धूमधाम से मनाया जा रहा है आदि कवि भानुभक्त की 210वीं जन्म जयंती
अशोक झा, सिलीगुड़ी: आदि कवि भानु भक्त जयंती, विख्यात भानुभक्त आचार्य की 210वी जयंती के उपलक्ष्य में एक विशेष दिन, जिन्हें व्यापक रूप से पहले नेपाली कवि के रूप में माना जा रहा है। महाकाव्य रामायण का नेपाली में अनुवाद करने के लिए प्रसिद्ध हैं, शनिवार को बड़े धूमधाम से मनाया गया।’आदिकवि’ के नाम से मशहूर कवि को नेपाली भाषा की आधारशिला रखने के लिए याद किया जाता है। यह दिवस भारत के साथ-साथ दुनिया भर में नेपाली लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह जयंती नेपाल, दार्जिलिंग, सिक्किम और म्यांमार तथा भूटान जैसे विभिन्न देशों के लोगों द्वारा मनाई जाती है। भानु जयंती प्रतिवर्ष नेपाली माह आषाढ़ के 29 वें दिन मनाई जाती है।
भारत का बहुल संस्कृतियों से परिपूर्ण राज्य है जहां पर कई दिवस औऱ त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस राज्य में आज 13 जुलाई को आदिकवि भानुभक्त को समर्पित भानु जयंती हर साल मनाई जा रही है।हर साल 13 जुलाई को इस भानु जयंती को मनाया जाता है जो आदिकवि भानुभक्त को समर्पित दिन होता है। इन कवि का जन्म 13 जुलाई 1814 को चुंडीरामघा गांव, भानु नगर पालिका, तनहु, नेपाल में हुआ था। जो नेपाल के महान कवियों में से एक थे उनकी याद में इस जयंती को मनाते है। कहते है सिक्किम समेत भारत के विभिन्न जिले में रहने वाले नेपाली भाषा के लोग उनकी स्मृति में एक विशेष स्थान रखते हैं क्योंकि नेपाली भाषा सिक्किम-दार्जिलिंग क्षेत्र में व्यापक रूप से बोली जाती है। बता दें कि, यहां पर नेपाली पहले केवल मौखिक रूप से बोली जाती थी। रामायण महाकाव्य नेपाली में कर चुके है अनुवाद: यहां पर बात करें तो, भानुभक्त आचार्य ने नेपाली में कई कविताओं की रचना की है तो वहीं इन्हें रामायण जैसे महाकाव्य का नेपाली में अनुवाद करने वाले पहले कवि के रूप में माना जाता है। संपूर्ण रामायण का अनुवाद भानुभक्त ने संस्कृत से सरल नेपाली में किया था। रामायण से महाकाव्य को इस महाकवि ने नेपाली जनता के लिए सरल भाषा में सुलभ बनाया था। इतना ही नहीं यह नेपाली समाज के लिए आधुनिक दोहोरी और लोक गीत भानुभक्त की सीधी रामायण पर आधारित हैं। यहां पर दोहोरो को इस बात का उदाहरण मानते है कि, गीतों और बोलियों में लय का उपयोग कैसे किया जाता है। नेपाली संस्कृति में आदिकवि भानुभक्त को सम्मान देने के साथ ही सिक्किम में आदिकवि और प्रथम कवि के रूप में उपाधि दी गई है। कैसे मनाई जा रही है जयंती: इस भानु जयंती को सिक्किम में नेपाल और विदेशों से नेपाली बुद्धिजीवियों की एक सभा द्वारा पूरे एक सप्ताह तक मनाई जाती है। इसके अलावा आदिकवि भानुभक्त की याद में सम्मान दर्शाने के लिए साहित्यिक सेमिनार और कविता पाठ प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। आज इस दिन बैंक और अधिकांश सार्वजनिक संस्थान बंद रहते हैं। यह जयंती सरकारी छुट्टी की भांति होती है। पड़ोसी देश नेपाल में ‘भानु जयंती’ के रूप में मनाया जा रहा है। नेपाल के विख्यात कवि, लेखक और अनुवादक भानुभक्त आचार्य की आज जयंती है। उन्हें नेपाली भाषा का पहला लेखक माना जाता है।वाल्मीकि रामायण को संस्कृत से नेपाली में अनुवाद करने वाले पहले व्यक्ति होने की वजह से उन्हें आदि कवि की उपाधि दी गई। प्रत्येक वर्ष नेपाली पंचांग अनुसार आषाढ़ माह के उनतीसवें दिन आचार्य के जन्मदिन के अवसर पर नेपाल सरकार और दुनियाभर मौजूद नेपाली जनता द्वारा भानु जयंती मनाई जाती है। भानुभक्त आचार्य 13 जुलाई, 1814 को नेपाल के तनहुं जिले में स्थित चुंदी रम्घा में पैदा हुए थे। उनके पिता धनंजय एक सरकारी कर्मचारी थे. भानुभक्त ने संस्कृत की प्राथमिक शिक्षा अपने दादा से और उच्च शिक्षा वाराणसी में प्राप्त की।भानुभक्त आचार्य को नेपाली भाषा (Nepali language) की आधारशिला रखने के लिए याद किया जाता है. भानु जयंती भारत के साथ-साथ दुनिया भर में नेपाली लोगों द्वारा मनाया जाता है. यह पर्व नेपाल, दार्जिलिंग, सिक्किम और म्यांमार और भूटान जैसे विभिन्न देशों के लोगों द्वारा मनाई जाती है। यह दिन नेपाली संस्कृति का उत्सव है। भानुभक्त को राष्ट्रीय विभूति यानी नेपाल के राष्ट्रीय नायकों में से एक के रूप में भी नामित किया गया है।नेपाली भाषा की आधारशिला रखीप्राचीन काल में नेपाली सहित दक्षिण एशियाई भाषाएं ज्यादातर मौखिक माध्यम तक सीमित थीं जिसकी वजह से सो भाषाओं में लेखन कम ही होता था. दक्षिण एशिया के लिखित ग्रंथ अधिकांश संस्कृत में उपलब्ध होने की वजह से वे आम जनता की पहुंच से दूर थे। चूंकि शिक्षकों, छात्रों और पंडितों के पद में ब्राह्मणों की अग्रता थी, सभी धर्म ग्रंथों तथा अन्य साहित्यिक कृतियों की पहुंच ब्राह्मणों और संस्कृत में शिक्षा प्राप्त करनेवाले व्यक्तियों तक सीमित थे। नेपाली भाषा बोलने वाली सबसे बड़ी आबादी पश्चिम बंगाल में रहती है। 2001 की जनगणना के मुताबिक़, यहां 10.23 लाख लोगों की मातृभाषा नेपाली है। यही कारण है कि दार्जिलिंग समेत उत्तर बंगाल के कोने कोने में भानु जयंती बड़े उत्साह के साथ मनाई जा रही है। सांस्कृतिक संगठन, शैक्षणिक संस्थान और सामुयादिक संस्था आदि कवि भानुभक्त आचार्य की स्मृति में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित की जा रही है। समारोह नेपाली समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने और युवा पीढ़ी के बीच भाषाई और साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के मंच के रूप में काम करते हैं।भानु जयंती सिक्किम और दार्जिलिंग दोनों में गहरा सांस्कृतिक महत्व रखती है। यह नेपाली भाषा, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण और प्रचार के महत्व पर ज़ोर देती है।यह दिन भानुभक्त आचार्य के योगदान का सम्मान करने के साथ इन क्षेत्रों में नेपाली भाषी समुदायों के बीच गर्व और पहचान की भावना पैदा करता है।नेपाली कवि को श्रद्धांजलि देते हुए दार्जिलिंग पुलिस ने ट्वीट किया, “आदिकवि भानुभक्त आचार्य को श्रद्धांजलि, जिन्होंने महान महाकाव्य रामायण और महाभारत का संस्कृत से नेपाली में अनुवाद किया। नेपाली साहित्य में उनके योगदान के लिए महान आत्मा को याद करते हुए। भानु जयंती के शुभ अवसर पर शुभकामनाएँ! पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने भी इस अवसर पर शुभकामनाएं दीं और कहा, “भानु जयंती के गौरवशाली अवसर पर सिक्किम के लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं। भानुभक्त आचार्य पहले लेखक थे जिन्होंने संपूर्ण रामायण को संस्कृत से नेपाली भाषा में लिपिबद्ध किया था।” मंत्री दिलीप जायसवाल ने इस अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए कहा, “भानुभक्त आचार्य एक नेपाली कवि, अनुवादक और लेखक थे। वे महान महाकाव्य रामायण का संस्कृत से नेपाली में अनुवाद करने वाले पहले लेखक थे। उन्हें आदिकवि की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है। भानु जयंती के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ! भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी, सांसद राजू बिष्ट ने भी ट्वीट किया, “आदिकवि की उपाधि से अमर; भानुभक्त आचार्य को नेपाली भाषा में साहित्यिक कृतियों का दस्तावेजीकरण करने वाले और महान महाकाव्य रामायण का संस्कृत से नेपाली में अनुवाद करने वाले पहले व्यक्ति होने के कारण हमेशा सम्मान दिया जाएगा। भानु जयंती के शुभ अवसर पर मेरी शुभकामनाएँ।