परंपरागत नियमों का पालन करते हुए रथ इस्कॉन मंदिर की ओर हुई रवाना

सिलीगुड़ी: आज अपने मंदिर में श्री श्री जगन्नाथ मंदिर में महाप्रभु का इस्कॉन मंदिर में आगमन होगा। भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की यह यात्रा एक उत्सव के रूप में मनाई गई है, जिसमें भक्तगण अद्वितीय उत्साह और श्रद्धा से भाग ले रहे है। सोमवार को अपने मौसी के घर यानी डाबग्राम मैदान से नेताजी सुभाष रोड, हाथी मोड़, कॉलेज रोड ,सिलीगुड़ी गर्ल्स विद्यालय ,चिल्ड्रेन पार्क, भूटिया मार्केट , हरेन मुखर्जी रोड , पाकुड़ ताला मोड़ , नजरूल सारणी, स्वामीजी मोड़ > हैदर पारा बाजार, इस्कॉन रोड, इस्कॉन मंदिर तक जाने के लिए नगर निगम के चेयरमैन प्रतुल चक्रवर्ती समेत अन्य साधु संत झाड़ू लगाकर उन्हें विदा किया। इस्कॉन के जनसंपर्क अधिकारी नाम कृष्ण दास ने बताया कि कैसे उल्टा रथ निकाला जाता है। क्या मां लक्ष्मी नाराज हो जाती है। उन्हें मानने के लिए कैसे उत्सव मनाया जाता है।
श्री मंदिर जायेंगे महाप्रभु जगन्नाथ : जब भगवान जगन्नाथ श्रीमंदिर पहुंचते हैं, तो मां लक्ष्मी उन्हें प्रवेश करने से रोकती हैं। यह एक दिव्य लीला है, जिसमें भगवान अपनी प्रिय पत्नी को मनाने के लिए विभिन्न उपाय करते हैं। इस अनोखी और रमणीय परंपरा के अंतर्गत भक्तगण मंदिर परिसर में हर्षोल्लास के साथ भगवान के स्वागत के लिए एकत्रित होते हैं, जिससे पूरे वातावरण में आध्यात्मिकता और आनंद की अनुभूति होती है। यह दृश्य सोमवार को देखने लायक होगा। इस लीला को समिति के सदस्य निभाएंगे। मौसी मां के मंदिर (गुंडिचा) से होंगे विदा: मौसी मां के मंदिर (गुंडिचा) से होंगे विदा महाप्रभु भगवान जगन्नाथ अभी मौसी मां के मंदिर (गुंडिचा) से 15 जुलाई को वापस अपने धाम (मंदिर) पहुंचेंगे। रेलवे परिक्षेत्र में बाहुड़ा यात्रा को लेकर जोरदार तैयारियां की गई हैं। मंदिर को भव्य रूप दिया गया है। महाप्रभु के आगमन को लेकर भक्तों में जबरदस्त उत्साह है। बाहुड़ा यात्रा में छेरापहरा की रस्म आरआर स्वाइन करेंगे।बच्चे ने दी संगीत-नृत्य की रंगारंग प्रस्तुति महाप्रभु ने रविवार को भी मौसी मां के घर 56 भोग का आनंद उठाया। खूब लाड़ दुलार पाने के बाद विदाई की भी चर्चा हुई। इधर मंदिर में रवि की शाम बच्चों ने संगीत-नृत्य की रंगारंग प्रस्तुति से सबका मनमोह लिया। सोमवार को भी समाज के बच्चे अपने पारंपरिक वेशभूषा में प्रस्तुति देंगे।क्यों गए थे भगवान मौसी के घर: क्यों गए थे भगवान मौसी के घर मंदिर के पुजारी गोविंद पाढ़ी ने बताया कि मान्यता के अनुसार, देव पूर्णिमा के अवसर पर भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को पुरोहितों ने 108 कलश जल और 64 प्रकार की जड़ी-बूटियों से महास्नान कराया। इसके बाद, महाप्रभु बीमार हो गए और अणासार कक्ष में विश्राम के लिए चले गए। 14 दिन बाद भगवान स्वस्थ्य हुए। नवजोबन रूवरूप के दर्शन हुए। जिसके बाद महाप्रभु रथयात्रा कर मौसी मां के मंदिर चले गए। जहां एक से बढ़कर एक व्यंजन और पकवानों का आनंद उठाया। अब सात दिन बाद वापसी हो रही है। बाहुड़ा यात्रा: भक्तों के मिलने का सिलसिला रेलवे परिक्षेत्र स्थित जगन्नाथ मंदिर में रथ उत्सव की धूम है। दोपहर दो बजे से बाहुड़ा यात्रा निकाली जाएगी। जिस रास्ते से भगवान मौसी मां के घर गए थे, उसी रास्ते से वापस आएंगे। बाहुड़ा यात्रा गुंडिचा मंदिर से निकलकर बंगाली स्कूल चौक, तोरवा थाना काली मंदिर रोड, दयालबंद, गांधी चौक, टैगोर चौक, तितली चौक, रेलवे कालोनी गिरजा चौक, सोलापुरी चौक, स्टेशन चौक, तितली चौक से होते हुए श्री श्री जगनाथ मंदिर पहुंचेगी। रिपोर्ट अशोक झा

Back to top button