दूसरे राज्यों में आलू की आपूर्ति पर लगी रोक, हड़ताल बना सबसे बड़ा कारण

अशोक झा, कोलकाता: पश्चिम बंगाल से जुड़े सभी सीमावर्ती इलाकों, चाहे वह झारखंड हो, बिहार हो या असम, में सतर्कता बढ़ा दी गई है और आलू से लदे ट्रकों को इन राज्यों में प्रवेश करने से रोका जा रहा है। परिणामस्वरूप आलू के सड़ने और खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। दूसरे, राज्य में आलू व्यापारियों ने कोल्ड स्टोरेज से आलू भेजना बंद कर दिया है। राज्य सरकार के इस फैसले का प्रदेश के आलू व्यापारी विरोध कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि राज्य के करीब 80 हजार आलू व्यवसायियों ने आपूर्ति ठप कर दी है।एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि बनर्जी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया है।दरअसल सरकार के खिलाफ प्रोग्रेसिव पोटैटो ट्रेडर्स एसोसिएशन की अनिश्चितकालीन हड़ताल के बीच ममता सरकार ने यह कदम उठाया है।अधिकारी ने बताया कि कैबिनेट बैठक के दौरान सीएम ने सख्त निर्देश दिए कि जब तक कीमतें कम नहीं हो जाती, तब तक दूसरे राज्यों में आलू का निर्यात नहीं किया जाना चाहिए। आलू की आपूर्ति में कोई संकट नहीं होना चाहिए।
उत्पीड़न के विरोध में व्यापारियों की हड़ताल: पश्चिम बंगाल में आलू व्यापारियों ने अन्य राज्यों में आलू निर्यात करने में राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा कथित उत्पीड़न के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया है। यह हड़ताल रविवार से शुरू हुई थी। जिसके बाद राज्य में आलू की कीमतों में तेजी आई और वह महंगे हे गए।व्यापारियों का आरोप है कि अधिकारी पड़ोसी राज्यों में जाने वाले आलू के ट्रकों को अवैध रूप से हिरासत में ले रहे हैं।आलू की कीमतों में इजाफा: आलू की कीमत पहले से ही बढ़ी हुई थी. हड़ताल होने की वजह से कीमत और बी बढ़ गई. आकार और विविधता के आधार पर 36 से 40 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच आलू बिक रहे हैं। इस बीच एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है ऐसे में हड़ताल जारी रहेगी।
अधिकारी ने बताया कि इस बीच कैबिनेट ने तीन नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति को भी मंजूरी दे दी है।

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