अधीर रंजन का दावा एक तरह से घर में पीड़ित परिवार को नजरबंद रखा गया

अशोक झा, कोलकोता: पूरे देश में कोलकाता रेप-मर्डर का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसे लेकर डॉक्टरों से लेकर आम जनता में आक्रोश व्याप्त है। अब इस मामले पर सियासत तेज हो गई है। इस बीच पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को ट्रेनी डॉक्टर के परिवार से उनके घर में मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने दावा किया कि एक तरह से घर में पीड़ित परिवार को नजरबंद रखा गया है।
अधीर रंजन का बड़ा दावा: अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कोलकाता पुलिस ने ट्रेनी डॉक्टर के परिवार को हाउस अरेस्ट कर रखा है। उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। पुलिस ने उनके घर के चारों ओर बैरिकेड लगाए हैं। सीआईएसएफ को इसकी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि पुलिस ने टीएमसी की नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार के निर्देश पर पीड़िता के पिता को पैसों का लालच दिया था। उनसे कहा गया कि बिना देरी बेटी के शव का अंतिम संस्कार कर दीजिए।कांग्रेस नेता का ममता सरकार पर हमला: कांग्रेस नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों का ध्यान भटकाने के लिए वे (टीएमसी) कह रहे हैं कि सीबीआई कुछ नहीं कर रही है। ममता बनर्जी सीबीआई को निशाना बनाकर अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहती हैं। वे उनसे कहना चाहते हैं कि पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस की भी जिम्मेदारी है कि वे सीबीआई के साथ सहयोग करें या तथ्यों के साथ उसकी कमियों को बताएं।प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से नहीं मिल पाए अधीर रंजन चौधरी: आपको बता दें कि अधीर रंजन चौधरी को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करने से रोका दिया गया। वे विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से मिलने गए थे। इसे लेकर उन्होंने पुलिस पर हमला बोलते हुए कहा कि वे वहां एक आम आदमी बनकर गए थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें डॉक्टरों से मिलने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि अगर पहले से पुलिस एक्टिव रहती तो आज ट्रेनी डॉक्टर का यह हश्र नहीं होता।क्राइम सीन से हुई छेड़छाड़ के सवालों पर पुलिस की सफाई को लेकर मेडिकल असोसिएशन ने कड़क शब्दों में सवाल खड़े किए हैं। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की मौत के बाद क्राइम सीन से जुड़ी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस वायरल तस्वीर को लेकर अंदेशे जताए जा रहे हैं कि मौका ए वारदात से छेड़छाड़ कर दी गई है। इस पर कोलकाता पुलिस ने कहा कि वे सब जांच पड़ताल में शामिल लोग थे लेकिन अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है। IMA ने पुलिस की सफाई पर आपत्ति जताई है और सीबीआई को इस पर जांच करने की गुजारिश की है। मेडिकल असोसिएशन की बंगाल ब्रांच ने बयान जारी करके कहा कि कृपया हमें बताएं कि डॉक्टर अविक डे कब फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट बने? (जैसा कि कोलकाता पुलिस ने बताया है). जैसा कि हम सभी जानते हैं, वह सेठ सुखलाल करनानी मेमोरियल हॉस्पिटल (एसएसकेएम) अस्पताल के सर्जरी विभाग के फर्स्ट ईयर के पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी हैं. आईएमए ने सीबीआई से मामले का संज्ञान लेने और उससे पूछताछ करने की गुजारिश की है कि वह क्राइम सीन पर क्या कर रहा था क्योंकि उसका आरजी कर अस्पताल से कोई लेना देना नहीं है।सेमिनार हॉल में क्राइम सीन के पास लोगों की भीड़: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल से 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर का जहां शव बरामद हुआ था, वहां की एक वायरल तस्वीर में देखा जा रहा है कि लोगों की भीड़ से वह जगह अटी पड़ी है। कोलकाता पुलिस डीसीपी सेंट्रल इंदिरा मुखर्जी ने कहा कि तस्वीर में दिख रहे सभी लोग उस वक्त वहां होने के लिए पूरी तरह अथॉराइज थे और उनकी पहचान कर ली गई है. उन्होंने बाकायदा नाम बताए और कहा कि यह तस्वीर या वीडियो उस समय का है जब जांच पूरी हो गई थी। मेडिकल असोसिएशन ने विस्तृत बयान में क्या कहा…
इस बयान में आरोप लगाया गया कि डॉक्टर डे का पीजी कोर्स में एडमिशन भी संदेह के घेरे में है। ऐसा कहा जाता है कि हालांकि डॉक्टर अविक डे बर्दवान मेडिकल कॉलेज में आरएमओ के रूप में काम करते थे लेकिन उस कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉक्टर कौस्तव नायक ने उन्हें एक गलत सर्टिफिकेट दिया।
IMA ने बयान जारी कर कोलकाता पुलिस के दावे पर आपत्ति जताई: इसमें कहा गया कि वे अनामॉय अस्पताल में काम करते हैं ताकि उन्हें पीजी एडमिशन में सर्विस कोटा मिल जाए, सभी आधिकारिक कागजात में हेराफेरी की गई और बदले में पहले इंटरव्यू के रिजल्ट की घोषणा किए बिना या उसे रद्द किए बिना ही डॉ कौस्तव नायक को दूसरे इंटरव्यू के जरिए से डीएमई बनाया गया. इसके कारण कई दूसरे सीनियर और काबिल प्रिंसिपलों को पीछे छोड़ दिया गया। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में नया खुलासा हुआ है। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि 9 अगस्त की सुबह जब कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष को इस घटना की जानकारी मिली, तब उनके घटना स्थल पर पहुंचने से पहले ही पुलिस वहां मौजूद थी।
सीबीआई के सूत्रों के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज और फोन कॉल की जांच के बाद सुबह करीब 10 बजे आरजी कर के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉक्टर सुमित राय तोपदार ने सबसे पहले संदीप घोष को फोन किया था। हालांकि, उस समय संदीप घोष नहा रहे थे, इसलिए उन्होंने तुरंत फोन नहीं उठाया। इसके बाद संदीप घोष ने खुद डॉक्टर तोपदार को वापस फोन किया। तोपदान ने संदीप घोष को घटना की जानकारी दी। इसके बाद घोष अस्पताल के लिए रवाना हो गए। अस्पताल पहुंचने के रास्ते में उन्होंने पुलिस, अस्पताल के तत्कालीन सुप्रिटेंडेंट संजय बशिष्ठ और पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के तत्कालीन प्रमुख अरुणाभ दत्ता चौधरी को भी फोन किया। रिपोर्ट के मुताबिक, संदीप घोष जब घटना स्थल पर पहुंचे तो वहां पहले से ही पुलिस मौजूद थी। यह ध्यान देने योग्य है कि इससे पहले कोलकाता पुलिस की डीसी (सेंट्रल) इंदिरा मुखर्जी ने दावा किया था कि 9 अगस्त की सुबह साढ़े 10 बजे तक पुलिस ने घटनास्थल को पूरी तरह से घेर लिया था और वहां बाहरी लोगों के प्रवेश की संभावना नहीं थी। उन्होंने सबूतों को नष्ट किए जाने के सभी आरोपों को खारिज किया था। हालांकि, सीबीआई के जांच में मिले सीसीटीवी फुटेज से यह स्पष्ट हुआ कि पुलिस के आने से पहले संदीप घोष घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे।।इस बीच, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल की एक वीडियो भी सामने आई थी, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए थे। वीडियो में दिखाया गया था कि घटना के बाद सेमिनार हॉल में कई लोग मौजूद थे। पुलिस ने बाद में इस वीडियो पर सफाई देते हुए कहा था कि जहां से मृतका का शव बरामद हुआ था, उस स्थान को पुलिस ने सुरक्षित रखा था और वीडियो हॉल के दूसरे हिस्से का था। बावजूद इसके, वीडियो के कुछ और फुटेज सामने आने के बाद यह मामला फिर से विवादों में आ गया।।इस वीडियो के सामने आने के बाद बीजेपी नेता अमित मालवीय ने एक ट्वीट में आरोप लगाया कि घटनास्थल पर डॉक्टर, पुलिस और अस्पताल के कर्मचारियों के साथ-साथ बाहरी लोग भी मौजूद थे। बता दें सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के वकील, केंद्र के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी दावा किया था कि घटनास्थल की स्थिति को बदल दिया गया था। हालांकि, डीसी इंदिरा मुखर्जी ने स्पष्ट किया कि वीडियो में दिख रहे लोग पुलिस, अस्पताल के डॉक्टर, कर्मचारी और मृतका के परिवार के सदस्य थे। उनके अनुसार, कोई बाहरी व्यक्ति घटनास्थल पर नहीं था और सुरक्षित क्षेत्र में बाहरी लोगों के प्रवेश की कोई संभावना नहीं थी। इस नए खुलासे ने मामले को और जटिल बना दिया है और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि CBI की जांच इस मामले में और क्या खुलासे करती है। वही इस मामले में एक मात्र गिरफ्तार संजय राय उसने जेल के खाने रोटी सब्जी को खाने से इनकार कर दिया है। कथित तौर पर उसने रोटी सब्जी के बदले अंडा चाऊमिन की मांग की है। हैं। खबरों के मुताबिक संजय रॉय “रोटी-सब्जी” से परेशान होकर, अंडा चाउमीन देने की मांग की है। उसे जेल में परोसा जाने वाला खाना पसंद नहीं आ रहा है।
जेल अधिकारियों ने लगाई जमकर फटकार: बता दें कि जेल के नियमों के मुताबिक, किसी भी कैदी को वही खाना दिया जाता है जो सभी कैदी को दिया जाता है। किसी-किसी केस में घर से खाना मंगवाने की इजाजत दी जाती है। जेल के सूत्रों के हवाले से बताया कि संजय रॉय हर दिन रोटी-सब्जी परोसे जाने पर गुस्सा हो गया और एग चाऊमिन मांगने लगा। हालांकि, उसकी अंडा चाऊमीन की मांग को खारिज करते हुए जेल कर्मचारियों ने उसे जमकर फटकार लगाई। इसके बाद उसने रोटी-सब्जी खाई। इंडिया टीवी डॉट कॉम इस खबर की पुष्टि नहीं करता है।सोने के लिए मांगा एक्स्ट्रा टाइम: इससे पहले सीबीआई की हिरासत से सुधार गृह में ट्रांसफर किए जाने पर संजय रॉय ने सोने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था। उसे खुद से बात करते हुए भी देखा गया था। कुछ दिनों के बाद वह अपनी सामान्य स्थिति में लौट आया। बता दें कि अब तक, कोलकाता डॉक्टर के बलात्कार-हत्या मामले की जांच में केवल एक ही गिरफ्तारी हुई है और वो है संजय रॉय, जो कोलकाता पुलिस के नागरिक स्वयंसेवक है और बलात्कार के बाद हत्या का आरोप उसपर ही लगा है।

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