बंगाल स्वास्थ्य व्यवस्था में भ्रष्टाचार का खुल रहा धीरे धीरे पोल, नॉर्थ बंगाल लॉबी का आया सामने नाम
बंगाल स्वास्थ्य व्यवस्था में भ्रष्टाचार का खुल रहा धीरे धीरे पोल, नॉर्थ बंगाल लॉबी का आया सामने नाम
ईडी संदीप घोष के पीए को बुलाया पूछताछ के लिए
अशोक झा, सिलीगुड़ी: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की मुश्किलें नहीं थम रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरजी कर घोटाला मामले में संदीप घोष के पीए को तलब किया है।ईडी ने इसी सिलसिले में बुधवार को संदीप घोष के निजी सहायक (पीए) प्रसून चट्टोपाध्याय को पूछताछ के लिए बुलाया है। उन्होंने प्रसून चट्टोपाध्याय को ईडी के साल्ट लेक कार्यालय में रिपोर्ट करने के लिए कहा है।आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष वित्तीय अनियमितताओं के मामले में फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी के अधिकारियों ने बीते 6 सितंबर को कई स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें दक्षिण 24 परगना जिले के सुभाषग्राम में स्थित चट्टोपाध्याय का आवास भी शामिल था। इस दौरान ईडी ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए। साथ ही चट्टोपाध्याय से पूछताछ भी की थी।सूत्रों ने कहा कि जब्त किए गए दस्तावेजों की जांच में चट्टोपाध्याय के नाम से कुछ संपत्ति के बारे में जानकारी मिली है, जो साफ तौर पर उनकी आय से अधिक है। चट्टोपाध्याय को नया समन इसलिए ही जारी किया गया है, ताकि जांच अधिकारी संपत्ति खरीदने के लिए धन के स्रोतों के बारे में उनसे पूछताछ कर सकें। इस बीच, जांच के दौरान यह जानकारी भी सामने आई है कि किस तरह संदीप घोष ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर चट्टोपाध्याय को अपना निजी सहायक बनाया। जांच में पता चला है कि वह हर सुबह कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल जाता था और रजिस्टर पर साइन करके चला जाता था। इसके बाद वह वहां से करीब आठ किलोमीटर दूर स्थित आरजी कर मेडिकल कॉले में संदीप घोष के निजी सहायक के तौर पर काम करता था।संदीप घोष के खिलाफ सीबीआई दो केसों की जांच कर रही है। एक मामला महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या का है, जबकि दूसरा मामला उनके कार्यकाल के दौरान आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। उन्हें दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया था।
स्वास्थ्य घोटाले में नॉर्थ बंगाल लॉबी का है दबदबा : नॉर्थ बंगाल लॉबी क्या है, इसके पीछे कौन लोग हैं, कैसे इसने पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य महकमे को अपने चंगुल में कस रखा है, ऐसे अनेकों सवाल हैं, जिसके जवाब तलाशे जा रहे हैं।9 अगस्त, 2024 को जबसे कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना को लेकर बवाल मजा है, उस घटना के साथ ही नॉर्थ बंगाल लॉबी की भी बार-बार गलत वजहों से चर्चा हो रही है। आम तौर पर बंगाल के स्वास्थ्य महकमे में नॉर्थ बंगाल लॉबी डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों के एक ग्रुप के लिए प्रयोग होता है, जो प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों पर हावी है।
नॉर्थ बंगाल लॉबी क्या है?: टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस नाम का इस्तेमाल नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (NBMCH) से पास एक ऑर्थोपेडिक सर्जन के करीबी डॉक्टरों के ग्रुप के लिए होता है। जरूरी नहीं कि नॉर्थ बंगाल लॉबी में शामिल सभी डॉक्टर या उनके नेता प्रतिष्ठित NBMCH के भी छात्र रहे हों। यह भी नहीं है कि इस मेडिकल कॉलेज से पास सभी लोग उस लॉबी में शामिल हों।
नॉर्थ बंगाल लॉबी कैसे काम करता है?: प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे के अफसरों और नॉर्थ बंगाल लॉबी के आलोचकों के मुताबिक यह सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों की रोजाना की हर गतिविधियों को कंट्रोल करता है। स्वास्थ्य महकमे पर इसका दबदबा इसमें शामिल लोगों और उनके आधिकारिक पदों से कहीं ज्यादा रहता है। इस लॉबी का इतना प्रभाव है कि जो इनकी बात नहीं सुनते उन्हें ‘सजा’ के तौर पर ट्रांसफर करने और जिन्हें यह ईनाम देना चाहता है, उन्हें मनचाहा पोस्टिंग दिलाना इनके बाएं हाथ का खेल है।
उत्तर बंगाल लॉबी के बड़े किरदार हैं डॉक्टर संदीप घोष!
बंगाल के स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने हालिया लगभग सभी विवादास्पद फैसलों के लिए नॉर्थ बंगाल लॉबी को जिम्मेदार बताया है। इसमें सबसे कुख्यात उदाहरण आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष का मामला भी शामिल है।पिछले दो वर्षों में स्वास्थ्य विभाग ने उनका आरजी कर से दो बार ट्रांसफर किया, लेकिन हर बार कुछ दिनों या हफ्तों के भीतर ही वे और बेहतर पद पाकर वापस लौट गए। स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसकी वजह सिर्फ यह बतायी है कि वह उत्तर बंगाल लॉबी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
आरजी कर की वारदात को दबाने की कोशिश में भी लॉबी का नाम!
नॉर्थ बंगाल लॉबी का ऐसा प्रभाव है, जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग के कई सारे फैसले समझ से बाहर रहे हैं। नॉर्थ बंगाल लॉबी की वजह से जिन्हें फायदा मिला है, उनमें से कुछ नाम हाल ही में मुख्यधारा की मीडिया में भी सामने आए हैं; जिनमें अविक डे, बिरुपाक्ष बिस्वास, सुशांत रॉय और सुहृता पॉल शामिल हैं। इनमें से कुछ डॉक्टरों के नाम आरजी कर में हुई जघन्य वारदात को छिपाने की कोशिशों के संबंध में भी बार-बार सामने आए हैं।
आरजी कर से नॉर्थ बंगाल लॉबी का क्या लिंक है?:
स्वाथ्य विभाग के अधिकारी बताते हैं कि आरजी कर किसी भी अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से ज्यादा नॉर्थ बंगाल लॉबी के कंट्रोल में है। स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कुछ समय से तो यह नॉर्थ बंगाल लॉबी का अनौपचारिक मुख्यालय बन चुका है।स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ‘हम इस अस्पताल में मौजूद भ्रष्टाचार और कुप्रशासन से हैरान नहीं हैं, जिसने बलात्कार-हत्या मामले के मुख्य आरोपी संजॉय रॉय जैसे बदमाशों को परिसर और इसके दैनिक मामलों पर इतना ज्यादा कंट्रोल दे दिया है।’इस अस्पताल के कर्मचारियों के एक वर्ग ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को इस घटना के अगुवा के रूप में पहचाना है। अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि अपराध को छिपाने के मामले में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनमें से कई लोग क्राइम सीन के आसपास भी देखे गए थे।इनमें विस्वास, डे और रे शामिल हैं। जबकि, इनमें से किसी का भी आरजी कर से सीधा संबंध नहीं है। लेकिन, ये अक्सर कैंपस में दिख जाते हैं। इनमें से एक तो 110 किलोमीटर दूर बर्दवान में काम करता है