शहीद हुए कैप्टन बृजेश थापा का दार्जिलिंग में किया गया अंतिम संस्कार

ताबूत को बेटे का सिर समझ शहीद को सहलाती रहे मां-बाप, बोले बेटे पर गर्व है


अशोक झा, सिलीगुड़ी: जम्मू-कश्मीर के डोडा में आतंकी और सेना के बीच जोरदार मुठभेड़ में कैप्टन बृजेश थापा शहीद हो गए। जानकारी के लिए आपको बता दें कि शहीद हुए कैप्टन बृजेश थापा का दार्जिलिंग में अंतिम संस्कार किया गया है। मां अपनी ममता को आंसुओं को कपड़े के एक टुकड़े में समेट रही हैं, जबकि बहन, मां और पिता को हौसले की थपकियां दे रही थी। इस दृश्य को देखकर कठोर दिल भी पसीज जाएं और भावनाओं के आंसू न रोक पाएं। जिस तरह शहीद के पिता अपने बेटे के ताबूत को आखिरी बार कांपते हुए हल्के हाथों से छू रहे थे। ऐसा लग रहा है मानो बेटा सो रहा हो, कहीं ज्यादा जोर से छूने की आहट पर जाग न जाए। वहीं शहीद बृजेश की मां ताबूत पर लगी फोटो को रोते हुए बार-बार छू रही थी। इस बीच बहन अपने मां-पिता को सहलाते हुए हौसला दे रही थी। बेटे को आखिरी श्रद्धांजलि देने के बाद माता और पिता ‘भारत माता की जय’ का नारा भी लगा रहे थे।
डोडा में शनिवार की रात घने जंगलों के बीच आधुनिक हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में 26 वर्षीय कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी. राजेश, सिपाही बिजेंद्र और अजय शहीद हुए थे. बृजेश थापा दार्जिलिंग के बड़ा गिंग बाजार के रहने वाले थे। उनकी तीन पीढ़ियां सेना में रह चुकी हैं. बृजेश के पिता खुद कर्नल रैंक से रिटायर हुए हैं।
2019 में कमीशंड हुए थे बृजेश थापा
बृजेश थापा अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 2019 में आर्मी में कमीशंड हुए थे. दो साल के लिए उनकी तैनाती 10 राष्ट्रीय राइफल्स में हुई थी. कैप्टन बृजेश थापा की मां निलिमा थापा ने आजतक से बातचीत में बताया, “15 जनवरी को मेरे बेटे का जन्मदिन था. 15 जनवरी को ही आर्मी डे होता है. मेरा बेटा आर्मी की ड्यूटी करते हुए देश के लिए समर्पित हो गया. सेना में होने का उसको गर्व था. वह सेना को पसंद करता था. उसके पापा ने बोला था कि नेवी में चला जा, आर्मी में बहुत कठिन होता है. लेकिन उसे आर्मी में ही जाना था। मां ने बताई बेटे संग आखिरी मुलाकात बेटे के साथ हुई आखिरी मुलाकात को याद करते हुए निलिमा थापा ने कहा, “बृजेश मार्च में घर आया था. इसी महीने आने वाला था. वह हमेशा खुश रहता था। रविवार को उससे अंतिम बार बात हुई थी। सरकार हमेशा कोशिश करती है कि आतंकवाद को रोके. जवान तो कभी डरते नहीं हैं। ठीक है… ये उनकी ड्यूटी का हिस्सा है. 26 साल का था मेरा बेटा। देश के लिए हमेशा कुछ करना चाहता था। उसको सादा खाना ही पसंद था। पहले हलवा खाता था, लेकिन बाद में कहा कि मोटा हो जाऊंगा। इसलिए मीठा खाना छोड़ दिया. मेरा बेटा था तो क्या हुआ, किसी को जाना तो पड़ेगा सीमा पर, वरना कौन लड़ेगा देश दुश्मनों से।
पिता ने बताया- बचपन में क्या कहता था बेटा
बृजेश थापा के पिता कर्नल रिटायर्ड भुवनेश कुमार थापा ने आजतक से बातचीत में बताया कि उससे आखिरी बातचीत रविवार को रात 9:30 बजे हुई थी। एक दिन पहले ही वह ऊपर से नीचे (पहाड़ से आर्मी बेस पर) आया था, क्योंकि बारिश थी वहां बहुत. बोल रहा था कि आज रात फिर 7 घंटे की चढ़ाई करके ऊपर जाना है, आदेश आया है कि कुछ काम है क्योंकि वहां रोड नहीं है, पार्टी लेकर उसे जंगल के रास्ते ऊपर जाना था। वह 5 साल से सर्विस में था. हमेशा बोलता था कि मैं आप जैसा ही बनूंगा। जब मैं फौज में था तो गाड़ी में आगे बैठता था और वह पीछे. बोलता था किसी दिन मैं भी अफसर बनूंगा और आर्मी की गाड़ी में आगे की सीट पर बैठूंगा। शहीद के पिता ने कहा, “उसका शुरू से यही मन था कि आर्मी जॉइन करे. उसने अपना काम ठीक से किया। उसने बीटेक कर रखा था. मैंने उससे बोला था कि कहीं और जॉब कर ले, लेकिन उसने बोला कि नहीं-नहीं मुझे आर्मी में ही जाना है. उसे शौक था, मेरा आर्मी का जैकट पहनकर घूमता था। 19 अगस्त को राखी। जिस बहन को उम्मीद थी कि राखी पर इसका भाई उसके लिए तोहफे लेकर आएगा। उस बहन की उम्मीद और खुशी भी खत्म हो गई। सोचा नहीं होगा कि उसका भाई खुद तिरंगे में लिपट कर आएगा। एक दिन उसे इसको लिए अपनी मां और पिता को हौसले को बढ़ाना होगा।
मुझे गर्व है- शहीद के पिता: जम्मू-कश्मीर के डोडा में मुठभेड़ में शहीद हुए कैप्टन बृजेश थापा के पिता कर्नल भुवनेश थापा (सेवानिवृत्त) कहते हैं, ‘…मेरा बेटा हमेशा भारतीय सेना में जाना चाहता था…उसने अपने पहले प्रयास में ही सेना की सभी परीक्षाएं पास कर लीं…मुझे गर्व है कि उसने देश के लिए अपनी जान दे दी…हमें जीवन भर उसकी कमी खलेगी।वह बहुत सभ्य थे- शहीद की मां: मुठभेड़ में शहीद हुए कैप्टन बृजेश थापा की मां नीलिमा थापा ने कहा, ‘…वह बहुत सभ्य थे। वह हमेशा भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे…मुझे बहुत गर्व है कि उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया। सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। 2019 में कमीशंड हुए थे बृजेश थापा: जानकारी के लिए आपको बता दें कि बृजेश थापा अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद साल 2019 में आर्मी में कमीशंड किए गए थे। इसके बाद दो साल के लिए उन्हें 10 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात किया गया था। अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी कैप्टन थापा 27 वर्ष के थे और पांच साल पहले ही भारतीय सेना में शामिल हुए थे। मृतक अधिकारी की मां नीलिमा ने बताया कि वह सेना की 145 एयर डिफेंस रेजिमेंट से थे और 10 राष्ट्रीय राइफल्स में प्रतिनियुक्ति पर थे।

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