गाजे बाजे के साथ 18 भुजाओं वाली मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन

सुबह से ही महिलाएं सिंदूर खेला के साथ मां को कर रहे विदा


अशोक झा, सिलीगुड़ी: प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी सिलीगुड़ी बर्दमान रोड़ स्थित शिवम पैलेस में 7 दिवसीय 21वें मां भगवती जागरण का समापन 18 भुजाओं वाली मां की प्रतिमा के विसर्जन के साथ संपन्न हुआ। भगवती मंडप से भगवान श्री गणेश, माता महालक्ष्मी महारानी, भगवान श्री कार्तिकेय जी, मां सरस्वती तथा श्री तिरुपति बालाजी की बनाई गई प्रतिमा को भी विसर्जित किया गया। मां के जयकारों के बीच विशेष आकर्षण के रुप मे इस वर्ष श्री अयोध्या में विराजमान अखण्ड ब्रह्मांड नायक भगवान श्री रामलला की बनवाई गई प्रतिमा को देख भक्त जय श्री राम का नारा लगाये गए। जागरण दौरान भक्तों को अखण्ड ज्योत के दर्शन, छप्पन भोग एवं चना, पूड़ी, हलवा का प्रसाद प्राप्त हुआ। विशाल जागरण महोत्सव के भव्य व दिव्य आयोजन का यह इक्कीसवां वर्ष है। जागरण के सफलतापूर्वक संपन्न होने से शंकर गोयल , संजय शर्मा और विष्णु केडिया के नेतृत्व में मनोज मित्तल, नटवर नकीपुरिया, दिलीप चौधरी, अरिहन्त पारख, दिलीप अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल, चन्द्रकान्त मोहता, अरुण गोयल, रामजीवन अग्रवाल, सज्जन अग्रवाल, आनन्द अग्रवाल (नन्दू), पी के अग्रवाल, बृजकिशोर प्रसाद सहित सभी एक सौ आठ सदस्यों ने शहरवासियों को बधाई दी है। सात दिवसीय जागरण में पांच दिनों में 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मां का दर्शन करने पंडाल तक पहुंचे। आयोजकों की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को महाप्रसाद का भोग दिया गया। 56 भोग के साथ इस भगवती जागरण में आज के दरबार में भजन गायकों की टीम माता रानी को रिझाने बीकानेर से प्रवेश शर्मा, अहमदाबाद से नेतल शर्मा, कोलकाता से नवीन जोशी एवं साहिल शर्मा जहां भजनों गायक कलाकारों ने भक्ति का ऐसा स्वर दिया जिससे भक्त मंत्रमुग्ध हो गए। उत्तर बंगाल में 3500 दुर्गा पूजा और कोलकोता में 4000 दुर्गा पूजा मंडप में घूमने का उत्साह लगभग समाप्त हो जाता है। दशमी के दिन से ही प्रतिमाओं के विसर्जन की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।कोलकाता में आयोजित लगभग चार हजार, उत्तर बंगाल में 3500 दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन रविवार को शुरुआत हो गई। इसी दिन राज्य में सिंदूर खेल का एक अनोखा रिवाज है, जो राज्य की दुर्गा पूजा को देशभर से अलग पहचान देता है। सैकड़ों वर्षों से राज्य के जमींदार घरानों और राजवाड़ों में मां दुर्गा की पूजा धूमधाम से होती रही है, और वर्षों पहले इस सिंदूर खेल की परंपरा शुरू हुई थी। इसमें पूजा मंडप और आसपास की महिलाओं के साथ ही उन घरों में, जहां मां की प्रतिमा स्थापित की गई है, बड़ी संख्या में सुहागिनें अपने रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाला सिंदूर मां के चरणों में अर्पित करती हैं। इसके बाद उसी सिंदूर से अन्य सुहागिन महिलाओं की मांग भरी जाती है और अबीर की तरह गालों पर भी लगाया जाता है। महिलाएं नाचती-गाती और झूमती हैं, जिससे मां दुर्गा की विदाई का यह पर्व और भी खास बन जाता है। रविवार को कोलकाता समेत पूरे राज्य में सिंदूर खेला की धूम है। इसके लिए महिलाओं ने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी थी। हटखोला के दत्त बाड़ी में तो अष्टमी के दिन ही सिंदूर खेल संपन्न हो गया था, लेकिन कोलकाता के अन्य जमींदार घरानों जैसे शोभाबाजार राजबाड़ी, बनर्जी बाड़ी और बोस परिवार में बड़े पैमाने पर सिंदूर खेल की तैयारियां शनिवार रात से ही शुरू कर दी गई हैं। महिलाएं इस दिन के लिए विशेष सिंदूर और पहनने के कपड़े पहले से ही तैयार रख चुकी थी। राजश्री घोष नाम की एक महिला ने बताया कि दुर्गा पूजा के अंत में होने वाला सिंदूर खेल महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसके माध्यम से वे मां दुर्गा के आशीर्वाद से अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं। कोई भी महिला ऐसी नहीं होगी जो अपने सुहाग को दीर्घायु न बनाना चाहती हो। इसलिए इस खेल को बड़े उत्साह और श्रद्धा से खेला जाता है।
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा महोत्सव के शांतिपूर्ण समापन के बाद अब प्रतिमा विसर्जन की बारी है। विसर्जन को लेकर प्रशासन की ओर से तमाम एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं।विसर्जन के दौरान हादसों से बचने के लिए घाटों पर पुलिस की कड़ी निगरानी रखी जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर घाटों पर अधिक संख्या में पुलिस तैनात की जा रही है। अतिरिक्त संख्या में सफाईकर्मी भी घाट की सफाई कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, रविवार से अधिक संख्या में पुलिस की तैनाती की जा रही है। नदी में ज्वार के समय पानी में उछाल काफी रहता है जिससे हादसा होने का डर रहता है। इसे देखते हुए कम ज्वार के दौरान विसर्जन करने की हिदायत प्रशासन की तरफ से दी जा रही है। घाटों पर पुलिस की तरफ से लगातार माईकिंग की जा रही है। इसके अलावा, प्रत्येक घाट पर आपदा प्रबंधन की टीम मौजूद है। नाविक और गोताखोर भी तैनात किए गए हैं।

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