लोकसभा में 400 पार के नारे को साकार करने के लिए आरएसएस से पार्टी में होंगे संगठन मंत्री
अशोक झा, कोलकाता। लोकसभा चुनाव के बाद अब जल्द ही बीजेपी संगठन में बड़े बदलाव की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। 2024 के चुनाव में बीजेपी 24 सीटों पर सिमट गई है और सहयोगी दलों की बैसाखी के सहारे सरकार बनानी पड़ी है। अपेक्षित नतीजे नहीं आने के बाद बीजेपी और आरएसएस के बीच बेहतर समन्वय के लिए केरल के पलक्कड़ में बुधवार से तीन दिन की बैठक होने जा रही है। आरएसएस-बीजेपी की समन्वय बैठक में लोकसभा चुनाव के नतीजों पर चर्चा होने के साथ-साथ संगठन में कई बड़े फेरबदल पर भी मुहर लग सकती है।केरल में 31 अगस्त से 2 अगस्त तक बीजेपी के साथ होने वाली समन्वय बैठक में संघ राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और गोवा जैसे राज्य में बीजेपी के लिए संगठन महामंत्री देने का फैसला करेगा। इसके अलावा बीजेपी के कई संगठन मंत्रियों का कार्यभार में बदलाव भी किया सकता है, जिस पर मुहर समन्वय बैठक में लगेगी। इसीलिए केरल की होने वाली संघ और बीजेपी की समन्वय बैठक सियासी तौर पर अहम है। इस बैठक में संघ के सभी अनुषांगिक संगठनों और राष्ट्रीय पदाधिकारी के अलावा बीजेपी के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे। कई राज्यों में संगठन मंत्री का पद खाली:बीजेपी और संघ के बीच समन्वय मीटिंग हर छह महीने के अंतराल पर होती है, लेकिन यह बैठक इसलिए अहम है कि यह लोकसभा चुनावों के बाद हो रही है. शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में दिल्ली में 24-25 जुलाई दो दिनों तक बीजेपी के संगठन मंत्रियों की बैठक हुई थी. बैठक में पार्टी के संगठनात्मक कमजोरियों और उन्हें दूर करने के लिए जरूरी कदमों पर विस्तार से चर्चा हुई थी। इस दौरान जिन राज्यों में संगठन मंत्री नहीं है, उन राज्यों में नियुक्ति को लेकर मंथन किया गया है।।बीजेपी में संगठन मंत्री का रोल काफी अहम माना जाता है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान जैसे बड़े राज्यों के साथ ही गोवा और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में संगठन मंत्री फिलहाल नहीं हैं। दिल्ली में बीजेपी की बैठक में कई राज्यों में संगठन मंत्रियों के नहीं होने और कई संगठन मंत्रियों की अधिक उम्र के कारण सक्रियता में कमी का मुद्दा उठा था। कई संगठन मंत्रियों को नए राज्यों में भेजे जाने के संकेत भी दिए गए, लेकिन इनकी कमी दूर करने का फैसला आरएसएस को लेना है।आरएसएस से आते हैं संगठन मंत्री: भारतीय जनता पार्टी में संगठन मंत्री को आरएसएस के द्वारा भेजा जाता है। संघ अपने वरिष्ठ प्रचारक को बीजेपी में भेजता है। बीजेपी के संगठन मंत्री का रोल काफी महत्वपूर्ण होता है, जो सरकार, संगठन और कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बनाने का काम करता है। ऐसे में महाराष्ट्र में इस साल आखिर में विधानसभा चुनाव है, जिसके लिहाज से संगठन मंत्री की जरूरत काफी अहम हो जाती है।इसीलिए माना जा रहा है कि बीजेपी में नए संगठन मंत्रियों को भेजने पर फैसला 31 अगस्त से दो सितंबर तक केरल में होने वाली आरएसएस और बीजेपी की समन्वय बैठक में लिया जा सकता है।।केंद्रीय स्तर पर बीजेपी में बदलाव होना है या नहीं यह अभी तय नहीं है, लेकिन जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है, उसे लेकर चर्चा हो सकती है. संघ और बीजेपी के बीच होने वाली बैठक के बाद देश के तीन बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड जैसे राज्य शामिल है. ऐसे में इस बैठक में काफी अहम राजनीतिक चिंतन हो सकता है. बीजेपी इस बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने से चूक गई और बहुमत से 32 सीट पीछे रह गई. मोदी सरकार बनाने के बावजूद बीजेपी अपने प्रदर्शन को लेकर मंथन कर रही है। इस बार केरल में खुला है बीजेपी का खाता: बता दें कि साल में दो बार छह महीने के अंतराल पर संघ और बीजेपी के बीच समन्वय बैठक होती है। ऐसे में केरल के पलक्कड़ में हो रही इस बैठक को अहम माना जा रहा है। दक्षिण में इस बार बीजेपी ने बढ़िया प्रदर्शन किया है। तमिलनाडु जैसे राज्य में बीजेपी भले ही एक भी सीट न जीत पाई हो, लेकिन वोट प्रतिशत में अच्छी खासी बढ़ोतरी प्राप्त की है। बीजेपी ने इस चुनाव में केरल में भी एक लोकसभा सीट जीती है। बीते 10 सालों में जो करिश्मा कोई नहीं कर सका वो सुरेश गोपी ने कर दिखाया। केरल के त्रिशूर में बीजेपी का कमल खिलाया और मोदी सरकार में उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री का पद भी मिल गया। चुनाव पर भी होगी बातचीत: केरल में होने वाली बैठक में संघ के अनुषांगिक संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय महामंत्री सम्मिलित होंगे. संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि बीजेपी के संगठन मंत्री भेजने का फैसला, इसके लिए वरिष्ठ प्रचारकों की उपलब्धता के अनुरूप किया जाएगा. संघ के साथ और आपस में समन्वय इस बैठक का प्रमुख एजेंडा रहेगा। हालांकि लोकसभा चुनाव में कमजोर प्रदर्शन और कुछ राज्यों के आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए संघ और बीजेपी के बीच बात होगी। ऐसे में राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पूर्वोत्तर जैसे कुछ राज्यों में जहां, संगठन महामंत्री नहीं हैं, उनकी स्थितियों का आकलन भी करेगा. ऐसे में राजस्थान भाजपा के लिहाज से भी इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है।