है, जो पश्चिम बंगाल में हो रहा है, उसका भयावह रूप है. आप कितना भी ऊंचा सोचें, कानून आपसे ऊपर है.’ राज्यपाल ने ममता बनर्जी को एक पत्र भी लिखा है जिसमें उन आधारों पर स्पष्टीकरण मांगा गया है जिनके आधार पर पुलिस ने इन व्यक्तियों को उनसे मिलने से रोक दिया है. सीवी बोस ने बड़ाबाजार में माहेश्वरी भवन का भी दौरा किया और लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में हिंसा से प्रभावित लोगों से मुलाकात की। पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा भाजपा और विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और हिंसा से पीड़ित लोगों को राज्यपाल आवास के आसपास धारा 144 का हवाला देते हुए बोस से मिलने के लिए गवर्नर आवास में प्रवेश करने से रोक दिया।सी.वी. आनंद बोस ने कहा कि मुझे आश्चर्य होता है ये देखकर कि पीड़ितों को उनसे मिलने से रोका गया, जबकि उन्होंने मुलाकात के लिए अनुमति भी ली थी।राज्यपाल बोस ने मांगा जवाब:इसके बाद राज्यपाल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर जवाब मांगा है कि लिखित अनुमति के बाद भी पुलिस से पीड़ितों के प्रतिनिधियों को आवास में प्रवेश करने से क्यों रोका। वहीं पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद एक अधिकारी और एक अन्य व्यक्ति ने कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
HC ने पीड़ितों को दी राज्यपाल से मिलने की अनुमति: कलकत्ता हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़ित राज्यपाल के कार्यालय से अनुमति मिलने पर उनसे जाकर मिल सकते हैं। न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता से यह भी पूछा कि क्या राज्यपाल घर में नजरबंद हैं? अगर ऐसा नहीं है तो अनुमति मिलने के बावजूद लोगों को उनसे मिलने की अनुमति क्यों नहीं दी गई।
सुवेंदु अधिकारी ने पुलिस को लिखा पत्र: वहीं सुवेंदु अधिकारी ने कोलकाता पुलिस को पत्र लिखकर 19 जून को राजभवन के पास चुनाव के बाद हुई हिंसा के कथित पीड़ितों के साथ धरना देने की अनुमति मांगी है। उन्होंने कहा कि पिछली बार टीएमसी कार्यकर्ताओं ने यहां विरोध प्रदर्शन किया था। उसी का उदाहरण उन्होंने पुलिस को दिया और कहा कि यदि क्षेत्रीय पार्टी को कार्यक्रम स्थल पर धरना देने की अनुमति दे सकते हैं तो मुझे नहीं लगता है कि भारतीय चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी भाजपा को वही अनुमति क्यों नहीं दी जा सकती।
पीड़ितों से मिले राज्यपाल बोस: इसके पहले राज्यपाल ने बोस ने बुर्रा बाजार में माहेश्वरी भवन का दौरा किया था, जहां उन्होंने हिंसा से कथित रूप से प्रभावित लगभग 150 लोगों से मुलाकात की थी। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में हुई हिंसा की घटनाओं में तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया है, जिसे टीएमसी पार्टी ने नकार दिया है। राज्यपाल ने आरोपों का जवाब मांगने के लिए भी राज्य सरकार को पत्र लिखा। रिपोर्ट अशोक झा

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