राज्यपाल नही तो अब उसके भतीजे के खिलाफ संगीन धाराओं में जीरो एफआईआर दर्ज
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कोलकोता: राज्य सरकार के साथ बंगाल के राज्यपाल का 36 का आंकड़ा जग जाहिर है। पिछले दिनों चुनाव के समय राज्यपाल के खिलाफ यौन अत्याचार का आरोप एक महिला के द्वारा लगाकर हंगामा मचा था। राज्यपाल के कानूनी अधिकार के कारण पुलिस सरकार के चाहने के बाद भी कुछ नहीं कर पाई। चुनाव के बाद फिर हिंसा को लेकर राज्यपाल और सरकार में खुलकर टकराव जारी है। इसी बीच अब कोलकाता पुलिस ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंदबोस के भतीजे के खिलाफ आपराधिक साजिश और रेप के आरोप में जीरो एफआईआर दर्ज की है। एक ओडिसी डांसर ने राज्यपाल और उनके भतीजे के खिलाफ शिकायत दर्ज करवायी है। उसका कहा है कि जनवरी 2023 में दिल्ली के होटल में उसका शोषण किया गया था। यह केस पिछले साल अक्टूबर में हारे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में की गई शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया। चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट की कोर्ट ने इसे दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।
क्या होती है जीरो एफआईआर: जोरो एफआईआर वह होती है जिसे अपराध होने पर किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाया जा सकता है। जरूरी नहीं है कि मामला उसके ज्यूरिडिक्शन में आता हो। इसके बाद सीनियर इन्सपेक्टर रैंक का अधिकारी फॉरवर्डिंग लेटर लिखकर उस पुलिस स्टेशन को भेजता है जहां का वह मामला है। उस पुलिस स्टेशन में जांच शुरू की जाती है।
जानकारी के मुताबिक राज्यपाल के भतीजे के खिलाफ धारा 376 (रेप), 120 बी (आपराधिक साजिश) का मुकदमा दर्ज किया गया है। हालांकि चेफी मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने जीरो एफआईआर लिखकर इसे दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिय़ा था। जीरो एफआईआर में क्राइम का जिक्र नहीं किया जाता है। इस मामले में राजभवन की तरफ से अब तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक शिकायतकर्ता ने विदेश जाने के मामले में राजभवन से मदद मांगी थी। उसका कहना था कि विदेश में कार्यक्रम के लिए उसे जाने में अड़चन आ रह है। इसके बाद उसे मदद देने का वादा किया गया और कहा गया कि विदेश मंत्रालय से संपर्क किया जाए। ओडिसी डांसर को फ्लाइट का टिकट और 5-6 जनवरी के लिए होटल बुकिंग का टिकट भेज दिया गया। बोस उस वक्त दिल्ली के बंग भवन में रुके हुए थे। आरोप है कि बोस होटल में गए थे। पीड़िता ने यह नहीं बताया कि शिकायत दर्ज करवाने के लिए उसने 10 महीने का समय क्यों लिया। बता दें कि 2 मई को राजभवन की एक कर्मचारी ने भी राज्यपाल के खिलाफ छेड़छाड़ का केस दर्ज करवाया था। इस मामले में राजभवन के तीन कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्हें लोअर कोर्ट से जमानत मिल गई। वहीं बोस ने सुप्रीम कोर्ट के दखल की मांग की है और कहा है कि आर्टिकल 361 के तहत उन्हें इम्यूनिटी मिलत है। पुलिस मामले की जाच नहीं कर सकती। रिपोर्ट अशोक झा