बांग्लादेश का आतंकी संगठन ‘अंसार-अल-इस्लाम’ पश्चिम बंगाल में सक्रिय

कोलकाता: एसटीएफ ने 25 जून को हरेज शेख और 28 जून को अनवर शेख को दबोच लिया था। हरेज शेख की गिरफ्तारी हावड़ा जंक्शन से जबकि अनवर शेख को चेन्नई से पकड़ा गया था। बांग्लादेश के आतंकी संगठन ‘अंसार-अल-इस्लाम’ के पश्चिम बंगाल में सक्रिय होने का खुलासा हुआ है।।इस विदेशी आतंकी संगठन ने यहाँ पर ‘शहादत मॉड्यूल’ बना रखा है। आपस में बातचीत के लिए आतंकी ऐसे एप का प्रयोग करते हैं जो जल्दी सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर नहीं आ पाता। इस मॉड्यूल में ज्यादा से ज्यादा आतंकियों की भर्ती भी करवाई जा रही है। इसका खुलासा कोलकाता पुलिस की STF (स्पेशल टास्क फ़ोर्स) ने किया है। STF ने अंसार-अल-इस्लाम के 3 आतंकी गिरफ्तार किए है जिन्होंने पूछताछ में अपने खतरनाक मंसूबों का खुलासा किया है।रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल पुलिस की कोलकाता STF ने 22 जून, 2024 को मोहम्मद हबीबुल्लाह नाम के आतंकी को गिरफ्तार किया था। हबीबुल्लाह को वर्द्धमान जिले से पकड़ा गया था। हबीबुल्लाह ही ‘शहादत मॉड्यूल’ का चीफ बताया जा रहा है। इस पर काफी पहले से कोलकाता STF नजर रखे हुए थी। पूछताछ में हबीबुल्लाह ने खतरनाक मंसूबों के अलावा अपने गिरोह में जुड़े साथियों के नाम भी बताए। हबीबुल्लाह के बयान के आधार पर STF ने 25 जून को हरेज शेख और 28 जून को अनवर शेख को दबोच लिया था। हरेज शेख की गिरफ्तारी हावड़ा जंक्शन से जबकि अनवर शेख को चेन्नई से पकड़ा गया था। इन तीनों से हुई पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये सभी बांग्लादेशी आतंकी संगठन अंसार-अल-इस्लाम का नेटवर्क पश्चिम बंगाल में खड़ा करने की कोशिश में जुटे हुए थे। यहाँ ये इसका ‘शहादत मॉड्यूल’ तैयार कर रहे थे, जिसके लिए अड़े पैमाने पर युवाओं की भर्ती करवाई जा रही थी। सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए ये सभी आरोपित बातचीत के लिए टेलीग्राम सहित कुछ अन्य ऐसे एप का प्रयोग करते थे जिनको आसानी से ट्रेस नहीं किया जा सकता। बताया जा रहा है कि पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए इन आतंकियों ने अपने फर्जी नाम भी रख रखे थे। बातचीत में ये आतंकी कई कोडवर्ड का भी प्रयोग करते थे जिसे पुलिस डिकोड करने के प्रयास में लगी हुई है। इंटरनेट के जरिए ये आतंकी जिहादी सोच के युवाओं को चिह्नित करते थे फिर उनसे बातचीत की जाती थी। भारत में यह संगठन हबीबुल्लाह ही ऑपरेट करता था। उसका निर्देश सभी मानते थे। फ़िलहाल पश्चिम बंगाल पुलिस यह पता लगाने में जुटी हुई है कि गिरफ्तार आतंकियों ने अपने नेटवर्क की जड़ें भारत में कितनी गहरी कर रखी हैं। बताते चलें कि अंसार अल इस्लाम बांग्लादेश में भी एक प्रतिबंधित आतंकी समूह है। इस संगठन से जुड़े लोगों पर बांग्लादेश में भी अल्पसंख्यकों और सैन्य बलों पर हमले सहित कई अन्य आतंकी और आपराधिक आरोप लगे हैं। हाल में ही जून 2024 में बांग्लादेश की पुलिस ने कॉक्स बाजार से इस आतंकी संगठन के 3 सदस्य गिरफ्तार किए थे। इनकी पहचान मोहम्मद ज़करिया, मोहम्मद नियामत उल्लाह और मोहम्मद ओजायर के तौर पर हुई थी। इन सभी की उम्र 20 वर्ष के आसपास है। माना जाता है कि इस गिरोह के लोग अफगानिस्तान में सक्रिय तालिबानियों को अपना आदर्श मानते हैं।इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी फैजान को एमपी एटीएस ने खंडवा से गिरफ्तार किया था. बताया जा रहा था कि आतंकी ने लोन वुल्फ अटैक की योजना बनाई गई थी और सुरक्षाबल भी उसकी निशाने पर थे। भोपाल अट्स मंगलवार को रिमांड खत्म होने पर उसे कोर्ट में पेश करेगी इस बीच फैजान ने लगातार चुकाने वाले कुलसी की है उसने 8 साल पहले भोपाल में हुए एनकाउंटर में मारे गए सिमी के आठ आतंकियों के परिजनों की आर्थिक रूप से मदद करना स्वीकार किया है।इस बीच, फैजान ने लगातार चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंने स्वीकार किया है कि 8 साल पहले भोपाल में हुए एनकाउंटर में मारे गए सिमी के 8 आतंकीयों के परिजनों की आर्थिक मदद की थी। उन्होंने पश्चिम बंगाल की जेल में बंद आतंकी रकीब से भी मुलाकात की थी। उन्होंने देश के कई राज्यों में भ्रमण किया है और एक विदेशी आतंकी संगठन से संपर्क में रहने की जानकारी एटीएस को दी है। उनकी मैकेनिक फाइनेंसिंग कनेक्शन को भी एटीएस जांच रही है, और उनके सहयोगियों के संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है
फैजान ने क्या-क्या बताया: एटीएस के आईजी डॉक्टर आशीष ने बताया कि रकीब की गिरफ्तारी के बाद फैजान एक्टिव था, लेकिन उसकी पहचान एक्टिव नहीं थी जिससे उसे पहचाना जा सके। उसने पश्चिम बंगाल की जेल में बंद रकीब से मिलने की भी कोशिश की थी, जिसका जेल रिकार्ड में प्रमाण मिला है।फैजान ने पेशे से मैकेनिक होने के बावजूद एनकाउंटर में मारे जा चुके आतंकियों के परिजनों की आर्थिक मदद की थी। हालांकि, उसके द्वारा दी गई धनराशि काफी मामूली थी और इसे कई-कई महीनों के बीच दिया गया था।फैजान के मोबाइल फोन की इंटरनेट हिस्ट्री में सैकड़ों बार अलग-अलग तरीकों से बम बनाने के तरीके सर्च करने की जानकारी मिली है। ये सर्च उसने यू-ट्यूब पर की थी। उसके विदेशी आतंकी संगठनों से संपर्क की भी जांच की जा रही है। एटीएस द्वारा की गई अब तक की जांच में फैजान की विदेश यात्रा के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।
सुरक्षा एजेंसी के लिए चुनौती बन रहे कश्मीर के उग्रवादी
जैश-ए-मोहम्मद के संगठन कश्मीर टाइगर्स ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के सुदूर माचेडी इलाके में भारतीय सेना के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी ली है। सोमवार को भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों द्वारा एक गश्ती दल पर घात लगाकर किए गए हमले में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी सहित कम से कम पांच सैन्यकर्मी मारे गए और इतने ही घायल हो गए। उनके पास से बरामद हथियार
इन्हें चीन ने अल्ट्रा सेट्स का नाम दिया है। इसे पाकिस्तानी सेना इस्तेमाल करती है। कश्मीर के आतंकी संगठनों को ये मुहैया कराए गए हैं। इन हैंडसेट्स को चीन ने तैयार किया है। इन्हें खासतौर पर पाकिस्तानी सेना के लिए तैयार किया गया है। सेना ने आतंकियों के पास से बीते साल भी ऐसे ही हैंडसेट्स बरामद किए थे। पुंछ और बारामूला जिले में 17 से 18 जुलाई 2023 की तार इन्हें बरामद किया गया था। चीन अपनी रक्षा क्षमताओं का विस्तार कर रहा है। चीन, पाकिस्तान की मदद भी करने पर उतर गया है। पाकिस्तानी सेना LoC पर भारत की मुश्किलें इन्हीं सधे हुए नेटवर्क से बढ़ाने की तैयारी में जुटी है। पाकिस्तान, स्टीलहेड बंकर बना रहा है, एरियल व्हीकल बना रहा है। भारत को क्या करने की है जरूरत?: इन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन और अंडर ग्राउंड फाइबर केबल के जरिए इनके नेटवर्क को अत्याधुनिक किया गया है. चीन अपने रडार सिस्टम को और एडवांस कर रहा है। JY और HGR सिरीज के जरिए चीन, टार्गेट डिटेंशन क्षमताओं को बढ़ा रहा है। भारत की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि हमें खुद को अत्याधुनिक करने की जरूरत है। अल्ट्रा सेट की खूबियां जान लीजिए, जिनकी वजह से बढ़ रही टेशन – अल्ट्रा सेट बेहद इनक्रिप्टेड चाइनीज टेलीकॉम गैजेट है. इसकी फ्रीक्वेंसी में सेंध नहीं लगाई जा सकती है। आतंकी संगठन, जम्मू और कश्मीर में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। चीनी कंपनियों ने इसे खास तौर पर पाकिस्तानी सेना के लिए डिजाइन किया है। अल्ट्रासेल में फोन की सारी क्षमताएं होती हैं, इसमें रेडियो इक्विपमेंट भी इंस्टाल किए गए होते हैं।ये रेडियो वेव को कैच करने में सक्षम हैं और पारंपरिक मोबाइल से बेहद अलग हैं। ये GSM और CDMA सिस्टम की तर्ज पर काम नहीं करते हैं। अल्ट्रा सेट, कंट्रोल स्टेशन से जुड़े होते हैं, और इन्हें एक-दूसरे से कनेक्ट कर पाना मुश्किल होता है। चीन के सैटेलाइट इनके मैसेज को एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचाते हैं।ये मास्टर सर्वर में अपना संदेश भेजते हैं. पाकिस्तान से ही इसके जरिए आदेश आते हैं। रिपोर्ट अशोक झा

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