या हुसैन या अली के नारों से गुजायमान रहा शहर, अनोखे अंदाज में सजाए गए ताजिया

सिलीगुड़ी: गंगा जमुनी तहजीब के लिए चर्चित धर्म नगरी सिलीगुड़ी में अधर्म के आगे धर्म की रक्षा हेतु अपनी जान गंवा शहादत का जाम पीने वाले हजरत इमाम हुसैन व शहीद होने वाले उनके परिजनों-साथियों की याद में बुधवार को देश-दुनिया के साथ-साथ यहां भी मुहर्रम मनाया गया। इसी दिन इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मुहम्मद के नाती हजरत इमाम हुसैन शहीद हुए थे। धर्म की रक्षा हेतु उन्होंने अपनी व अपने परिवार की कुर्बानी दे दी लेकिन अधर्म के आगे नहीं झुके बल्कि यजीद व उसकी विशाल सेना के आगे झुकने से बेहतर उन्होंने कर्बला (वर्तमान इराक) के मैदान में जंग कर शहीद होना कबूल किया। उनकी उसी शहादत की याद में हर साल यौम-ए-आशुरा को उनकी याद में मोहर्रम मनाया जाता है। यह शोक का त्योहार है। इस दिन मुस्लिम धर्मावलंबी रोजा (उपवास) रखते हैं, पवित्र कुरआन का पाठ करते हैं, नमाज आदि इबादत करते हैं व गरीबों-जरूरतमंदों के बीच सदका-खैरात (दान-पुण्य) करते हैं। उल्लेखनीय है कि मुहर्रम की 10 वीं तारीख को व इसके आगे अथवा पीछे एक और दिन रोजा रखा जाता है। इसके अलावा जगह-जगह ताजिया-अखाड़ा भी निकाला जाता है। इसको लेकर शहर के विभिन्न मुस्लिम बहुल इलाकों से विभिन्न मुहर्रम कमेटियों के आयोजन में इस दिन शाम में शहर में ताजिया-अखाड़ा निकाला गया। इसमें शामिल लोगों ने या अली, या हुसैन आदि नारे लगाते हुए व लाठी-तलवार आदि भांज कर प्रदर्शन करते हुए कर्बला तक यात्रा की। इस दौरान मातमी धून के साथ ताजिया धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी। ये ताजिये-अखाड़े हिलकार्ट रोड व बर्दवान रोड होते हुए झंकार मोड़ के निकट स्थित कर्बला में सम्मिलित व संपन्न हुए। इस दौरान विभिन्न संगठन-संस्थाओं की ओर से जगह-जगह सेवा शिविर भी लगाए गए थे। मोहर्रम का ताजिया-अखाड़ा देखने को हजारों की संख्या में लोग उमड़े। इस दौरान सुरक्षा एवं शांति-व्यवस्था संभालने में पुलिस भी पूरी मुस्तैदी से जुटी नजर आई। मुहर्रम के उपलक्ष में इस दिन फैजान-ए-गरीब नवाज कमेटी (आदर्श नगर) की ओर से और वेलफेयर नौजवान कमेटी की ओर से कई प्रकार की सेवाएं की गयी।
अच्छाई और इस्लाम के लिए बुराई के आगे नहीं झूके हसन-हुसैन
हुसैन व उनके साथिायें पर शाम तक हमला कर सभी को खत्म कर दिया। इतिहास के अनुसार यदीद ने हुसैन के छह माह और 18 माह के बेटे को भी मारने का हुक्कम दिया। इसके बाद बच्चों पर तीरों की बारिश कर दी गयी। इस तरह से हजारों यजीदी सिपाहियों ने मिलकर इमाम हुसैन सहित 72 लोगों को शहीद कर दिया। इस घटना के बाद से ही मुसलमानों ने इस्लामी कलेंडर के नए साल में खुशी मनाना ही छोड़ दिया। 1400 साल बीतने के बाद भी मुस्लिम इस माह में खुशी को कोई कार्यक्रम नहीं करते है। मुहर्रम के दौरान ताजिया जुलूस को ध्यान में रखते हुए इस अवसर हिलकार्ट रोड जामा मस्जिद से ताजिया निकलकर बर्दमान रोड स्थित करबला तक ले जाया जा रहा है। ताजिया या जुलूस को लेकर हिलकार्ट रोड से बर्दमान रोड तक वाहनों के आवागमन के परिचालन पर रोक दिया गया है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस प्रशासन की ओर से अतिरिक्त व्यवस्था की है। ताजिया जुलूस के दौरान किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना नहीं घटे इसके लिए कमेटी के कार्यकर्ताओं को आवश्यक निर्देश दिए गये थे उसके अनुसार लोग इंतजाम किए हुए थे। पुलिस आयुक्त की ओर से स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि पुलिस की ओर से कहा गया है कि धारदार हथियार के साथ दूसरी जगह नहीं जाए इसका भी कमेटी को ध्यान रखना होगा। हिलकार्ट रोड और बर्दमान रोड पर शाम से वाहनों के परिचालन पर तब तक रोक रहा जबतक सभी ताजिया कर्बला पहुंच कर वापस लौट नहीं अपने स्थान पर चले गये। पुलिस आयुक्त, डीसीपी मुख्यालय, डीसीपी वन और टू, एसीपी जोन एक और दो के साथ विभिन्न थानों की पुलिस लगातार ताजिया जुलूस को सकुशल अपने स्थान पर भेजने का प्रयास करते देखे जा रहे थे। यातायात पुलिस की ओर से पुलिस अधिकारियों को जाम की स्थिति से निपटने के लिए कैमरा के साथ ड्यूटी पर लगाया गया था। इसी प्रकार दार्जिलिंग ग्रामीण समतल क्षेत्र खोरीबाड़ी, फांसीदेवा, विधाननगर, नक्सलबाड़ी और पानीटंकी क्षेत्र में ताजिया जुलूस को विशेष सतर्कता बरती जा रही है। डीएसपी दार्जिलिंग ग्रामीण ने बताया कि इसके लिए सभी थाना क्षेत्रों अतिरिक्त सुरक्षा के इस क्षेत्र से 16 ताजिया निकाली गयी। इसके लिए दोनों समुदाय के लोगों की ओर से सौहार्द पूर्ण माहौल में इसे संपन्न कराने के लिए वहां मौजूद है। रिपोर्ट अशोक झा

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